जेपी मॉर्गन द्वारा भारतीय बॉन्डों को अपने वैश्विक सूचकांक में शामिल किए जाने की खबरों के बाद सरकारी बॉन्डों में आई शुरुआती तेजी
आखिर में थम गई, क्योंकि डीलरों की मानें तो बाजार में इस घटनाक्रम का असर पहले ही दिख चुका है।
इसके अलावा, इसे लेकर चिंताएं हैं कि वास्तविक निवेश प्रवाह अगले साल जून में शुरू होगा, जिससे बाजार कारोबारियों का उत्साह ठंडा पड़ता दिख रहा है।
10 वर्षीय बॉन्ड पर प्रतिफल 7.19 प्रतिशत पर बंद हुआ, जो गुरुवार को 7.16 प्रतिशत था। कारोबारियों द्वारा मुनाफे में बॉन्ड बिकवाली शुरू करने से पहले प्रतिफल 7.12 प्रतिशत के साथ दिन के निचले स्तर पर पहुंच गया था।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘कारोबारी सुबह के कारोबार में बहुत ज्यादा उत्साहित हो गए थे, उन्हें बैंकों से कुछ भागीदारी की उम्मीद थी, लेकिन हम दूरी बनाए रहे।’
उन्होंने कहा, ‘बाजार में इसे लेकर उम्मीद थी कि भारतीय बॉन्ड के जेपी मॉर्गन के सूचकांक में शामिल होने के 2-3 महीने बाद निवेश प्रवाह शुरू हो जाएगा, लेकिन यह जून 2024 तक ही शुरू हो पाएगा।’
बाजार कारोबारियों का मानना है कि भारत को शामिल करने के लिए जेपी मॉर्गन के निर्णय के बाद और सूचकांकों को भी शामिल किया जा सकता है।