भारत की सबसे बड़ी कार विनिर्माता मारुति सुजूकी ने संभावित सुरक्षा खामियों को दूर करने के लिए करीब 1,81,754 गाडिय़ां वापस मंगाने का फैसला किया है। मारुति गाडिय़ों को वापस बुलाकर उनकी सुरक्षा खामियों को दूर करने की कोशिश करेगी। इसके तहत मारुति की लोकप्रिय कारों सियाज, एर्टिगा, विटारा ब्रेजा, एस-क्रॉस और एक्सएल6 के मॉडल शामिल किए गए हैं। इन कार मॉडलों के 4 मई 2018 से लेकर 27 अक्टूबर 2020 के बीच निर्मित वाहनों को कंपनी ने वापस बुलाने का निर्णय लिया है।
सुरक्षा के लिहाज से बड़ी खामियां मानी जा रही गड़बडिय़ों को दूर करने का यह अभियान मारुति सुजूकी का इस तरह का सबसे बड़ा अभियान है। भारतीय बाजार में बिकने वाली हरेक दूसरी कार की विनिर्माता मारुति सुजूकी ने इसके पहले अप्रैल 2014 में भी अपने लोकप्रिय मॉडलों- एर्टिगा, स्विफ्ट एवं डिजायर की 1,03,311 गाडिय़ां वापस बुलाई थीं। उस समय 12 नवंबर 2013 से 4 फरवरी 2014 के बीच निर्मित कारों में तेल टंकी से जुड़ी खामियां पाई गई थीं।
अभी 10 महीने पहले भी मारुति सुजूकी ने अपने ईको मॉडल की 40,453 कारें हेडलैंप से जुड़ी दिक्कत दूर करने के लिए वापस बुलाई थीं। इन ईको कारों का उत्पादन 4 नवंबर 2019 से 25 फरवरी 2020 के बीच हुआ था। पिछले कुछ महीनों में हुंडई मोटर इंडिया, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर को भी कुछ तकनीकी खामियां दूर करने के लिए अपने कुछ मॉडलों को वापस मंगाना पड़ा था।
मारुति सुजूकी की तरफ से खामियां दूर करने के लिए मंगाई गई गाडिय़ों का उसकी मोटर जेनेरेटर इकाई में निरीक्षण किया जाएगा और अगर गड़बड़ी पाए जाने पर ग्राहक से कोई शुल्क लिए बगैर उसे बदल दिया जाएगा। कंपनी के अधिकृत वर्कशॉप प्रभावित वाहनों के मालिकों को इसकी सूचना देंगे। मरम्मत का काम नवंबर 2021 के पहले हफ्ते से चरणबद्ध ढंग से किया जाएगा। खामी दूर न होने तक मारुति सुजूकी ने अपने ग्राहकों को जलभराव वाले क्षेत्रों में गाड़ी न चलाने की सलाह दी है। इसके साथ ही कंपनी ने कार के इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों पर पानी का सीधे छिड़काव करने से भी परहेज करने को कहा है।
मारुति ने ग्राहकों को अपनी कार में संभावित गड़बड़ी का पता लगाने के लिए कंपनी या नेक्सा की वेबसाइट पर जाने की सलाह दी है। वेबसाइट पर वाहन के चैसिस नंबर का ब्योरा दर्ज करते ही पता चल जाएगा कि उनके वाहन को वर्कशॉप ले जाने की जरूरत है या नहीं। भारत में बिकी हुई गाडिय़ों में कोई गड़बड़ी पाए जाने पर उन्हें वापस बुलाने की कोई अनिवार्य वाहन वापसी नीति नहीं है। वर्ष 2012 में वाहन निर्माताओं के संगठन सायम ने अपने सदस्यों के लिए एक स्वैच्छिक वापसी संहिता लागू की थी। इस संहिता के मुताबिक दोषपूर्ण वाहन को वापस बुलाने की जिम्मेदारी वाहन विनिर्माता की है।
जानकारों के मुताबिक, बाजार बढऩे के साथ वापस बुलाने वाली गाडिय़ों का दायरा भी बढ़ रहा है और इनपुट गुणवत्ता में अस्थिरता भी नजर आ रही है। कार विनिर्माता कलपुर्जे बनाने वालों को कम दाम देते हैं ताकि अपने वाहनों की कीमत को प्रतिस्पर्धी बनाए रख सकें। ऐसी स्थिति में वेंडर भी अपनी लागत कम करने के लिए गुणवत्ता से समझौता करने लगते हैं।