राज्यों के दबाव में केंद्र ने राष्ट्रीय जल नीति का नया मसौदा तैयार किया है । इसमें पानी के उपयोग को लेकर एक विस्तृत राष्ट्रीय कानूनी ढांचा विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है ।
यह तीसरा मसौदा राष्ट्रीय जल बोर्ड की सिफारिशों पर आधारित है । पहला मसौदा जनवरी में और दूसरा मई में जारी किया गया ।
हाल में कानूनी ढांचा विकसित करने के मुद्दे पर राष्ट्रीय जल परिषद की बैठक में राज्यों के विरोध के बाद मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह और कुछ नहीं, बल्कि सामान्य सिद्धांतों को मिलाकर बनाया गया एक सिद्धांत है जो केंद्र, राज्यौं और स्थानीय प्रशासन की वैधानिक एवं कार्यकारी शक्तियों को संचालित करता है ।
नए मसौदे में कहा गया है, हालांकि यह स्वीकार किया जाता है कि पानी को लेकर उचित नीतियां, कानून और नियम बनाना राज्यों का अधिकार है, फिर भी पानी को लेकर एक विस्तृत राष्ट्रीय कानूनी ढांचा बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी । एक ऐसा ढांचा जिससे प्रत्येक राज्य में जल संचालन के लिए आवश्ययक कानून और स्थानीय स्तर पर जल संबंधी स्थिति से निपटने के लिए सरकार के निचले स्तर पर जरूरी अधिकारों के हस्तांतरण का मार्ग प्रशस्त हो सके ।
इसमें कहा गया है कि इस तरह के कानूनी ढांचे में पानी को केवल एक संसाधन ही नहीं, बल्कि जीवन और पारिस्थितिकी को बचाए रखने वाला महत्वपूर्ण कारक माना जाना चाहिए।
भाषा