रविवार को चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के एक मुकाबले में भारतीय क्रिकेट टीम के धुंरधरों की भिड़ंत चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान की टीम से होगी। भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी मैच होता है तो दर्शकों में जबरदस्त उत्साह दिखता है। यही कारण है कि सबसे अधिक देखे जाने वाले इस खेल आयोजन में विज्ञापन स्लॉट हासिल करने के लिए विज्ञापनदाताओं के बीच तगड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है।
खेल, मनोरंजन, मीडिया एवं जीवनशैली परामर्श फर्म आईटीडब्ल्यू यूनिवर्स के अनुसंधान डेस्क आईटीडब्ल्यू कोर के प्रमुख तारिक लस्कर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत-पाकिस्तान मैच के लिए विज्ञापन दरें अमेरिका में नैशनल फुटबॉल लीग के वार्षिक लीग चैंपियनशिप खेल सुपर बाउल के बराबर ही हैं।
लस्कर ने कहा, ‘सुपर बाउल के विज्ञापन की दरें हर साल बढ़ती रहती हैं क्योंकि अमेरिका में ऐसे कुछ ही अन्य खेल आयोजन होते हैं जो ब्रांडों को एक साथ दर्शकों के व्यापक वर्ग तक पहुंचने का अवसर प्रदान करते हैं। भारत-पाकिस्तान का खेल भी उसी तरह काम करता है। इस दौरान विज्ञान की दरें औसतन 25 से 30 फीसदी बढ़ जाती हैं। तमाम ब्रांड इस तरह के बड़े खेल आयोजन के लिए खास बजट निर्धारित करते हैं।’
उन्होंने कहा कि करीब 17 महीनों के बाद पुरुष एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय खेल में भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला होगा। वर्चुअल माध्यम से इसे देखने के लिए बड़ी तादाद में दर्शकों का उमड़ना तय है। इसलिए मौजूदा चैंपियंस ट्रॉफी या 2024 में हुए टी20 वर्ल्ड कप अथवा 2023 के आईसीसी वर्ल्ड कप के मुकाबले टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर विज्ञापन दरें 2.5 से 4 गुना अधिक हैं।
एक मीडिया खरीद फर्म के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इस तरह के मुकाबले के लिए दरें 100 से 200 फीसदी तक अधिक हो सकती हैं।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब उद्योग आर्थिक अनिश्चितता के कारण रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों द्वारा विज्ञापन खर्च में नरमी से जूझ रहा है।
क्रिएटिव डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी दस्मॉलबिगआइडिया के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी मनीष सोलंकी ने कहा कि ऐसे मुकाबले ब्रांडों के लिए निवेश का अवसर होता है क्योंकि यह विज्ञापन के प्रभाव को अधिकतम करने का एक आकर्षक प्लेटफॉर्म है।
ब्रांड मूल्यांकन सलाहकार फर्म ब्रांड फाइनैंस इंडिया के प्रबंध निदेशक ए फ्रांसिस ने कहा, ‘भारत-पाकिस्तान मैच में विज्ञापन के लिए कोई भी प्रतिस्पर्धा कर सकता है। इसके लिए मोबिलिटी से लेकर एफएमसीजी और टायर तक तमाम ब्रांडों में होड़ दिखेगी।’ उन्होंने कहा कि विज्ञापनदाताओं को ओटीटी प्लेटफॉर्म के मुकाबले टीवी विज्ञापन पर निवेश से अधिक रिटर्न मिलता है।
क्रिएटिव डिजिटल एजेंसी सोचीयर्स के सह-संस्थापक और निदेशक सिद्धार्थ देवनानी ने कहा, ‘यहां तक कि छोटे बजट वाले ब्रांडों के लिए भी यह लक्षित विज्ञापन के जरिये लोगों तक तक पहुंचने का अवसर है।’ एजेंसी टाटा सोलफुल, यिप्पी, आईटीसी ई-स्टोर, क्लासमेट, हल्दीराम, क्रोमा और हैवमोर जैसे ब्रांडों को अपनी सेवाएं देती है।