केंद्र सरकार ने देश के 18 बड़े राजमार्गों के समीप इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण और उसका परिचालन करने के लिए प्रस्ताव मंगाया है। केंद्र सरकार का निर्णय इस तरह की व्यवस्थाओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम हो सकता है लेकिन क्या किसी के लिए स्वतंत्र रूप से इस कारोबार को करना व्यवहारिक होगा यह तय होना अभी बाकी है।
वाहन ईंधन की खुदरा कंपनियों में से एक में कार्यरत एक वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा कि ऐसे मौके पर स्वतंत्र रूप से ई-चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना करना व्यवहारिक नहीं रह गया है और मानकीकरण के साथ बैटरी बदलने का विकल्प बेहतर है।
ई-चार्जिंग कारोबार में कदम रखने का विचार कर रहे कारोबारियों को लगता है कि सड़क पर दौर रही इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या इतनी अधिक नहीं है कि चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की जाए। दूसरी ओर विनिर्माताओं को इन स्टेशनों की कमी के कारण कम उत्सर्जन करने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री प्रभावित होने का अंदेशा सता रहा है। उक्त कार्यकारी ने कहा, ‘उदाहरण के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के सबसे बड़े बाजारों में से एक दिल्ली में अभी भी कम कीमत वाले ई-रिक्शा और कलस्टर बसों का बोलबाला है जो इन स्टेशनों पर चार्ज कराने को लेकर ज्यादा इच्छुक नहीं हैं।’
भले ही राज्य सरकारों और शहरी निकायों ने नए भवनों में आवश्यक रूप से चार्जिंग का प्वाइंट बनाने का प्रावधान किया है लेकिन फिलहाल एनटीपीसी और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज (ईईएसएल) जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और ईवी सेवा देने वाले उद्यमों ने ही चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया है।
टाटा पावर जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां भी इस कारोबार में हैं लेकिन वे केवल अपने समूह की दुकानों में ही ईवी चार्जिंग की सुविधा देने तक सीमित हैं। दिल्ली के एक क्षेत्र में खुदरा बिजली की बिक्री करने वाली टाटा पावर ने इंद्रप्रस्थ गैस (आईजीएल) के स्टेशनों पर चार्जिंग प्वाइंट तैयार करने के लिए समझौता किया है लेकिन यह सौदा केवल एक स्टेशन तक ही सीमित रह गया और वह भी सफल नहीं रहा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने तीन साल पहले वैश्विक कंपनी बीपी के साथ साझेदारी में टिकाऊ ऊर्जा उपायों के क्षेत्र में उतरने की योजना की घोषणा की थी जिसमें ई-चार्जिंग और बैटरी भी शामिल था। उसने भी इस दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है।
ऐसे में, इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादक और उपयोगकर्ता चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की पहल कर रहे हैं। उदाहरण के लिए टाटा मोटर्स, टाटा पावर्स ईजेड चार्ज के जरिये यह सुनिश्चित कर रही है कि इलेक्ट्रिक वाहन के उसके खरीदारों को चार्जिंग की सुविधाएं मुहैया हो। टाटा मोटर्स और एमजी मोटर्स अपने ग्राहकों को उनके घर पर उपयुक्त चार्जिंग प्वाइंट स्थापित करने में मदद भी कर रही हैं। इनके अलावा ब्लूस्मार्ट जैसी ईवी यात्रा सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियां भी हैं जिनके पास गुरुग्राम और दिल्ली में छह परिचालन केंद्रों में 160 तेजी से चार्ज करने वाले प्वाइंट हैं। इसके सह-संस्थापक पुनीत गोयल ने कहा उनके पास देश में सबसे अधिक संख्या में तेजी से चार्ज करने वाले स्टेशन है।
गोयल ने कहा, ‘उनकी कंपनी दिल्ली और गुरुग्राम में ब्लूस्मार्ट के 366 इलेक्ट्रिक कारों के बेड़े के लिए समर्पित और बाधामुक्त चार्जिंग मुहैया कराती है। ब्लूस्मार्ट चार्ज दिसंबर तक 250 स्टेशनों पर तेजी से चार्जिंग की सुविधा मुहैया कराएगी। तब तक उसके दो और निर्माणाधीन केंद्र शुरू हो जाएंगे। 2021 तक इन स्टेशनों की संख्या गुरुग्राम, दिल्ली और नोएडा में बढ़ाकर 500 की जाएगी।’ ब्लूस्मार्ट ईवी चार्जिंग के प्रत्येक केंद्र की क्षमता 150 से 250 इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने की है। इस महीने के आरंभ में सरकार ने मुंबई-पुणे, अहमदाबाद-वडोदरा, दिल्ली-आगरा यमुना, बेंगलूरु-मैसूर, बेंगलूरु-चेन्नई, सूरत-मुंबई, आगरा-लखनऊ, ईस्टर्न पेरीफेरल और हैदराबाद-ओआरआर एक्सप्रेसवे पर ईवी चार्जिंग का बुनियादी ढांचा विकसित करने और परिचालन के लिए संगठनों को आमंत्रित किया था।
इनके अलावा दिल्ली-श्रीनगर, दिल्ली-कोलकाता, आगरा-नागपुर, मेरठ-गंगोत्री धाम, मुंबई-दिल्ली, मुंबई-पणजी, मुंबई-नागपुर, मुंबई-बेंगलूरु और कोलकाता-भुवनेश्वर राजमार्गों के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण में सरकार ईवी के उपयोग को बढ़ावा देने वाले संगठनों को पूंजी अनुदान देकर ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास को मदद देना चाहती है। इससे कारोबारी जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
