भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप से भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में लोगों के काम करने की क्षमता पर असर हो सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो लोग आम तौर पर जितनी देर काम करते हैं वे अत्यधिक गर्मी की वजह से उतनी देर तक काम नहीं कर पाएंगे। इसके साथ ही भीषण गर्मी से मानवीय स्तर पर भी नुकसान हो सकता है।
रविवार को महाराष्ट्र में हुई घटना इसी ओर इशारा करती है। राज्य में एक सरकारी कार्यक्रम में भाग लेने आए करीब एक दर्जन लोगों की मौत लू लगने से हो गई और सैकड़ों लोग अस्तपाल में भर्ती कराए गए। एक अनुमान के अनुसार 2030 तक भीषण गर्मी से भारत में काम के कुल घंटे 6 प्रतिशत तक कम हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार भारत की तुलना में दुनिया के शेष हिस्से में गर्म हवाओं एवं अत्यधिक गर्मी से काम के घंटे थोड़े कम प्रभावित होंगे इनमें नुकसा 2.2 प्रतिशत तक सीमित रह सकता है।
चीन और अमेरिका में भीषण गर्मी से काम के घंटों में नुकसान 1 प्रतिशत से कम रह सकता है। ‘वर्किंग ऑन अ वार्मर प्लानेटः द इम्पेक्ट ऑफ हीट स्ट्रेस ऑन लेबर प्रोडक्टिविटी ऐंड डिसेंट वर्क’ शीर्षक नाम से प्रकाशित आईएलओन रिपोर्ट, 2019 में कहा गया है कि गर्म मौसम से कृषि क्षेत्र पर सर्वाधिक असर होगा, वहीं निर्माण क्षेत्र में काम के घंटे खासे कम हो जाएंगे।
काम करने के घंटे में कमी 3.4 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियां जाने के समतुल्य है। चीन और अमेरिका में यह आंकड़ा थोड़ा कम है। संसद में प्रस्तुत 18 राज्यों से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार लू वाले एवं अत्यधिक गर्म दिनों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक राज्य में अत्यधिक गर्म दिनों की संख्या बढ़ रही है। 2011 में ऐसे दिनों की कुल संख्या 40 थी। यह संख्या 2022 में बढ़कर 203 हो गई। इनमें कुछ दिनों की संख्या घट-बढ़ सकती है मगर इस संबंध में ऐसी खबरें आने का मतलब है कि देश के ज्यादातर राज्य अक्सर अत्यधिक गर्मी में झुलस रहे हैं। पिछले 12 साल के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में अत्यधिक गर्मी वाले दिनों की संख्या (145) सबसे अधिक रही। आंध्र प्रदेश में ऐसे दिनों की संख्या 111 रही और तब से राज्य में भयंकर गर्म हवाएं चल रही हैं। ओडिशा 108 दिनों के साथ इस सूची में तीसरे स्थान पर रहा।
मृदा विज्ञान मंत्रालय की भारत में जलवायु परिवर्तन की समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में समाप्त 30 वर्ष की अवधि के दौरान सर्वाधिक गर्म दिन में दर्ज तापमान 0.63 प्रतिशत बढ़ गया है। यह रिपोर्ट भारतीय उष्णदेशीय मौसम विभाग संस्थान के आर कृष्णन, जे संजय, चेलप्पन गणसीलन, मिलिंद मजूमदार, अश्विनी कुलकर्णी और सुप्रियो चक्रवर्ती ने मिलकर तैयार की है। रिपोर्ट के अनुसार यह सर्वाधिक गर्म दिन के दौरान तापमान में बढ़ोतरी इस शताब्दी के अंत तक 4.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकती है।