facebookmetapixel
सरकारी सहयोग मिले, तो एरिक्सन भारत में ज्यादा निवेश को तैयार : एंड्रेस विसेंटबाजार गिरे या बढ़े – कैसे SIP देती है आपको फायदा, समझें रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का गणितजुलाई की छंटनी के बाद टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से कम हुईEditorial: ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में छाया स्वदेशी 4जी स्टैक, डिजिटल क्रांति बनी केंद्रबिंदुबैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटीपूंजीगत व्यय में इजाफे की असल तस्वीर, आंकड़ों की पड़ताल से सामने आई नई हकीकतकफ सिरप: लापरवाही की जानलेवा खुराक का क्या है सच?माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहली बार बदला संचालन और अनुपालन का ढांचादेशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगीLG Electronics India IPO: निवेशकों ने जमकर लुटाया प्यार, मिली 4.4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां

Caste survey: हाई कोर्ट का आंकड़ों के प्रकाशन पर रोक से इनकार

उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को हरी झंडी दे दी थी। उच्चतम न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए जनवरी 2024 की तारीख तय की।

Last Updated- October 06, 2023 | 11:15 PM IST
Delhi High Court

उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार को उसके जाति आधारित सर्वेक्षण के और आंकड़े प्रकाशित करने से रोकने से इनकार करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह राज्य सरकार को कोई नीतिगत निर्णय लेने से नहीं रोक सकता।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी ने पटना उच्च न्यायालय के एक अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक औपचारिक नोटिस जारी किया। उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को हरी झंडी दे दी थी। उच्चतम न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए जनवरी 2024 की तारीख तय की।

शीर्ष न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की उन आपत्तियों को खारिज कर दिया कि राज्य सरकार ने कुछ आंकड़े प्रकाशित कर रोक आदेश की अवहेलना की और मांग की कि आंकड़ों को प्रकाशित किए जाने पर पूर्ण रोक लगाने का आदेश दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘हम अभी किसी चीज पर रोक नहीं लगा रहे हैं। हम राज्य सरकार या किसी भी सरकार को कोई नीतिगत निर्णय लेने से नहीं रोक सकते। यह गलत होगा। हम इस सर्वेक्षण को कराने के राज्य सरकार के अधिकार से संबंधित अन्य मुद्दों पर विचार करेंगे।’

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि मामले में निजता का उल्लंघन किया गया और उच्च न्यायालय का आदेश गलत है। इस पर पीठ ने कहा कि चूंकि किसी भी व्यक्ति का नाम तथा अन्य पहचान प्रकाशित नहीं की गई है, तो निजता के उल्लंघन की दलील संभवत: सही नहीं है।

न्यायालय ने कहा, ‘अदालत के लिए विचार करने का इससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण मुद्दा आंकड़ों का विवरण और जनता के लिए इसकी उपलब्धता है।’

बिहार में नीतीश कुमार नीत सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 2 अक्टूबर को अपने जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े जारी कर दिए थे। इन आंकड़ों से पता चला है कि राज्य की कुल आबादी में 63 प्रतिशत जनसंख्या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की है। आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36 प्रतिशत) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में उभरा है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है।

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इसी समुदाय से आते हैं।

हाइब्रिड मोड से इनकार नहीं हो: अदालत

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दो सप्ताह के बाद देश का कोई भी उच्च न्यायालय वकीलों और वादियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस तक पहुंच या ‘हाइब्रिड मोड (प्रत्यक्ष और डिजिटल तरीके)’ के जरिये सुनवाई करने से इनकार नहीं करेगा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल अब न्यायाधीशों की पसंद पर निर्भर नहीं है।

उच्च न्यायालयों में ‘हाइब्रिड मोड’ से सुनवाई सुनिश्चित करने में प्रौद्योगिकी के बहुत कम इस्तेमाल को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के पीठ ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए कि ऐसे तरीके समाप्त न किए जाएं।

First Published - October 6, 2023 | 11:15 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

संबंधित पोस्ट