डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण को नियमन के दायरे में लाने के लिए कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) जल्द ही नियमों के प्रभाव पर एक बाजार अध्ययन करेगा। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय इसके लिए अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) आमंत्रित करेगा। साथ ही इस अध्ययन के कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी देगा। यह एक बाहरी एजेंसी द्वारा कराया जाएगा।
सूत्र ने कहा, ‘हम बाजार को बहुत ज्यादा नियमों के दायरे में रखना नहीं चाहते हैं। शेयरधारकों से बातचीत करने के बाद ऐसा महसूस किया गया कि इन नियमों के बाजार पर पड़ने वाले असर के बारे में अध्ययन कराया जाए।’ कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने 21 जुलाई को संसद को बताया था कि विनियमन के सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने के लिए बाजार अध्ययन के माध्यम से साक्ष्यों पर आधारित काम करने की जरूरत है, क्योंकि अभी वैश्विक स्तर पर इसका कार्यान्वयन शुरुआती चरण में है।
वित्त पर बनी संसद की स्थायी समिति की 53वीं रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर एमसीए ने डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक पर एक समिति गठित की थी। समिति की यह रिपोर्ट बड़ी टेक कंपनियों की प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों को लेकर थी। समिति ने मसौदा डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के साथ फरवरी 2024 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी।
मंत्रालय को कानूनी पेशेवरों, उद्योग संगठनों, नागरिक समाज संगठनों और भारत में डिजिटल सेवाएं प्रदान करने वाले घरेलू और विदेशी डिजिटल उद्यमों से लेकर 100 से अधिक हितधारकों से प्रतिक्रियाएं मिली हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेइटी) ने मसौदा विधेयक को लेकर कंपनी मामलों के मंत्रालय के समक्ष चिंता व्यक्त की थी। मल्होत्रा ने लोकसभा को बताया था कि विधेयक पर मेइटी के विचारों का अभी भी इंतजार है।
संसद की एक समिति उभरती अर्थव्यवस्था, खासकर डिजिटल परिदृश्य में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका पर विचार कर रही है। समिति ने मसौदा विधेयक को लेकर कुछ भारतीय ऑनलाइन कारोबारियों के सुझावों पर एमसीए की राय मांगी है।
मल्होत्रा ने इस साल मार्च में सीसीआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि सरकार डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक (डीसीबी) लाने की जल्दबाजी में नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार इसे पेश करने से पहले प्रस्तावित कानून पर और विचार-विमर्श करना चाहती है। उन्होंने कहा कि कानून को लागू करने के लिए सख्त हस्तक्षेप की आवश्यकता है, स्व-विनियमन और अनुपालन को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मसौदा डीसीबी के प्रावधानों में व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल उद्यमों (एसएसडीई) के लिए मात्रात्मक और गुणात्मक मानदंड निर्धारित किए गए हैं, जिसमें भारत में 4000 करोड़ रुपये से कम का कारोबार या 30 अरब डॉलर से कम का वैश्विक कारोबार जैसे मानक शामिल हैं।