चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीने (अप्रैल-अगस्त) के दौरान देश की 54 बड़े केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और 5 विभागीय इकाइयों का पूंजीगत व्यय उनके सालाना लक्ष्य का 42.5 प्रतिशत हो गया है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी है। इन उपक्रमों का सालाना लक्ष्य 100 करोड़ रुपये से ऊपर तय किया गया है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में इन उपक्रमों का सालाना पूंजीगत व्यय लक्ष्य 7.33 लाख करोड़ रुपये रखा है।
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार बुनियादी ढांचा क्षेत्र और रिफाइनरी के बड़े सार्वजनिक उपक्रमों को वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही तक लक्ष्य का 90 प्रतिशत खर्च करने के लिए दबाव दे रही है।’
सीपीएसई के इस समूह का पूंजीगत व्यय अब तक अप्रैल-अगस्त के दौरान 3.1 लाख करोड़ रुपये के करीब रहा है। यह वित्त वर्ष 23 की समान अवधि के 2.77 लाख करोड़ रुपये व्यय की तुलना में करीब 37 प्रतिशत ज्यादा है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 23 के संशोधित लक्ष्य 6.46 लाख करोड़ रुपये की तुलना में पूंजीगत व्यय का लक्ष्य वित्त वर्ष 24 में 13.4 प्रतिशत बढ़ा दिया है।
वित्त वर्ष 23 के दौरान इन सीपीएसई और विभागीय इकाइयों ने पूरे साल के दौरान 6.46 लाख करोड़ रुपये संशोधित लक्ष्य का 100.5 प्रतिशत खर्च किया था।
वित्त वर्ष 24 के पहले 5 महीने के दौरान एनएचएआई ने करीब 75,168 करोड़ रुपये (46.4 प्रतिशत) खर्च किया है, जबकि उसका सालाना व्यय का लक्ष्य 1.62 लाख करोड़ रुपये है।
वहीं इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) ने अपने 30,395 करोड़ रुपये सालाना पूंजीगत व्यय लक्ष्य का 51 प्रतिशत खर्च किया है। रिफाइनरी क्षमता बढ़ाने के लिए पाइपलाइन परियोजनाओं पर काम करने के कारण इंडियन ऑयल का खर्च तेजी से बढ़ा है।
समर्पित माल ढुलाई गलियारा निगम (डीएफसीसीआईएल) और कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (केएमआरसीएल) को छोड़कर रेलवे बोर्ड ने अपने 2.44 लाख करोड़ रुपये सालाना लक्ष्य में से 1.13 लाख करोड़ रुपये (46.6 प्रतिशत) खर्च किए हैं।
अधिकारियों ने आगे कहा कि सीपीएसई पूंजीगत लक्ष्य को गंभीरता से ले रहे हैं, जिससे कि सरकार उनका मूल्यांकन कर सके और प्रदर्शन के आधार पर भुगतान तय कर सके।
भारत के सबसे बड़े कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादक ओएनजीसी ने पहले 4 महीने के दौरान करीब 12,791 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि उसका सालाना पूंजीगत लक्ष्य 30,125 करोड़ रुपये है। एनटीपीसी ने अपने सालाना व्यय लक्ष्य 22,454 करोड़ रुपये का 29 प्रतिशत खर्च किया है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने क्रमशः 6,024 करोड़ रुपये (59 प्रतिशत) और 3,278 करोड़ रुपये (33 प्रतिशत) खर्च किया है।
ईंधन के खुदरा कारोबारी और रिफाइनरी कंपनियों आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल के पूंजीगत व्यय का लश्र्य 67 प्रतिशत बढ़ा है और यह वित्त वर्ष 23 के 30,293 करोड़ रुपये की तुलना में वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 50,605 करोड़ रुपये हो गया है।
पेट्रोलियम कैपेक्स में वृद्धि से तेल शोधन संयंत्रों को उत्सर्जन मानक पूरा करने में भी मदद मिलेगी और साथ ही वे अपने रणनीतिक भंडार भी आंशिक रूप से बढ़ा सकेंगी।
इन सीपीएसई के पूंजीगत व्यय का आंकड़ा हर महीने प्रधानमंत्री कार्यालय में समीक्षा के लिए भेजा जाता है। केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था की पूंजीगत व्यय पर आधारित रिकवरी पर ध्यान केंद्रित कर रही है और निजी क्षेत्र द्वारा व्यय कम करने के कारण वह खजाना खोल रही है।