मध्यप्रदेश सरकार ने पेट्रोलियम के दामों में बढोतरी के बाद किसी प्रकार के कर में कटौती का नामंजूर कर दिया।
वैसे भी कुकिंग गैस के दामों की सबसे ज्यादा कीमत मध्यप्रदेश में ही है। जबकि इस बात से बेपरवाह होकर कैबिनेट और राज्य वाणिज्य कर मंत्री ने पहले ही गैस के दामों में 30 रुपये की बढ़ोतरी कर दी है।
इसके अलावा राज्य वित्त मंत्री राघव जी ने किसी प्रकार के करों में कटौती करने से यह कह कर इनकार कर दिया कि पहले ही डीजल पर 1 प्रतिशत की रियायत दी जा चुकी है और इसी से राजकोष पर 100 करोड़ का अतिरिक्त बोझ आ रहा है। उन्होंने कहा कि कई तरह की सब्सिडी को देकर राज्य सरकार पहले से ही वित्तीय बोझ तले दबी हुई है और अब इस तरह की कोई छूट देकर और ज्यादा बोझ को वहन करना मुश्किल है।
जबकि अज्ञात कारणों से राज्य सरकार ने कुकिंग गैस के प्रवेश शुल्क में कोई कटौती नही की है। जबकि 31 मार्च 2006 से एक ऑर्डिनेंस लाकर राज्य सरकार ने मूल्य वर्द्धित कर की प्रक्रिया को लागू करते हुए कुकिंग गैस के प्रवेश शुल्क को 1 प्रतिशत से बढाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है। इस प्रकार राज्य में प्रति सिलेंडर गैस की कीमत 330 रुपये है जबकि पूरे देश में यह 300 रुपये प्रति सिलेंडर है।
गैस के दामों में हुई हाल की बढाेतरी के बाद इसकी कीमत राज्य में प्रति सिलेंडर 385.28 रुपये हो गई है। 30 लाख से ज्यादा उपभोक्ता गैस की इस बढोतरी से प्रभावित हो रहे हैं। वैसे इसके लिए राज्य सरकार और तेल कंपनियां एक दूसरे पर दोषारोपण कर रही है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी के एक सूत्र ने बताया कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन जैसी कंपनियों ने प्रति सिलेंडर में 24 रुपये की बढ़ोतरी की है जो 8 जून से लागू होगा। यह बढोतरी प्रवेश शुल्क से हो रहे घाटे को कम करने के लिए की गई है। उनका कहना है कि प्रवेश शुल्क में वृद्धि के कारण कंपनियों को बड़ा घाटा सहना पड रहा है।
अगर सरकार लोगों के हित में सोचना चाहती है तो उसे प्रवेश शुल्क में 1 प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए। जबकि वाणिज्य कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वैट में कटौती की वजह से राज्य सरकार को प्रतिवर्ष 63 करोड़ रुपये का घाटा सहना पड रहा है। इसलिए यह जरुरी हो गया था कि प्रवेश शुल्क में वृद्धि की जाए।
तेल कंपनियों ने दाम में इजाफा इसलिए किया है क्योंकि उसके लाभ पर कोई अंतर न पड़े। एलपीजी केंद्रीय बिक्री कर नियम 2006 के तहत आता है और इसलिए इस पर 4 प्रतिशत वैट लगाया जाता है। इससे पहले इसपर 14.8 प्रतिशत वाणिज्य कर लगाया जाता था जिसमें 1 प्रतिशत प्रवेश शुल्क शामिल किया जाता था।