भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पाया है कि बड़े वाणिज्यिक बैंकों के निदेशक मंडल (बोर्ड) में एक या दो सदस्यों का ‘अत्यधिक दबदबा’ रहता है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor) ने सोमवार को कहा कि बैंकों को इस चलन को ठीक करने की जरूरत है।
दास ने रिजर्व बैंक द्वारा आयोजित एक बैठक में शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के निदेशकों को संबोधित करते हुए कहा कि बोर्ड में चर्चा स्वतंत्र, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘बोर्ड के एक या दो सदस्यों, चेयरमैन या वाइस-चैयरमैन का अत्यधिक प्रभाव या दबदबा नहीं होना चाहिए। हमने ऐसा बड़े वाणिज्यिक बैंकों में भी देखा है। जहां भी हमने ऐसा देखा, हमने बैंक से कहा कि यह सही तरीका नहीं है।’
उन्होंने कहा कि सभी निदेशकों को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए और किसी मामले पर किसी विशेष निदेशक की बात अंतिम नहीं होनी चाहिए। दास ने एक अच्छी तरह से काम करने वाले बोर्ड के महत्त्व का जिक्र करते हुए यह बात कही। हालांकि उन्होंने इसके बारे में अधिक विस्तार से नहीं बताया।
भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में बीते वर्षों में येस बैंक में समस्याएं आई थी, जिसे एसबीआई के नेतृत्व में की गई पहल से उबारा गया। इस कार्रवाई को रिजर्व बैंक और सरकार का समर्थन था।
बैंक में अनियमिता के मामले में येस बैंक के सह संस्थापक राणा कपूर को गिरफ्तार किया गया था, जो बैंक के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक थे।
इस महीने की शुरुआत में कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वह गैर कार्यकारी बोर्ड सदस्य बने रहेंगे।
दास ने कहा कि यूसीबी के डायरेक्टरों को बैंकिंग के विभिन्न पहलुओं जैसे जोखिम प्रबंधन, सूचना तकनी आदि में विशेषज्ञता होनी चाहिए। उन्होंने निदेशकों से अनुरोध किया कि एक एजेंडा नोट तैयार करें। दास ने कहा कि प्रबंध निदेशक को सही और गलत के मुताबिक काम करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, साथ ही निदेशकों के लिए यह भी जरूरी है कि उनकी शंकाओं का समाधान हो।
शहरी बैंकों का एनपीए ज्यादा
दास ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) में कुल 8.7 प्रतिशत गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) अनुपात को लेकर केंद्रीय बैंक ‘सहज नहीं’ है।
उन्होंने शहरी सहकारी बैंकों से इस अनुपात को बेहतर करने के लिए काम करने को कहा। दास ने आग्रह किया कि ऐसे ऋणदाताओं को काम करने के तरीके में सुधार करना चाहिए, संबंधित-पक्ष से लेनदेन से बचना चाहिए और अन्य बातों के अलावा कर्ज जोखिमों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
यूसीबी क्षेत्र कई चुनौतियों से भरा हुआ है, जैसा कि हाल में पंजाब ऐंड महाराष्ट्र बैंक में भी देखा गया। दास ने यूसीबी के निदेशकों से कहा कि बैंक जमाकर्ताओं पर चलते हैं और मध्यम वर्ग, गरीबों तथा सेवानिवृत्त लोगों की मेहनत की कमाई की सुरक्षा किसी मंदिर या गुरुद्वारे में जाने से कहीं अधिक पवित्र है। उन्होंने कहा कि समग्र स्तर पर कुल तस्वीर अच्छी दिखती है। हालांकि, जीएनपीए और पूंजी पर्याप्तता पर स्थिति ‘बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं’ है।