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पिछला प्रदर्शन देखकर ही चुनें NPS के फंड मैनेजर

जानकार आगाह करते हैं कि निवेशकों को महज इसी कारण से ऐक्टिव चॉइस मॉडल नहीं अपनाना चाहिए। मॉडल वही चुनें जो आपके लिए सही हो।

Last Updated- December 11, 2023 | 12:41 AM IST
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पहले राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के सबस्क्राइबर यानी ग्राहक चारों परिसंपत्ति वर्गों के लिए सिर्फ एक पेंशन फंड मैनेजर (पीएफएम) रख सकते थे।

मगर पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने इस नवंबर में परिपत्र जारी कर एनपीएस ऑल सिटिजन मॉडल एवं एनपीएस कॉरपोरेट मॉडल (टियर-1 फंड) के ग्राहकों और टियर-2 फंड के सभी ग्राहकों को तीनों वर्गों – इक्विटी (ई), कॉरपोरेट बॉन्ड (सी) और सरकारी बॉन्ड (जी)- के लिए अलग-अलग पेंशन फंड मैनेजर रखने की इजाजत दे दी है। नए ग्राहक एनपीएस में पंजीकृत होने के तीन महीने के बाद इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।

यह सुविधा ऐक्टिव चॉइस असेट अलोकेशन मॉडल चुनने वाले ग्राहकों के लिए ही है। ऑटो चॉइस मॉडल वालों को सभी वर्गों में एक ही पेंशन फंड मैनेजर से काम चलाना होगा।

जानकारों के मुताबिक एनपीएस हमेशा से खुली प्रणाली माना गया था, जिसमें ग्राहकों को रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसियों, परिसंपत्ति वर्गों और पेंशन फंड मैनेजर जैसी सेवाओं के विकल्प दिए गए थे ताकि उन्हें अधिक से अधिक विकल्प मिल सकें।

टाटा पेंशन मैनेजमेंट के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) कुरियन जोस ने कहा, ‘समझदार ग्राहक अब सभी पेंशन फंड मैनेजर का पिछला प्रदर्शन, निवेश शैली और नजरिये के आधार पर हर परिसंपत्ति वर्ग के लिए अलग मैनेजर चुन सकेगा।’

अक्सर हरेक परिसंपत्ति वर्ग में अलग-अलग पेंशन फंड मैनेजर का प्रदर्शन बेहतरीन होता है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन बताते हैं, ‘पहले निवेशक पेंशन फंड मैनेजर या तो उस ब्रांड के हिसाब से चुनते थे, जो उन्हें सही लगता था या उनकी परिसंपत्ति वर्ग का प्रदर्शन देखकर चुनते थे। अब वे अलग-अलग परिसंपत्ति वर्गों में अलग-अलग पेंशन फंड मैनेजर के बेहतर प्रदर्शन का लाभ उठा सकेंगे।’

केफिन टेक्नोलॉजीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (NPS) राजेश खंडागले को लगता है कि यह कदम निवेशकों को अलग-अलग फंड मैनेजर चुनने की सहूलियत देकर सशक्त बनाएगा। इस कदम से पेंशन फंड मैनेजरों के बीच होड़ भी बढ़ सकती है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) में पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव कहते हैं, ‘फंड मैनेजर अब यह नहीं मान सकते कि यह उनकी अपनी रकम है। अगर वे बेहतर प्रदर्शन नहीं करेंगे तो पैसा उनके पास से जा भी सकता है।’

अधिक विकल्पों से आजादी मिलती है मगर सही विकल्प चुनने का सिरदर्द भी आ जाता है। सभी लोग इसमें माहिर नहीं होते और पिछला अच्छा प्रदर्शन भविष्य में भी बढ़िया प्रदर्शन की गारंटी नहीं होता। राघव कहते हैं, ‘यह सक्रिय रूप से संभाले जा रहे फंड हैं। आप पिछला प्रदर्शन देखकर कोई फंड मैनेजर चुन लीजिए मगर हो सकता है कि अगले पांच साल में कोई और मैनेजर बेहतरीन प्रदर्शन कर डाले।’

यह भी ध्यान रहे कि तीन पेंशन फंड मैनेजर चुनने की सुविधा ऐक्टिव चॉइस मॉडल वाले निवेशकों को ही मिलेगी। मगर जानकार आगाह करते हैं कि निवेशकों को महज इसी कारण से ऐक्टिव चॉइस मॉडल नहीं अपनाना चाहिए। मॉडल वही चुनें जो आपके लिए सही हो।

ऑटो चॉइस उनके लिए सही है जो अपने पैसे खुद नहीं संभाल सकते। जो अपनी परिसंपत्ति आवंटन का सही फैसला नहीं कर सके और समय समय पर उसे संतुलित नहीं कर सकते, उन्हें ऑटो चॉइस के तहत स्वचालित तंत्र की जरूरत होती है। धवन ने कहा, ‘अगर आप भी ऐसे ही निवेशक हैं तो आपको ऑटो चॉइस विकल्प पर ही रहना चाहिए।’

धवन के हिसाब से पेंशन फंड मैनेजर चुनते समय लंबी अवधि के उनके प्रदर्शन को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। आंकड़े देखें और पिछड़े मैनेजरों से दूर रहें। फिर सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले को चुनें या भरोसेमंद प्रदर्शन वाले ब्रांड का मैनेजर चुनें। पेंशन फंड मैनेजर का प्रदर्शन हर छमाही देखें। धवन की राय है कि दो साल तक प्रदर्शन खराब रहे तो मैनेजर बदल दें।

ऐक्टिव चॉइस विकल्प वालों को पूरे पोर्टफोलियो का आवंटन देखना चाहिए। धवन का कहना है कि एनपीएस के भीतर विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में आपका आवंटन पूरे पोर्टफोलियो आवंटन के अनुरूप होना चाहिए। साथ ही फंड मैनेजर कोई भी चुनें पोर्टफोलियो का प्रदर्शन परिसंपत्ति आवंटन पर ही निर्भर करता है। अंत में जोस की राय है कि मैनेजर केवल इसीलिए मत बदल डालें कि अलग-अलग पेंशन फंड मैनेजर चुनने की सुविधा मिल गई है।

First Published - December 11, 2023 | 12:41 AM IST

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