जुलाई में भी रुपया स्थिर रहा, जो डॉलर के मुकाबले 0.26 प्रतिशत कमजोर हुआ। इसमें कभी कभी अस्थिरता भी नजर आई और केंद्रीय बैंक को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा।
माह के अंतिम कारोबारी दिन भारतीय रुपया 82.25 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो इसके पहले दिन 82.26 पर बंद हुआ था। रुपये का कारोबार 82.18 से 82.30 की संकरी सीमा में हुआ। तेल कंपनियों ने इसकी खरीद जारी रखी, जबकि अन्य ने डॉलर की बिक्री की।
रुपया इस वित्त वर्ष में अब तक स्थिर
2022-23 में डॉलर के मुकाबले 7.77 प्रतिशत की गिरावट के बाद रुपया इस वित्त वर्ष में अब तक स्थिर रहा है, जबकि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार से मुनाफा कमाया है।
21 जुलाई 2023 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 607 अरब डॉलर रहा, जो 30 दिसंबर, 2022 को 562 अरब डॉलर था। आने वाले वक्त में तेल की कीमत में बढ़ोतरी को भारतीय मुद्रा की राह में व्यवधान के रूप में देखा जा रहा है।
एफपीआई निवेश भी पिछले 3 दिन में सुस्त
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल भंसाली ने कहा, ‘भारतीय रुपये की सबसे बड़ी समस्या तेल की बढ़ती कीमत है, जो सऊदी की कटौती के कारण हो रहा है। अब यह 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है, जिसकी वजह से भारत में व्यापार घाटे और चालू खाते के घाटे की वजह बन सकता है।’
भंसाली ने कहा कि एफपीआई निवेश भी पिछले 3 दिन में सुस्त रहा है और पिछले 15 दिन में 3.2 अरब डॉलर आया है, जो पहले के 8 अरब डॉलर से कम है, लेकिन भी सकारात्मक स्थिति है।