सरकार ने हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाए और बनाए जाने के तीसरे चरण (फेम-3) की आर्थिक सहायता पर काम करना शुरू कर दिया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि इसमें वैकल्पिक ईंधन से चलने वाले वाहनों को भी शामिल किया जा सकता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार फेम के अगले चरण में हाइड्रोजन और जैव-ईंधन जैसे वैकल्पिक ईंधन से चलने वाले वाहनों को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। सरकारी अधिकारियों ने कहा, ‘इस योजना का उद्देश्य पेट्रोल-डीजल से चलने वाले और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का उपयोग बंद करना तथा वैकल्पिक ईंधन वाले वाहनों को प्रोत्साहन देना है। कुल मिलाकर इसका लक्ष्य पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहन छोड़कर स्वच्छ प्रौद्योगिकी वाले वाहन अपनाए जाने को बढ़ावा देना है।’
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम ने पेट्रोल-डीजल इंजनों के विकल्प के तौर पर दुनिया भर में नौ पावरट्रेन यानी इंजनों की पहचान की है। इन विकल्पों में प्राकृतिक गैस, तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) और हाइड्रोजन जैसी गैस से चलने वाले इंजन, एथनॉल, फ्लेक्स-फ्यूल और पर्यावरण के अनुकूल अन्य सिंथेटिक ईंधनों तथा जैव-ईंधन से चलने वाले वाहन शामिल हैं। हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन तथा प्लग-इन-हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन भी इनमें शामिल हैं।
शून्य उत्सर्जन वाहन श्रेणी में बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन और फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन रखे गए हैं। इस तरह के इंजनों से पता चलता है कि उद्योग पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ परिवहन समाधान के लिए कितना संकल्पबद्ध है। सरकार इस समय फेम योजना के तहत बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों और ज्यादा हाइब्रिड वाले वाहनों पर सब्सिडी देती है।
फेम योजना के पहले दो चरणों ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की रफ्तार बढ़ाने में उल्लेखनीय भूमिका अदा की। इसकी बदौलत ही देश के वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 6 फीसदी हो गई है। 2015 में फेम के पहले चरण में सरकार ने करीब 900 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की थी और 2019 में योजना के दूसरे चरण के दौरान
सब्सिडी की कुल राशि बढ़कर करीब 10,000 करोड़ रुपये हो गई। अभी तक इस योजना के तहत 10 लाख से ज्यादा वाहनों को सब्सिडी दी जा चुकी है। सरकार फेम योजना का अगला चरण शुरू करने पर तेजी से काम कर रही है मगर यह तय नहीं है कि योजना का नाम यही रहेगा या बदल जाएगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मौजूदा योजना की तरह ही अगले चरण में भी दोपहिया, तिपहिया, कारों, बसों सहित सभी श्रेणी के वाहनों को सब्सिडी मिलेगी। इस सूची में ट्रकों को भी शामिल करने का प्रस्ताव है।
फेम-3 योजना के प्रस्ताव के मसौदे का मूल्यांकन वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय जल्द ही करेंगे। फेम-2 की समयसीमा मार्च 2024 में खत्म होने वाली है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि भारी उद्योग मंत्रालय जल्द ही दोनों विभागों को मूल्यांकन के लिए मसौदे का प्रस्ताव दे सकता है।