खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने जुलाई 2022 में संसद को बताया था कि भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने 2017 से यौन उत्पीड़न के 30 मामले दर्ज किए थे और सभी 30 मामलों में आवश्यक कार्रवाई की गई थी। हालांकि, हाल ही में भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह खिलाफ जंतर मंतर पर पहलवानों द्वारा विरोध प्रदर्शन ने इस बात का संकेत दिया कि यह मामला साई से भी कहीं बढ़कर है।
वर्तमान में सिंह सत्ताधारी पार्टी, भाजपा से सांसद हैं। सिंह के खिलाफ 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है।
यहां तक कि संसदीय समिति ने 2019 से महिला सशक्तीकरण पर रिपोर्ट जारी करते हुए यह भी कहा कि यौन उत्पीड़न के कई मामले ऐसे भी होंगे जो संज्ञान में नहीं आए होंगे। क्योंकि कई बार कोचों के खिलाफ मामले भी दर्ज नहीं किए गए होंगे या उनके खिलाफ शिकायत नहीं की गई होगी। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने अपने विश्लेषण में यह पाया कि कई वर्षों से यौन उत्पीड़न के खिलाफ जो मामले दर्ज किए जा रहे हैं उनकी संख्या एक अंक में है और महामारी के बाद से इन संख्याओं में और कमी आ गई है।
जहां 2010 से 2019 के बीच कुल 45 शिकायतें दर्ज की गई थी वहीं इनमें से 21 शिकायतें सिर्फ 2017 से 2019 के बीच दर्ज की गईं।
अगर औसतन शिकायतों की संख्या देखी जाए तो 2010 से 2016 के बीच हर साल 3.4 मामले यौन उत्पीड़न के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। इसके बाद के तीन वर्षों में यह संख्या दोगुनी बढ़ गई और औसतन सात मामले दर्ज किए गए। 2020 में सिर्फ एक शिकायत दर्ज की गई जबकि 2021 में यह बढ़कर चार हो गई। 2022 के पहले सात महीनों में चार मामले दर्ज किए गए थे।
इसका कारण खिलाडि़यों द्वारा सूचनाओं की कमी हो सकती है। 2020 की संसद की स्थायी समिति ने यह पाया कि इस सिफारिश के बावजूद कि सभी खिलाडि़यों को सूचना-पत्र जारी कर दिया जाए और उन्हें आचार-संहिता के बारे में और इसके हनन पर कैसे और कहां शिकायत दर्ज करनी है, उसकी जानकारी दी जाए, लेकिन मंत्रालय ने इस प्रक्रिया पर कोई जवाब नहीं दिया।