आर्थिक गतिविधियों में तेजी और पिछले साल के निचले आधार ने ज्यादातर विनिर्माताओं के लिए सालाना आधार पर नवंबर में वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में बढ़ोतरी कर दी। 10 अग्रणी वाणिज्यिक वाहन निर्माताओं की संचयी बिक्री एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 11 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 59,872 वाहन हो गई। आयशर मोटर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विनोद अग्रवाल ने कहा, सीएनजी किट व सेमीकंडक्टर की किल्लत नहींं होती तो कुल बिक्री में और बढ़ोतरी देखने को मिलती। 5-16 टन वाले वाहनों में आधी मांग अब सीएनजी की ओर चली गई है। अग्रवाल ने कहा, इन चीजों से किट बनाने वाले अनभिज्ञ थे।
उन्होंने कहा, डीजल की कीमतों में हुई हालिया कटौती और परिवहन कारोबारियों पर इसके उपयुक्त असर के बाद भी पुराने ट्रकों को बदलने के लिए नए ट्रकों की खरीद मजबूत नहींं रही। उनके मुताबिक, छोटे बेड़े वाले परिवहन कारोबारियों पर अभी भी दबाव है जबकि डीजल की कीमतें घटा दी गई हैं। अग्रवाल ने कहा, डीजल की कीमतें पिछले 18 महीने में 50 फीसदी उछली है। ट्रांसपोर्टरों के लिए ऑनरशिप लागत में र्ईंधन की हिस्सेदारी 60 फीसदी बैठती है, ऐसे में माल भाड़ा कम से कम 30 फीसदी बढऩी चाहिए थी ताकि र्ईंधन की कीमतों में हुई बढ़त की भरपाई हो। क्रिसिल रिसर्च की तरफ से शुक्रवार को जारी नोट में निदेशक हेमल ठक्कर ने कहा है, केंद्र और कुछ राज्य सरकारों ने डीजल पर करों में कटौती की है, लेकिन नवंबर में फ्रेट की गतिविधियां घटीं क्योंकि औद्योगिक गतिविधियां नरम थीं। इस दौरान माल की आवाजाही कम र ही। क्रिसिल का देशव्यापी फ्रेट इंडेक्स नवंबर में घटकर 114 पर आ गया, जो अक्टूबर में 122 रहा था।
लेकिन ट्रांसपोर्टर शिकायत नहीं कर रहे। बाल रोडलाइंस के प्रोप्राइटर बालमलकित सिंह ने कहा, डीजल कीमतों में कटौती से हमें बड़ी राहत मिली है। अब हम सांस ले रहे हैं अन्यथा हम संघर्ष ही करते रहे हैं। यह काफी लंबित मांग थी।
