वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद दोपहिया वाहनों पर कर की दर घटाने की उद्योग की मांग पर विचार करेगी। इस समय दोपहिया पर 28 फीसदी की दर से कर वसूला जाता है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सदस्यों के साथ संवाद में वित्त मंत्री ने यह आश्वासन दिया।
सीआईआई ने सीतारमण के हवाले से कहा, ‘दोपहिया न तो लक्जरी उत्पाद है और न ही अहितकर वस्तु, ऐसे में दरों में संशोधन जरूरी है। इस पर जीएसटी परिषद में विचार किया जाएगा।’
परिषद की बैठक गुरुवार को प्रस्तावित है, जिसमें राज्यों को मुआवजे पर विचार किया जाना है। लेकिन सूत्रों ने कहा कि 17 सितंबर को होने वाली बैठक में दोपहिया वाहनों पर विचार किया जाएगा, ताकि त्योहारी मौसम में उसकी बिक्री बढ़ सके।
यात्री वाहन उद्योग सरकार से चरणबद्घ तरीके से जीएसटी में कटौती का अनुरोध करता रहा है। उसकी मांग है कि दोपहिया पर पहले चरण में कर घटाया जाए और कारों पर अंतिम चरण में कर कटौती की जाए। इससे सरकार को संभावित राजस्व नुकसान को कम करने में भी मदद मिलेगी, वहीं देश भर में करीब 2 करोड़ संंभावित दोपहिया खरीदारों को भी राहत मिलेगी।
सीतारमण ने कहा कि सरकार छोटे कारोबारों को 3 लाख करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी योजना में बदलाव के लिए भी तैयार है। इस योजना के दायरे में पेशेवर भी शामिल हैं और सरकार आगे भी इसमें बदलाव के लिए तैयार है।
इस महीने के शुरू में सरकार ने इस योजना का दायरा बढ़ा दिया था। इसके तहत सरकार ने ऋण की ऊपरी सीमा बढ़ाकर 50 लाख रुपये तक कर दी थी। इनमें एमएसएमई के अलावा कारोबार के मकसद से डॉक्टर, वकील और चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि को आवंटित व्यक्तिगत ऋण भी शामिल किए गए थे। 20 अगस्त तक बैंकोंं ने 3 लाख करोड़ रुपये की आपात ऋण गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक ऋण आवंटित किए थे।
सीतारमण ने कहा कि सरकार विमानन उद्योग के अलावा बेहाल उद्योगों जैसे पर्यटन, आतिथ्य, रियल एस्टेट और निर्माण के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया में ढील देने पर विचार करेगी। उन्होंने कहा, ‘पर्यटन, रियल एस्टेट, आतिथ्य, विमानन जैसे क्षेत्रों पर कोविड-19 महामारी का व्यापक असर हुआ है। घरेलू स्तर पर राजस्व सृजन भी समस्या है।’ सीतारमण ने कहा सरकार बैंकों को पर्याप्त मदद देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ बातचीत कर रही है।
बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के लिए ढांचागत सुधार एक प्राथमिकता है और वह बैंकों सहित मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए जाने वाले विनिवेश प्रस्तावों पर तेजी से आगे बढ़ेगी।