देश में दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) के वॉल्यूम में छह तिमाहियों के बाद सुधार नजर आया है और यह जनवरी-मार्च तिमाही में 3.1 प्रतिशत है। एनआईक्यू, जिसे पहले नीलसनआईक्यू के नाम से जाना जाता था, के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। शैंपू, साबुन से लेकर खाद्य तेलों तक की मूल्य वृद्धि 10.2 प्रतिशत रही, जो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की 7.6 प्रतिशत की तुलना में ज्यादा है।
एनआईक्यू के अनुसार, भारतीय एफएमसीजी उद्योग ने वर्ष 2023 की पहली तिमाही (जनवरी-फरवरी-मार्च) में 10.2 प्रतिशत की दो अंकों की मूल्य वृद्धि के साथ सुधार का रुख देखा है, जो पिछली तिमाही (चौथी तिमाही में 7.6 प्रतिशत) की तुलना में तेज रही। यह मूल्य वृद्धि ग्रामीण बाजारों और पारंपरिक व्यापार में खपत में सुधार से प्रेरित है, जो एक वर्ष से भी अधिक समय से दबाव में थे।
खुदरा मुद्रास्फीति में स्थिरता के अनुरूप इस तिमाही में मूल्य वृद्धि में और गिरावट आई (चौथी तिमाही में 7.9 प्रतिशत के मुकाबले पहली तिमाही में 6.9 प्रतिशत) जिससे इस तिमाही में खपत वृद्धि में सुधार हुआ। छह तिमाहियों के बाद पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक खपत वृद्धि (0.3 प्रतिशत) देखी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार की अगुआई दक्षिण (2.8 प्रतिशत) और पूर्व (3.0 प्रतिशत) क्षेत्रों द्वारा किया गया है।
शहरी बाजारों में खाद्य और गैर-खाद्य दोनों ही श्रेणियों में सकारात्मक झुकाव (अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 1.6 प्रतिशत की तुलना में जनवरी-मार्च तिमाही में 5.3 प्रतिशत) बना हुआ है। एनआईक्यू के इंडिया कस्टमर सक्सेस लीडर रूजवेल्ट डिसूजा ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि तिमाही के दौरान भीतरी इलाकों में देखी गई सकारात्मक खपत वृद्धि उत्साहजनक है, क्योंकि भारत की दो-तिहाई से अधिक आबादी देश के ग्रामीण इलाकों में रहती है। मूल्य वृद्धि के लिहाज से शहरी भारत विकास का इंजन बना हुआ है क्योंकि संगठित खुदरा क्षेत्र के आधुनिक व्यापार में ऊंचे दो अंकों की वृद्धि दिख रही है।