इस वर्ष यानी 2024 में चांदी में निवेशकों की रुचि काफी बढ़ी है और सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ETF) के प्रबंधन के अधीन परिसंपत्ति बढ़कर 5,000 करोड़ रुपये को पार कर गई। जनवरी से अब तक इस सफेद धातु में करीब 16 फीसदी की तेजी आ चुकी है।
परिसंपत्ति के आवंटन में अक्सर चांदी (Silver) को सोने के साथ ही जोड़कर देखा जाता है, लेकिन सच यह है कि कई समानताओं के बावजूद दोनों कीमती धातुओं का प्रोफाइल काफी अलग है। सोने की तरह चांदी को भी कुछ हद तक महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता से बचाव का साधन माना जाता है।
सोने की तरह चांदी का व्यापार भी आसान है और नकदी की जरूरत पर इसे तत्काल बेचा भी जा सकता है, लेकिन सोने की बिक्री या उसके बदले ऋण लेने के लिए ज्यादा पारदर्शी कॉरपोरेट तंत्र मौजूद है। इस तरह की व्यवस्था चांदी के लिए उपलब्ध नहीं है।
सोने (Gold) की तरह ही चांदी भी भारत में बड़ी मात्रा में आयात की जाती है और हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े चांदी उपभोक्ताओं में से एक है। चांदी का ज्यादातर आयात पश्चिम एशिया से होता है और इस पर 12 से 15 फीसदी का शुल्क लगता है, यह इस पर निर्भर करता है कि आयात का सटीक मार्ग कौन-सा है।
सोने की तरह चांदी का भी अमेरिकी डॉलर से विपरीत संबंध है, क्योंकि इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमतें डॉलर में निर्धारित होती हैं। डॉलर मजबूत होने पर अक्सर चांदी की कीमतों में नरमी का रुख देखा जाता है। लेकिन सोने के विपरीत चांदी का एक गंभीर औद्योगिक प्रोफाइल भी है।
सोने के सजावटी गुण के अलावा देखें तो इसका बहुत ही सीमित औद्योगिक या वैज्ञानिक अनुप्रयोग है और ऐसे उद्देश्यों के लिए 15 फीसदी से कम सोने का ही इस्तेमाल होता है। इसके विपरीत सालाना चांदी खपत का आधे से ज्यादा हिस्सा औद्योगिक जरूरतों के लिए होता है और यह मांग बढ़ते ही जाना है क्योंकि इसका स्वास्थ्य देखभाल और ‘हरित’ उद्योगों में इस्तेमाल हो रहा है।
चांदी (Silver) के औद्योगिक अनुप्रयोगों में इसकी उच्च चालकता (जो कि बिजली और ताप दोनों के लिए किसी भी तत्त्व में सबसे ज्यादा है), प्रकाश के प्रति इसकी संवेदनशीलता और इसके जीवाणुरोधी गुणों का फायदा उठाया जाता है। सोल्डर, वेल्डिंग और ब्रेजिंग अलॉय में चांदी का इस्तेमाल कच्चेमाल के तौर पर किया जाता है।
इसी तरह, बैटरियों और दंत चिकित्सा में भी इसका इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर किया जाता है। दवाओं, सौर ऊर्जा, रेडिया फ्रेक्वेंसी पहचानने वाले चिप, सेमीकंडक्टर, सेलफोन टच स्क्रीन, जल शोधन प्रणाली आदि में इस्तेमाल होने की वजह से चांदी की मांग बढ़ती जा रही है।
अकेले सौर ऊर्जा/फोटोवोल्टिक उद्योग द्वारा उत्पन्न मांग 12 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़ रही है, जबकि चिप संबंधी चांदी की खपत भी तेजी से बढ़ रही है। इसी तरह जल शोधन प्रणालियों और अन्य जीवाणुरोधी अनुप्रयोगों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
ऐसे कई अनुप्रयोग उन उद्योगों से जुड़े हैं जिनमें काफी मजबूत और दीर्घकालिक वृदि्ध होती है। इसलिए निवेशकों को चांदी में निवेश और परिसंपत्ति आवंटन पर विचार करने से पहले इसकी औद्योगिक प्रोफाइल और औद्योगिक उपयोगिता की वजह से मांग में बढ़त की संभावना को जरूर ध्यान में रखना चाहिए। तर्कसंगत रूप से, चांदी को अधिक आकर्षक प्लेटिनम की तरह ही एक औद्योगिक धातु माना जा सकता है, जिसका कई औद्योगिक अनुप्रयोग भी होता है।
महंगाई से निपटने की क्षमता की वजह से सोना आर्थिक चक्र से जुड़ा हुआ है, लेकिन कई औद्योगिक इस्तेमाल की वजह से चांदी का वृहद अर्थव्यवस्था के साथ ज्यादा जटिल रिश्ता है। सोने की आपूर्ति भी काफी सीमित होती है।
वित्तीय सलाहकार अक्सर यह सुझाव देते हैं कि विविधता के लिए परिसंपत्ति आवंटन का एक छोटा हिस्सा सोने में होना चाहिए- किसी व्यक्ति के पोर्टफोलियो का 5 से 10 फीसदी। चांदी को भी पोर्टफोलियो में रखने की सलाह दी जाती है, क्योंकि महंगाई से बचाव में यह भले कम कारगर है, लेकिन इसका औद्योगिक प्रोफाइल भी है।
वैसे तो, अल्पकालिक अवधि की बात करें तो चांदी की कीमतों में नरमी आ सकती है, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज कटौती में देरी का अनुमान है। लेकिन वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में सुधार से, खासकर ऊपर उल्लिखित उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में, इसमें समझदार निवेशकों की रुचि बनी रहने की संभावना है।