उपभोक्ता मांग के प्रमुख मापक समझे जाने वाले वाहन बिक्री के आंकड़े में जुलाई में अच्छा सुधार दर्ज किया गया, लेकिन वाहन कंपनियों और डीलरों के अधिकारी इसे लेकर अभी भी एकमत नहीं हैं कि क्या खुदरा मांग में वास्तविक रूप से सुधार आया है। भारत में वाहन कंपनियां डीलरों के लिए अपनी लदान को अपने मासिक बिक्री आंकड़े के तौर पर दर्ज करती हैं, जबकि वैश्विक रूप से ज्यादातर कंपनियां पंजीकरण आंकड़े के आधार पर अपनी खुदरा बिक्री को दर्शाती हैं।
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजूकी ने कहा है कि उसने जुलाई में 108,000 वाहन बेचे, जो जून 2020 के मुकाबले 88.2 प्रतिशत और जुलाई 2019 की तुलना में 1.3 प्रतिशत की वृद्घि है। लेकिन कंपनी के कार्यकारी निदेशक (विपणन और बिक्री) शशांक श्रीवास्तव का कहना है कि वह आंकड़ों को मांग में वृद्घि के बजाय आपूर्ति संबंधी सुधार के संकेत के तौर पर देख रहे हैं। श्रीवास्तव ने कहा, ‘बड़ी राहत और उम्मीद जुलाई आंकड़ों पर आधारित है। इसका मतलब यह है कि कार्य बल की उपलब्धता और कच्चे माल की आपूर्ति जैसी समस्याएं काफी हद तक दूर हो चुकी हैं। हमें इंतजार करना होगा और यह देखना होगा कि क्या इसका असर खुदरा बिक्री पर पड़ेगा।’
उन्होंने कहा, ‘मांग की दीर्घावधि रिकवरी अर्थव्यवस्था के बुनियादी आधार और वायरस फैलने की रफ्तार पर निर्भर करेगी।’
वाहन डीलरों का कहना है कि थोक बिक्री आंकड़ों में बड़ी तेजी घट रहे इन्वेंट्री को पूरा करने की जरूरत पर भी आधारित थी, क्योंकि ज्यादातर डीलर ऐसे समय में बीएस-4 से बीएस-6 क्रियान्वयन की ओर बढ़ रहे थे, जब लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। जेएस फोरव्हील्स मोटर्स के प्रबंध निदेशक और वाहन डीलरों के संगठन फाडा के पूर्व अध्यक्ष निकुंज सांघी ने कहा, ‘सभी डीलरों ने बीएस-4 स्टॉक लगभग निपटा दिया था और 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा हो गई। इसलिए पुराने वाहन नहीं रह गए थे और इससे स्टॉक बढ़ाने का अवसर मौजूद था जिसका असर थोक बिक्री आंकड़ों में दिखा है।’
उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था का बुनियादी आधार कमजोर हुआ है और उपभोक्ता मांग सुस्त है। इसलिए जहां जुलाई के आंकड़े अच्छे हैं, वहीं वे मांग में सुधार का भी संकेत हैं। मांग लॉकडाउन के दौरान काफी प्रभावित हुई थी।’ महामारी की वजह वेतन और रोजगार कटौती की स्थिति पैदा हुई है, क्योंकि कंपनियां अस्तित्व बचाने के संकट से जूझ रही हैं। सीएमआईई से प्राप्त आंकड़े के अनुसार, 30-दिन के मूविंग एवरेज के आधार पर 29 जुलाई तक कुल बेरोजगारी दर 7.75 प्रतिशत पर दर्ज की गई, जो 25 जुलाई के 8.02 प्रतिशत के ऊंचे स्तर से कुछ कम है।
चूंकि आय स्तर घटा है, इसलिए सर्वाधिक बिकने वाले मॉडलों की बिक्री और उपभोक्ताओं द्वारा पूछताछ में भी जुलाई में कमी आई जिससे पता चलता है कि खरीदार ज्यादा किफायती एवं सस्ते वाहनों को पसंद कर रहे हैं। सर्वाधिक बिकने वाले मॉडलों में ऑल्टो और वैगन आर जैसे एंट्री लेवल के मॉडल शामिल रहे।