यात्री कार मॉडलों के सबसे महंगे और उससे कुछ सस्ते वैरिएंट की बिक्री काफी ज्यादा है, जबकि कारों के सबसे सस्ते वैरिएंट को खरीदने वालों की संख्या बेहद कम है।
कारों के ए1 सेगमेंट से लेकर एससूवी सेगमेंट तक सभी में बिक्री चलन पर कराए गए एक अध्ययन से पता चला है कि देश में कार खरीदार ऐसे यात्री वाहन खरीदना चाहते हैं, जिनमें बहुत सारी विशेषताएं हों।
ए1 सेगमेंट के सबसे महंगे और उससे कुछ सस्ते (मिडल) वैरिएंट का बिक्री में 60 फीसदी योगदान रहता है, जबकि बिक्री में सबसे सस्ते मॉडलों का सिर्फ 40 प्रतिशत योगदान ही रहता है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी मारुति 800 एसी मॉडल ज्यादा बेचने में सफल रहती है, बनिस्पत गैर एसी मॉडल के, जिनका अनुपात क्रमश: 70:30 का रहता है।
कंपनी की सबसे अधिक बिकने वाली कॉम्पैक्ट कार ऑल्टो तीन वैरिएंट में उपलब्ध है, लेकिन इसकी बिक्री का 90 प्रतिशत हिस्सा सबसे महंगे दो वैरिएंट से ही मिलता है। सबसे सस्ते (गैर एसी) मॉडल का हिस्सा कुल बिक्री में सिर्फ 10 फीसद ही है।
कंपनी का कहना है कि खरीद का यही चलन उसकी दूसरे कॉम्पैक्ट कार मॉडलों जैसे जेन एस्टिलो, स्विफ्ट और वैगन आर में भी देखने को मिलता है, जहां विशेषताओं से लैस कारें, सस्ती कारों के मुकाबले अधिक बिकती हैं।
मारुति सुजुकी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘लोग ऐसी कारें खरीदना चाहते हैं, जो एसी और पावर स्टीयरिंग जैसी विशेषताओं से लैस हो। जैसा कि लोगों की जीवनशैली का स्तर बढ़ रहा है, उनकी पसंद भी बढ़ रही है।’ यह भी एक अच्छा कारण है जिस वजह से पिछले कुछ वर्षों में कंपनी की कुल बिक्री में मारुति 800 का हिस्सा घट रहा है।
टाटा मोटर्स और जनरल मोटर्स की कॉम्पैक्ट कारों की बिक्री में सबसे महंगे और उनसे सस्ते मॉडलों का हिस्सा 70 प्रतिशत है, जबकि कुल बिक्री में सिर्फ 10 फीसद हिस्सा ही सबसे सस्ते मॉडलों का है। हुंडई की कॉम्पैक्ट कारों सैंट्रो जिंग (8 वैरिएंट), गेट्ज (4 वैरिएंट) और फिलहाल बाजार पर छाई हुई आई10 (20 वैरिएंट) में बिक्री में आधे से अधिक हिस्सेदारी सबसे महंगे मॉडलों और उनसे कुछ सस्ते मॉडलों की ही है।
ऐसा ही कुछ टाटा मोटर्स की इंडिका कार में देखने को मिला है। कंपनी का कहना है कि इंडिका की बिक्री का एक बड़ा हिस्सा सबसे महंगे और थोड़ी महंगे मॉडल हैं। हालांकि इसके सही-सही आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन डीलरों का कहना है कि इंडिका की कुल बिक्री का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा उसके वी2 मॉडल से आता है, जिसमें सभी फीचर्स बेहतर हैं।
ऐसा ही जीएम की छोटी स्पार्क 1.0 एलएस मॉडल, जो बेस मॉडल से ऊपर है और उसका सबसे महंगा वैरिएंट दोनों को मिलाकर इस कॉम्पैक्ट कार की बिक्री का लगभग 70 फीसद हिस्सा है। स्पार्क एलएस सीरीज में एयरबैग और एबीएस से लैस ब्रेक जैसी विशेषताएं भी विकल्प के तौर पर उपलब्ध हैं।
कंपनी की एवियो और यूवा श्रेणी की कारों में भी बेस मॉडल के स्तर से ऊपर की कारे बिक्री में 50 से 65 प्रतिशत का योगदान देती हैं। जबकि ऑप्ट्रा सीरीज के सबसे महंगे मॉडल-ऑप्ट्रा मैगनम 2.0 एलटी अकेले ही बिक्री लगभग 50 प्रतिशत का योगदान देता है।
जीएम के उपाध्यक्ष (कॉर्पोरेट अफेयर्स) पी बालेन्द्रन का कहना है, ‘हमारा सबसे महंगा एलटी वैरिएंट (ऑप्ट्रा सीरीज में) सुरक्षा से जुड़े हुए फीचर्स से लैस है। हालांकि आज यह ग्राहकों की पहली प्राथमिकता नहीं है, खासतौर जब इसमें कीमत की बात हो, लेकिन आगे हमें पूरी उम्मीद है कि इसकी मांग बढ़ेगी।’
प्रीमियम कार बनाने वाली होंडा सियल के बिक्री के आंकड़ों में भी ऐसा ही चलन उभरता हुआ नजर आ रहा है। कार निर्माता कंपनी की बिक्री का बड़ा हिस्सा होंडा सिटी (4 वैरिएंट), होंडा सिविक (4 वैरिएंट) और होंडा अकॉर्ड (2 वैरिएंट) में उनके सबसे महंगे औरउससे थोड़ा सस्ते मॉडलों से मिलता है।