देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) के लिए अल्पावधि राहत मिलती नहीं दिख रही है, क्योंकि उसे वृद्धि के मोर्चे पर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में मांग में सुधार के संकेत नहीं दिखने से वित्त वर्ष 2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही का प्रदर्शन भी पिछली तिमाही जैसा बने रहने का अनुमान है और कंपनी की बिक्री वृद्धि कमजोर एक अंक में रह सकती है।
पिछले साल के दौरान यह शेयर 7 प्रतिशत गिरा है, जबकि बीएसई के सेंसेक्स में समान अवधि में 11 प्रतिशत तेजी आई है। अल्पावधि में भी इसका प्रदर्शन बेंचमार्क के मुकाबले कमजोर रह सकता है।
भविष्य में निवेशकों की नजर बिक्री में सुधार, मूल्य निर्धारण में बदलाव और कंपनी के लिए मार्जिन सुधार पर लगी रहेगी।
सालाना आधार पर बिक्री वृद्धि लगातार चार तिमाहियों से सुस्त रही है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 की सितंबर तिमाही में 2 प्रतिशत की तेजी दर्ज की है।
नोमुरा रिसर्च के शोध विश्लेषक मिहिर पी शाह का कहना है, ‘बिक्री वृद्धि अनुमान से कमजोर त्योहारी मांग की वजह से सुस्त बनी रहेगी और यह काफी हद तक वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के समान रह सकती है। हमारा मानना है कि अगली कुछ तिमाहियों में समान रुझान बना रहेगा और 2024-25 की पहली तिमाही के बाद हालात सामान्य हो सकते हैं।’
भले ही प्रीमियम सेगमेंट में मास सेगमेंट के मुकाबले ज्यादा तेजी आ रही है और शहरी बाजार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीण सेगमेंट में मंदी ने पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान कंपनी के संपूर्ण प्रदर्शन को प्रभावित किया है।
कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, हालांकि मुद्रास्फीति नरम पड़ी है, लेकिन असमान और कमजोर मॉनसून (लॉन्ग-पीरियड एवरेज का -5.6 प्रतिशत) से खरीफ फसल प्रभावित हुईं और पैदावार में 3.8 प्रतिशत की गिरावट आई। कंपनी को सुधार लाना जरूरी है, क्योंकि उसका 40 प्रतिशत सालाना राजस्व ग्रामीण क्षेत्रों से आता है।
ग्रामीण बाजारों में कमजोर सुधार और सुस्त बिक्री वृद्धि के अलावा, दो अन्य क्षेत्र हाल के समय में एचयूएल की वृद्धि में बाधा बने हुए हैं। ब्यूटी ऐंड पर्सनल केयर (बीपीसी) सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और खाद्य व्यवसाय, खासकर हेल्थ फूड ड्रिंक पोर्टफोलियो में धीमी वृद्धि दर्ज की जा रही है।
बीपीसी सेगमेंट में वृद्धि से जुड़ी चुनौतियां दूर करने के लिए कंपनी ने प्रबंधन संबंधित बदलाव किए हैं और बीपीसी को ब्यूटी ऐंड वेल-बीइंग तथा पर्सनल केयर डिवीजनों में विभाजित किया है। यह बदलाव अप्रैल 2024 से प्रभावी होगा।
जहां ब्यूटी ऐंड वेल-बीइंग खंड का प्रबंधन हर्मन ढिल्लों द्वारा किया जाएगा, वहीं पर्सनल केयर व्यवसाय की जिम्मेदारी कार्तिक चंद्रशेखर संभालेंगे।
देश में डिजिटल तंत्र के विकास से पैदा हो रहे नए विकास अवसरों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए कंपनी ने अरुण नीलकांतन को मुख्य डिजिटल अधिकारी नियुक्त किया है।
बीपीसी व्यवसाय एचयूएल का सबसे बड़ा सेगमेंट है और वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के राजस्व में इसका 38 प्रतिशत योगदान रहा। इस व्यवसाय में मार्जिन 27-28 प्रतिशत पर है, जो उसके तीनों प्रमुख डिवीजनों (होम केयर और फूड्स अन्य हैं) में सर्वाधिक और कंपनी औसत की तुलना में 4-5 प्रतिशत अधिक है।
सेंट्रम ब्रोकिंग के वरिष्ठ विश्लेषक शिरीष परदेशी का कहना है, ‘चूंकि बीपीसी एचयूएल के लिए मूल्य सृजन का स्रोत है, इसलिए ये तीन बदलाव प्रदर्शन में सुधार का संकेत हैं, क्योंकि क्षेत्रीय के साथ साथ डिजिटल-टु-कंज्यूमर ब्रांडों से प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ रही है।’
उनका यह भी मानना है कि जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर अधिग्रहण ने हालात सामान्य होने में अनुमान से ज्यादा समय लिया। कंपनी वृद्धि की राह मजबूत बनाने के लिए अपनी विलय एवं अधिग्रहण रणनीति में भी सुधार ला रही है। ब्रोकरेज का कहना है कि दो नए अधिग्रहणों को पूरा करने में ज्यादा समय लग सकता है।
जहां इन कदमों का लाभ मिलने और बिक्री तथा राजस्व वृद्धि के मोर्चे पर सुधार आने में समय लग सकता है, वहीं इस शेयर के लिए अन्य प्रमुख सकारात्मक बदलाव मार्जिन सुधारने की क्षमता पर निर्भर होगा।
कंपनी ने अपना सकल मार्जिन सालाना आधार पर 692 आधार अंक और तिमाही आधार पर 282 आधार अंक तक बढ़ाकर वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 52.7 प्रतिशत की। कंपनी को कच्चे माल की लागत में नरमी से कुछ मदद मिली।
हालांकि बढ़ते विज्ञापन और प्रोत्साहन खर्च तथा अन्य खर्च सीमित हुए तथा परिचालन मुनाफा मार्जिन 130 आधार अंक बढ़कर 24.2 प्रतिशत हो गया।
जहां ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि एचयूएल का मार्जिन वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में भी बढ़ेगा, लेकिन यह बढ़त सीमित होगी या इस पर ऊंचे खर्च या विज्ञापन तथा ब्रांड निर्माण गतिविधियों का प्रभाव पड़ेगा।
कंपनी के लिए सकारात्मक बदलाव है कच्चे तेल और उससे संबंधित उत्पादों की कीमतों में गिरावट आना, जिससे कच्चे माल की लागत घटेगी। कई ब्रोकरों ने इस शेयर को ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।