भारत 20 साल बाद पुन: राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी करेगा। ग्लास्गो में बुधवार को राष्ट्रमंडल खेलों की आम सभा की बैठक में अहमदाबाद को मेजबान के तौर पर औपचारिक मंजूरी मिल गई। भारत ने पिछली बार 2010 में दिल्ली में इन खेलों की मेजबानी की थी। राष्ट्रमंडल खेल बोर्ड ने पिछले महीने मूल्यांकन समिति की देखरेख में प्रक्रिया पूरी करने के बाद भारत को मेजबानी देने की की सिफारिश की थी। अब 74 सदस्यों की आम सभा के लिए इस पर मुहर लगाना महज औपचारिकता रह गई थी।
राष्ट्रमंडल खेल 2030 में अपने सौ साल भी पूरे कर रहे हैं। इस लिहाज से यह सत्र विशेष रहने वाला है। भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी हासिल करना इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि देश 2036 में होने वाले ओलंपिक खेलों की मेजबानी हासिल करने की दौड़ में है और अहमदाबाद को ही मेजबान शहर के रूप में पेश किया गया है।
भारत ने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी पर लगभग 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जबकि शुरुआती अनुमान 1600 करोड़ रुपये खर्च होने का था। चार साल में एक बार होने वाले इन खेलों में 72 देश हिस्सा लेते हैं, जिनमें से ज़्यादातर पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हैं। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त सचिव (खेल) कुणाल, भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा और गुजरात के खेल मंत्री हर्ष संघवी सहित अन्य लोगों ने किया।
उषा ने कहा, ‘2030 खेलों से हम सिर्फ ‘कॉमनवेल्थ मूवमेंट’ के 100 साल पूरे होने का जश्न ही नहीं मनाएंगे, बल्कि अगली सदी की नींव भी रखेंगे।’ अहमदाबाद को राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी को गर्व का पल बताते हुए खेलमंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि भारत 2047 तक खेलों में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में अपना नाम दर्ज कराना चाहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी भारत को मिलने पर देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ हम अपार उत्साह से इन ऐतिहासिक खेलों का जश्न मनाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा, ‘भारत को राष्ट्रमंडल खेलों के शताब्दी वर्ष 2030 खेलों की मेजबानी मिलने पर हर्षित हूं । देशवासियों और खेल तंत्र को बधाई।’