बजट में वाहन क्षेत्र के लिए अधिकतर प्रस्ताव सकारात्मक थे लेकिन वाहनों के कुछ कलपुर्जों पर शुल्क को 7.5-10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी किए जाने से वाहन विनिर्माताओं की लागत बढ़ सकती है। हालांकि इन उपयों से लंबी अवधि में स्थानीयकरण को बढ़ावा मिलेगा लेकिन ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर (वाहन क्षेत्र) सौरभ अग्रवाल का मानना है कि लघु अवधि में इसका कुछ दबाव दिख सकता है क्योंकि वाहनों के कलपुर्जा बनाने वाली कंपनियां अधिक आयात शुल्क का भार आगे बढ़ा सकती हैं। हालांकि करीब 2 लाख करोड़ रुपये के कुल वार्षिक वाहन आयात के महज आधे हिस्से पर इसका प्रभाव पड़ेगा। अधिक इनपुट लागत को देखते हुए वाहन विनिर्माताओं के मार्जिन पर आगे दबाव दिख सकता है।
अधिकतर वाहन विनिर्माताओं ने दिसंबर तिमाही के वित्तीय नतीजों में संकेत दिया था कि वे इनपुट लागत के भार को पूरी तरह ग्राहकों के कंधों पर सरकाने में असमर्थता जताई थी क्योंकि इससे मांग में सुधार और मात्रात्मक बिक्री की रफ्तार प्रभावित हो सकती है। इस्पात के अलावा ोडियम, पैलेडियम और प्लेटिनम जैसी कीमती धातुओं के मूल्य में भारी वृद्धि के कारण इनपुट लागत का बोझ बढ़ गया है।
