भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा न्योता ठुकराने वाली कांग्रेस को गुरुवार को आड़े हाथों लिया। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस का यह कदम इस बात का सबूत है कि पार्टी ‘भारत की संस्कृति और हिंदू धर्म के हमेशा खिलाफ रही है’।
जवाब में कांग्रेस ने कहा कि चारों शंकराचार्यों ने भी इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार किया है और कहा है कि प्रधानमंत्री संघ परिवार का राजनीतिक एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए अधूरे मंदिर का उद्घाटन करेंगे, जो हिंदू परंपरा के विरुद्ध है।
बहरहाल कांग्रेस के उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय नेताओं के बीच इस बात पर विरोध साफ नजर आया। उसके सहयोगियों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि बांग्ला को प्राचीन भाषा माना जाए।
उन्होंने राज्य में हर साल होने वाले गंगासागर मेला को ‘राष्ट्रीय मेला’ का दर्जा देने का अनुरोध करते हुए मोदी को इस धार्मिक मेले में आने का न्योता दिया। ममता भी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जा रही हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘ धर्म निजी होता है, त्योहार सबके लिए होते हैं।’ ममता बनर्जी 2011 … इससे बड़ा सच कोई नहीं’।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बुधवार को कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष कमलनाथ और उनके सांसद पुत्र नकुलनाथ ने सिमरिया स्थित हनुमान मंदिर में पूजा की तथा 108-108 बार भगवान राम का नाम कागज पर लिखा। नकुलनाथ ने कहा हर व्यक्ति 108 बार भगवान राम का नाम लिखेगा। 4.31 करोड़ राम नाम वाले ये कागज इकट्ठे किए जाएंगे और 22 जनवरी को 2 बसों में अयोध्या भेजे जाएंगे।
पीटीआई के मुताबिक कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के शीर्ष नेता और 100 कार्यकर्ता 15 जनवरी को मकर संक्राति मनाने मंदिर जाएंगे। अजय राय ने कहा, ‘कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है। राज्य के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मैं भी तय कार्यक्रम के अनुसार अयोध्या जाउंगा।’ उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का कार्यक्रम अलग है।
कांग्रेस की केरल इकाई ने गुरुवार को कहा कि भाजपा के भगवान राम ‘राजनीति की उपज’ हैं। केरल इकाई ने आमंत्रण ठुकराने के कांग्रेस नेतृत्व के फैसले का समर्थन किया। बेंगलूरु में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि भाजपा और संघ परिवार ने एक धार्मिक आयोजन को पार्टी कार्यक्रम में बदल कर 140 करोड़ भारतीयों का अपमान किया है।
उन्होंने राम मंदिर पर शैव शाक्त संप्रदायों का कोई अधिकार नहीं होने के मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय के बयान का हवाला देते हुए कहा कि इससे विवाद पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि खबर है कि शंकराचार्यों ने राजनीति के लिए राम मंदिर के दुरुपयोग के विरोध में प्राण प्रतिष्ठा का बहिष्कार किया है। इससे विवाद पैदा हो गया है। अगर यह सच है तो समूचे शैव संप्रदाय का अपमान है।
इस बीच संघ परिवार से जुड़े लोग जनता से 22 जनवरी को नजदीकी मंदिरों में उत्सव मनाने का अनुरोध कर रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के कार्यवाहक अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने सुरुचि प्रकाशन से छपी दो भागों वाली कॉमिक जारी की जिसमें राम मंदिर निर्माण के संघर्ष का ब्योरा है। उन्होंने कहा कि यह कॉमिक जल्द ही क्षेत्रीय भाषाओं में भी आएगी।
भाजपा के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘ जब भी इतिहास का पन्ना पलटेंगे तो पाएंगे कि कांग्रेस ने इसका साथ देने के बजाय हमेशा बहिष्कार किया। उन्होंने नए संसद भवन के उद्घाटन, जीएसटी क्रियान्वयन, राष्ट्रपति रहते हुए रामनाथ कोविंद और द्रौपदी मुर्मू द्वारा संसद के संबोधन जैसी घटनाओं की याद दिलाई।’