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निर्यात मूल्य में कटौती के बाद बासमती चावल की कीमत में सुधार

बासमती का उत्पादन कम होने की अटकलों के कारण दामों में सुधार आया है जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकता है।

Last Updated- November 07, 2023 | 11:01 PM IST
बासमती चावल के निर्यात

न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) कम होने के कारण बासमती के मूल्य में सुधार आया है। बाजार के सूत्रों के अनुसार फसल सत्र 2023-24 में उम्मीद से कम होने के अनुमान और निर्यात फिर से शुरू करने की अटकलों के बीच बासमती के मूल्य में सुधार आया है। बासमती का मूल्य बीते कुछ हफ्तों से कम चल रहा था।

बासमती का उत्पादन कम होने की अटकलों के कारण दामों में सुधार आया है जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकता है। दरअसल, उच्च एमईपी के कारण दाम गिरने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था।

कुछ मंडियों में भी बासमती की खरीदारी भी प्रभावित हुई थी। इसका कारण यह था कि निर्यातकों ने किसानों ने खरीदारी रोक दी थी।

कारोबार और बाजार के सूत्रों के मुताबिक एमईपी 1,200 डॉलर प्रति टन किए जाने के कारण बासमती का दाम गिर गया था। हाल यह था कि कुछ हफ्ते पहले तक बासमती की कुछ किस्मों का मूल्य 3,300-3,400 प्रति क्विंटल तक था।

हालांकि अब फिर 4,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। बीते कुछ हफ्तों से ज्यादातर उगाई जाने वाली किस्म पूसा-1121 बासमती चावल का मूल्य 4,600 रुपये प्रति क्विंटल के इर्द-गिर्द है। भारत में बासमती चावल का उत्पादन 80 लाख से 90 लाख टन के करीब होने का अनुमान है।

इसमें से सालाना आधा निर्यात हो जाता है। भारत ने वित्त वर्ष 23 में 1.78 करोड़ टन गैर बासमती और 46 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था। निर्यात किए जाने वाले गैर बासमती चावल में 78 लाख से 80 लाख परमल चावल था। अल नीनो के प्रभाव के कारण वैश्विक स्तर पर चावल के दाम बढ़ गए थे।

इससे सबसे अधिक प्रभावित एशिया के देश हुए हैं। सरकार ने बीते महीने 1200 डॉलर प्रति टन के मूल्य से नीचे की बासमती चावल की खेप को मंजूरी देनी शुरू कर दी थी। ऐसा करके सरकार ने बासमती के निर्यात को कम करने का संकेत दिया था।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अक्टूबर में प्रकाशित समाचार के अनुसार केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यात संवर्द्धन निकाय एपीडा को जानकारी दी थी, ‘बासमती चावल के निर्यात के समझौतों के मूल्य की सीमा 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन करने का फैसला किया गया है।’

सरकार ने 27 अगस्त को 1,200 डॉलर प्रति टन से कम के बासमती चावल के निर्यात की अनुमति नहीं देने का फैसला किया था ताकि प्रीमियम बासमती चावल की आड़ में सफेद गैर बासमती चावल की संभावित ‘अवैध’ खेप को रोका जा सके। इसके बाद 15 अक्टूबर की अधिसूचना से इस अवधि को अनिश्चित अवधि तक बढ़ा दिया गया था।

First Published - November 7, 2023 | 11:01 PM IST

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