PTI
विराट कोहली (Virat Kohli) के पाकिस्तान के खिलाफ लगाए गए कलात्मक छक्कों ने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक क्रिकेट प्रशंसकों को भले ही जश्न मनाने का मौका दिया अन्यथा वर्ष 2022 में भारतीय क्रिकेट परिवर्तन के दौर से ही गुजरता रहा जिसमें उसे कुछ निराशाजनक परिणाम भी मिले। भारतीय क्रिकेट (India Cricket) के लिए अच्छी खबर 48,000 करोड़ रुपए का IPL मीडिया अधिकार (IPL Media Rights) करार रहा जिससे क्रिकेट के पारिस्थितिक तंत्र में बाजार के महत्व का पता चलता है। मैदान पर हालांकि भारतीय टीम कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई।
इसकी शुरुआत दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट श्रृंखला की हार से हुई जिसके बाद कोहली ने लंबे प्रारूप की कप्तानी छोड़ दी। इस बीच भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) से भी उनके अच्छे संबंध नहीं रहे तथा उन्हें वनडे की कप्तानी से हटा दिया गया। यह सब जनवरी में हुआ और साल के समाप्त होने तक कोहली के उत्तराधिकारी रोहित शर्मा (Rohit Sharma) से T20 टीम की कप्तानी चली गई। उनकी जगह हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) को सबसे छोटे प्रारूप का कप्तान बनाया गया है।
रोहित को T20 विश्व कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों हार का खामियाजा भुगतना पड़ा। भारतीय टीम ने द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन वैश्विक प्रतियोगिताओं में वह फिर से अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही। कुछ द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में प्रतिस्पर्धा भी खास नहीं थी। यही वजह रही विराट कोहली के अफगानिस्तान (T20) और बांग्लादेश (वनडे) के खिलाफ लगाए गए शतक लोगों का बहुत अधिक ध्यान नहीं खींच पाए।
कोहली के पाकिस्तान के हारिस रऊफ पर लगाए गए छक्के की चर्चा क्रिकेट जगत में खूब रही लेकिन कप्तान रोहित और केएल राहुल (KL Rahul) सहित शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों का T20 विश्व कप में ढीला रवैया भी चर्चा का विषय बना। इस बीच मुख्य कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) के कुछ फैसलों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। फिर चाहे वह तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) को पूरी तरह फिट नहीं होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ T20 श्रृंखला में उतारना हो या फिर T20 विश्व कप में युज़वेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) का उपयोग नहीं करना या बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में मैन ऑफ द मैच चुने गए कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) को अगले टेस्ट में से बाहर करना हो।
द्रविड़ किसी भी समय यह साबित नहीं कर पाए कि वह एक चतुर रणनीतिकार हैं। रोहित की खराब फॉर्म भी एक मसला रहा लेकिन सबसे अधिक निराश केएल राहुल ने किया। यह स्पष्ट हो गया कि चेतन शर्मा की अगुवाई वाली चयन समिति ने उनमें नेतृत्वकर्ता का जो गुण देखा था उसमें वह खरे नहीं उतर पाए। यही वजह रही कि टी20 में उनकी जगह सूर्यकुमार यादव और वनडे में हार्दिक पंड्या को उपकप्तान नियुक्त कर दिया गया।
श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) का टेस्ट और वनडे में लगातार अच्छा प्रदर्शन और ऋषभ पंत (Rishabh Pant) का टेस्ट मैचों में मैच विजेता प्रदर्शन जैसे कुछ सकारात्मक पहलू भी रहे। शुभमन गिल (Shubman Gill) ने भी शीर्ष स्तर पर अपनी क्षमता दिखाई जबकि इशान किशन (Ishan Kishan) ने अपने कौशल की झलक बिखेरी। इस साल इशांत शर्मा और रिद्धिमान साहा के अंतरराष्ट्रीय करियर का भी अंत हुआ।शिखर धवन (Shikhar Dhawan) को भी लगातार लचर प्रदर्शन के बाद अब बाहर कर दिया गया है और उनकी वापसी भी संभव नहीं लग रही है। भारतीय टीम के T20 विश्व कप में लचर प्रदर्शन के बाद चेतन शर्मा की अगुवाई वाली चयन समिति को BCCI ने बर्खास्त कर दिया था।
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महिला क्रिकेट में लगभग दो दशक तक भारतीय टीम के मुख्य अंग रहे मिताली राज (Mithali Raj) और झूलन गोस्वामी (Jhulan Goswami) ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा। मिताली की जगह लेने के लिए काफी बल्लेबाज हैं लेकिन हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) की अगुवाई वाली टीम के गेंदबाजों को देखते हुए लग रहा है की झूलन की जगह भरना आसान नहीं होगा।
रेणुका सिंह को छोड़कर किसी भी तेज गेंदबाज ने प्रभाव नहीं छोड़ा और यही कारण रहा कि शिखा पांडे ने 15 महीने बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की। इस बीच एक सीनियर खिलाड़ी के साथ मतभेद के कारण रमेश पोवार को महिला टीम के कोच पद से हटा दिया गया। प्रशासनिक स्तर पर पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का BCCI अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल खत्म हुआ। उच्चतम न्यायालय से उन्हें आगे भी अध्यक्ष बने रहने की अनुमति मिल गई थी लेकिन बोर्ड ने उनकी जगह पूर्व तेज गेंदबाज रोजर बिन्नी को कमान सौंप दी।