भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने उन उद्योगों में प्रतिस्पर्धा, कुशलता और इनोवेशन पर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के असर का अध्ययन कराने का फैसला किया है, जो इसका प्रमुख रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं। आयोग ने अध्ययन कराने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।
सीसीआई ने कहा, ‘प्रतिस्पर्धा की क्षमता को लेकर एआई में परिवर्तनकारी क्षमताएं हैं, साथ ही इसके उपयोग से प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंता भी पैदा हो रही है।’आयोग ने एक बयान में कहा है कि यह अध्ययन जानकारी हासिल करने की कवायद के तहत कराया जाएगा, जिससे एआई व्यवस्था के कारण तैयार हो रहे वातावरण में प्रतिस्पर्धा की उभरती गतिविधियों को गहराई से समझा जा सके।
इसका मकसद भारत के बाजारों में एआई के इस्तेमाल और व्यापकता को समझना, भारत और पूरी दुनिया में मौजूदा कानूनों का अध्ययन करना, एआई और बाजारों में इसके उपयोग के दौरान प्रतिस्पर्धा आयोग की प्राथमिकताओं व उसके प्रवर्तन को देखना शामिल है।
प्रतिस्पर्धा रोधी निगरानी आयोग ने सभी हिस्सेदारों से बात करके एआई के इस्तेमाल की प्रकृति और इसकी संभावनाओं और प्रतिस्पर्धा पर इसका असर जानने की योजना बनाई है। इस अध्ययन में टेक्नोलॉजी फर्मों, स्टार्टअप, उद्योग संगठनों, स्वतंत्र डेवलपरों और उपभोक्ता फर्मों से आंकड़े जुटाए जाएंगे।
इस अध्ययन के मकसद के बारे में सीसीआई ने कहा है इसका लक्ष्य प्रमुख एआई व्यवस्था और बाजारों, एआई में सक्रिय लोगों सहित इसके पारिस्थिकी तंत्र, हिस्सेदारों, जरूरी इनपुट और संसाधनों, मूल्य श्रृंखलाओं, बाजार के ढांचों और प्रतिस्पर्धा के मानकों को समझना है। सीसीआई ने बाजार में अध्ययन कराने के लिए एजेंसियों से आवेदन प्रस्ताव मांगे हैं। प्रस्ताव दाखिल करने की अंतिम तिथि 3 जून, 2024 रखी गई है।
उधर भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के लिए फ्रेमवर्क तैयार कर रही है। इस समिति में विभिन्न मंत्रालयों, शिक्षण संस्थानों, उद्योग संगठनों जैसे नैसकॉम इंडियन सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट इंडस्ट्री राउंड टेबल जैसे थिंकटैंक के प्रतिनिधि शामिल हैं।
सूत्रों ने संकेत दिए कि लोक सभा चुनाव के बाद एआई के लिए समर्पित कानून या समग्र ढांचा पेश किए जाने की संभावना है। एआई के संचालन के लिए इस समय भारत में कोई समर्पित नीतिगत ढांचा नहीं है। इसकी वजह से इस तकनीक से जुड़े जोखिम और संभावित नुकसान को लेकर चिंता जताई जा रही है।
इसके पहले इलेट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने परामर्श जारी कर मध्यस्थों व एआई प्लेटफॉर्मों से एआई के इस्तेमाल से उठने वाले जोखिमों का समाधान करना था।