वित्त वर्ष 2022-23 यात्री वाहन व वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र के लिए शानदार वर्ष रहा है जबकि दोपहिया व ट्रैक्टर में बढ़त की रफ्तार में सुस्ती जारी रही। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़त की रफ्तार ज्यादातर वाहन क्षेत्रों में सुस्त रह सकती है।
इक्रा के अनुमान के मुताबिक, यात्री वाहन उद्योग साल की समाप्ति 24 फीसदी की बढ़त यानी 38 लाख वाहनों के साथ करेगा, जो एक रिकॉर्ड वर्ष होगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग्स) शमशेर दीवान ने कहा, महामारी के दौरान यात्री वाहनों की मांग करीब-करीब शांत रहने के बाद मांग निकली है।
दीवान ने कहा, साल के दौरान इसका समाधान मोटे तौर पर हो गया है और डीलरों के पास अब खासी इन्वेंट्री है। इसलिए आने वाले समय में यानी अगले वित्त वर्ष में मांग में कुछ नरमी देखने को मिल सकती है।
यात्री वाहन क्षेत्र सेंटिमेंट से आगे बढ़ने वाला क्षेत्र है और आईटी में छंटनी, आर्थिक मंदी के अलावा शेयर बाजार बेहतर नहीं कर रहे हैं और ये चीजें मांग पर असर डालेंगी।
कुछ मॉडलों पर छूट फिर से मिलने लगी है और डीलरों व फाइनैंसरों के साथ हुई बातचीत से पता चला है कि इन्वेंट्री का स्तर बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 23-24 में यात्री वाहन क्षेत्र की बढ़त की रफ्तार 6 से 9 फीसदी तक हो सकती है।
देश की सबसे बड़ी यात्री वाहन कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया इससे सहमत है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी (बिक्री व विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, वित्त वर्ष 23 में यात्री वाहनों की बिक्री 26 फीसदी की बढ़त के साथ रिकॉर्ड 38 लाख वाहन रह सकती है। वित्त वर्ष 24 में हालांकि उद्योग वॉल्यूम में 5 से 7 फीसदी की बढ़त की उम्मीद कर रहा है।
वाणिज्यिक वाहनों के मामले में रीप्लेसमेंट मांग से इस वित्त वर्ष में इस क्षेत्र को 26 फीसदी की बढ़त दर्ज करने में मदद की है और करीब 10 लाख वाहन रहा है। दीवान ने कहा, करीब तीन साल तक बेड़ों को बदलने का बहुत ज्यादा काम नहीं हुआ।
इक्रा के विश्लेषण से पता चलता है कि मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों की भारत में उम्र अब करीब 9.5 साल है। रीप्लेसमेंट मांग ने 23-24 में बिक्री बढ़ाई है, लेकिन दीवान को लगता है कि अगले वित्त वर्ष में इसकी रफ्तार 7 से 10 फीसदी रह सकती है।
मूल उपकरण विनिर्माताओं को हालांकि उम्मीद है कि बुनियादी ढांचे पर खर्च मांग में इजाफा जारी रखेगा।
अशोक लीलैंड के प्रमुख (मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहन कारोबार) संजीव कुमार ने कहा, ऑटोमोटिव मिशन प्लान 2026 का इरादा भारतीय वाहन उद्योग की वैल्यू जीडीपी के 12 फीसदी पर ले जाने का है और उस वर्ष तक 6.5 करोड़ नए रोजगार के सृजन का भी। इस तरह से भारत विश्व में वाहनों व कलपुर्जों की इंजीनियरिंग, विनिर्माण व निर्यात के मामले में तीन वैश्विक दिग्गजों में शामिल हो जाएगा। भारत मे वाणिज्यिक वाहनों का बाजार वित्त वर्ष 24 में वित्त वर्ष 2019 के उच्चस्तर के पार निकल सकता है।
कुमार ने कहा कि मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहन उद्योग का वॉल्यूम पिछले साल के मुकाबले 53 फीसदी ज्यादा है। उन्हें उम्मीद है कि मालभाड़े की स्थिर दरें और जिंसों की मजबूत आवाजाही बढ़ते ब्याज दर के असर को करीब-करीब समाप्त कर सकती हैं।
उन्होंने कहा, बसों का वॉल्यूम मुख्य रूप से स्कूलों, कार्यालयों के खुलने और एक से दूसरे शहरों की यात्रा शुरू होने से बढ़ी। टियर 2 व टियर-3 शहरों ने भी ई-कॉमर्स की तेजी का अनुभव किया है, जो हल्के वाणिज्यिक वाहनों की स्थिर मांग में इजाफा कर रहा है ताकि समय पर डिलिवरी हो सके।
एक क्षेत्र के तौर प दोपहिया पिछड़ रहा है। वास्तव में वित्त वर्ष 23 का वॉल्यूम वित्त वर्ष के वॉल्यूम का करीब 90 फीसदी रहा है। दीवान ने कहा, हम इस क्षेत्र में वॉल्यूम में सुधार की उम्मीद वित्त वर्ष 25 से कर रहे हैं। दोपहिया के ग्राहक कीमत के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं।
महामारी के दौरान छंटनी, सामान्य महंगाई और ब्याज दर में बढ़ोतरी से ग्राहकों की क्रय शक्ति प्रभावित हुई है, साथ ही दोपहिया की कीमतें भी सुरक्षा व उत्सर्जन मानकों के कारण काफी बढ़ी हैं।
इक्रा के मुताबिक, ट्रैक्टरों की वृद्धि की रफ्तार इस वित्त वर्ष में 7 से 9 फीसदी रही है। लगातार चार साल तक अच्छे मॉनसून के कारण इस क्षेत्र की रफ्तार काफी अच्छी रही है। इस साल अल नीनो का मॉनसून पर असर वित्त वर्ष 24 की कुछ मांग पर असर डाल सकता है, ऐसे में हम सतर्क परिदृश्य को बरकरार रखे हुए हैं। इक्रा को इस क्षेत्र की बढ़त की रफ्तार 0 से 2 फीसदी या स्थिर रहने का अनुमान है।