सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्ति समिति ने कहा है कि बाजार नियामक सेबी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को 24 जनवरी को प्रकाशित हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद शॉर्ट सेलिंग और मुनाफा कमाने का प्रमाण मिला है और शॉर्ट सेलिंग में शामिल 6 इकाइयों की जांच की जा रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘प्रवर्तन निदेशालय ने पाया है कि संभावित उल्लंघन और हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने से ठीक पहले खास पक्षों द्वारा बिकवाली के बारे में खुफिया जानकारी मिली है। सेबी को प्रतिभूति कानूनों के तहत ऐसी गतिविधियों की जांच करनी चाहिए।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी ने पता लगाया है कि कुछ इकाइयों ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले शॉर्ट पोजीशन बनाए थे और यह रिपोर्ट प्रकाशित होने से कीमतें गिरने पर मुनाफा कमाया। सेबी के अनुसार, संदिग्ध कारोबार 6 इकाइयों द्वारा किया गया, जिनमें चार एफपीआई, एक कॉरपोरेट निकाय, और एक व्यक्ति शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सेबी ने यह भी पाया है कि कुछ इकाइयों ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले शॉर्ट पोजीशन (खरीदारी की) बनाए और रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद कीमतों में भारी गिरावट पर इन्हें बेच दिया।’इस बारे में विस्तृत जांच सेबी द्वारा की जा रही है।
समिति ने कहा कि ये जांच अभी चल रही हैं और इसलिए समिति ने इस मामले में कोई राय नहीं जाहिर की है। समिति ने कहा है, ‘यह कहना उचित है कि इस संबंध में नियामकीय विफलता का पता लगाना संभव नहीं है, क्योंकि सेबी ऊंची कीमतों और कारोबार में उतार-चढ़ाव का पता लगाने के लिए सक्रिय और सक्षम निगरानी ढांचे से संपन्न है, और इस बारे में ऐसी निगरानी से हासिल आंकड़ों का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि क्या स्वाभाविक मूल्य प्रक्रिया की अखंडता के साथ किसी तरह की हेरफेर हुई। ’
शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय की रिपोर्ट आने के बाद, हिंडनबर्ग रिसर्च को भेजे गए ईमेल संदेश पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।