राज्य के उर्जा सचिव पी के जेना ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष को लिखे एक पत्र में कहा आयातित और घरेलू कोयले को मिलाकर उसका औसत मूल्य तय करने के प्रस्ताव का उन बिजली कंपनियों के लिए कोई मतलब नहीं है जो कोयला खानों के बहुत करीब हैं।
उन्होंने कहा कि ओडिशा में प्रचुर मात्रा में कोयला है और विशेषरुप से बिजली संयंत्रों के लिए उपयुक्त एफ और जी श्रेणी का कोयला राज्य में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
जेना ने दावा किया कि कोयले की औसत मूल्य प्रणाली से राज्य और आम जनता के हितों को दांव पर लगाकर निजी बिजली कंपनियों को ही फायदा होगा। पत्र में कहा गया है कि कोयला आयात करने के पीछे मुख्य उद्देश्य ही कोल इंडिया लिमिटेड के ईंधन आपूर्ति समझौते की प्रतिबद्धता को पूरी करना था।
उन्होंने कहा यदि आयातित और घरेलू कोयले का औसत मूल्य तय किया जाता है तो इससे जिन बिजली संयंत्रों के पास कोयला आपूर्ति की व्यवस्था है उनके हितों की लागत पर उन बिजली संयंत्रों को सब्सिडी मिलेगी जिनके पास कोयला आपूर्ति की व्यवस्था नहीं है।
जेना ने कहा है कि प्रस्तावित औसत मूल्य व्यवस्था के तहत कोयले की कीमत 4,500 रुपये प्रति टन होने की संभावना है। इससे कोयले के दाम में 100 रुपये प्रति टन तक की वृद्धि होगी और परिणामस्वरुप इससे बनने वाली बिजली की दर सात से आठ पैसे प्रति यूनिट बढ़ जायेगी।
भाषा