अगर आप ChatGPT से बात करते हुए “प्लीज़” और “थैंक यू” जैसे शिष्टाचार वाले शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, तो आप अकेले नहीं हैं—और यह आदत OpenAI को करोड़ों का बिल थमा रही है!
OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में एक दिलचस्प खुलासा किया है। एक यूजर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर सवाल किया, “OpenAI को ChatGPT यूजर्स के ‘please’ और ‘thank you’ कहने की वजह से बिजली खर्च में कितना नुकसान हुआ होगा?”
इस पर ऑल्टमैन ने चुटीले अंदाज़ में जवाब दिया—दर्जनों मिलियन डॉलर—अच्छे खर्च में गए। आप कभी नहीं जानते।
हालांकि यह बात सुनने में मामूली लग सकती है, लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसे छोटे-छोटे शिष्टाचार वाक्य भी ChatGPT को अलग से प्रोसेस करने पड़ते हैं।
AI की बढ़ती ताकत के साथ बढ़ी बिजली की भूख
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तेज़ी से बढ़ती मांग अब वैश्विक बिजली खपत के आंकड़ों को भी प्रभावित कर रही है। ChatGPT जैसे AI मॉडल्स को चलाने वाले डेटा सेंटर पहले ही दुनियाभर में कुल बिजली खपत का लगभग 2% हिस्सा अकेले निगल रहे हैं। Goldman Sachs की एक रिपोर्ट के अनुसार, ChatGPT-4 की हर एक क्वेरी में औसतन 2.9 वॉट-ऑवर बिजली की खपत होती है, जो एक सामान्य गूगल सर्च की तुलना में करीब 10 गुना ज्यादा है।
OpenAI रोजाना 1 अरब से ज्यादा क्वेरीज प्रोसेस करता है, जिससे अनुमानित तौर पर प्रतिदिन करीब 29 लाख यूनिट (किलोवाट-घंटा) बिजली की खपत होती है। यह आंकड़ा छोटे देशों की दैनिक खपत के बराबर है।
Electric Power Research Institute (EPRI) का अनुमान है कि 2030 तक अमेरिका में डेटा सेंटर्स कुल बिजली खपत का 9.1% तक इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसका बड़ा हिस्सा AI वर्कलोड्स के कारण होगा। वहीं, International Energy Agency (IEA) का मानना है कि 2030 तक विकसित देशों में बिजली मांग में जो वृद्धि होगी, उसमें 20% से ज्यादा योगदान केवल डेटा सेंटर से आएगा।
AI के इस ऊर्जा संकट को लेकर OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने भी चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि सतत ऊर्जा समाधानों के बिना AI का भविष्य टिकाऊ नहीं होगा। इसी दिशा में कदम उठाते हुए ऑल्टमैन ने न्यूक्लियर फ्यूज़न कंपनी Helion Energy और सोलर स्टार्टअप Exowatt में निवेश किया है। साथ ही, OpenAI अपने डेटा सेंटर्स की ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने और भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए लगातार काम कर रहा है।