मार्च में समाप्त हुए वर्ष के दौरान दुनिया के पांचवे सबसे बड़े बाजार भारत में वाहनों की बिक्री (सभी खंडों में) गिरकर छह साल के निचले स्तर पर आ गई है। वाहन उद्योग के संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सायम) ने सोमवार को यह जानकारी दी।
बिक्री में धीमापन बढ़ाने वाले कोविड-19 के अलावा हलचलभरी रही अर्थव्यवस्था के साथ-साथ विनियामकीय परिवर्तनों के कारण संरचनात्मक मंदी की वजह से वित्त वर्ष 2020 में वाहनों की बिक्री कमजोर राह पर आ गई। वायरस की उग्रता, प्रतिबंधों, कफ्र्यू और लॉकडाउन के बीच वाहन कंपनियां लगातार तीसरे साल अब एक और कठिन वर्ष का आशंका जता रही हैं।
संपूर्ण वाहन उद्योग की पांच वर्षीय (वित्त वर्ष 16 से वित्त वर्ष 21 तक) चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) अब दो प्रतिशत दर पर नकारात्मक हो गई है, जबकि वित्त वर्ष 11 से वित्त वर्ष 16 के बीच पिछले पांच सालों के दौरान इसमें 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। वाहन उद्योग में दशक की वृद्धि दर 12.8 प्रतिशत से लढ़ककर अब 1.8 प्रतिशत पर आ गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस मंदी के पीछे और भी बहुत कुछ है तथा वित्त 21 में सभी खंडों में नजर आए कई वर्षों के निम्न स्तर के लिए केवल महामारी को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
सायम के अध्यक्ष केनिचि आयुकावा ने एक बयान में कहा है कि बिक्री के मोर्चे पर वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के असर के साथ संयुक्त रूप से उद्योग में महामारी से भी पहले की गहरी संरचनात्मक मंदी ने सभी वाहन खंडों को कई वर्ष पीछे धकेल दिया है। यहां से सुधार के लिए सभी हितधारकों द्वारा प्रयास और समय की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन, कच्चे माल और अर्धचालक की कमी के कारण मूल्य शृंखला में अनिश्चितता है। उन्होंने कहा ‘अनिश्चितता वाली स्थिति में भविष्य की भविष्यवाणी करने के प्रयास के बजाय, हम सभी इसे निर्मित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।’
उद्योग के लिए वित्त वर्ष 2020-21 सबसे खराब वर्षों में से एक था, क्योंकि प्रत्येक खंड में बिक्री कई वर्षों के निम्न स्तर तक पहुंच गई थी। घरेलू बाजार में 27,11,457 इकाइयों की बिक्री के साथ यात्री वाहनों की बिक्री छह साल के निचले स्तर पर आ गई।