हीरो मोटर्स कंपनी के नेतृत्व में इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने वाली कंपनियों ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) में अपने कारोबार को शामिल कराने के लिए सरकार से संपर्क किया है। उनका कहना है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो देश इस श्रेणी में एक वैश्विक केंद्र बनने का बड़ा अवसर खो देगा।
हीरो मोटर्स कंपनी के प्रबंध निदेशक पंकज मुंजाल ने कहा, ‘यदि हमें इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ पीएलआई में शामिल कर लिया जाता है और फेम 2 प्रोत्साहन में विस्तार किया जाता है तो हमने एक उद्योग के तौर पर सरकार से सालाना 30,000 करोड़ रुपये की इलेक्ट्रिक साइकिल का निर्यात करने और घरेलू बाजार में 10 लाख इलेक्ट्रिक साइकिल की बिक्री के लिए प्रतिबद्धता जताई है।’ हीरो मोटर्स कंपनी वैश्विक स्तर पर साइकिल बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है।
मुंजाल ने कहा कि भारत में दोपहिया एवं कार के साथ इलेक्ट्रिक वाहन बाजार का दायरा महज देश के 20 शहरों तक सीमित होगा। उन्होंने कहा, ‘इसे 1 लाख रुपये कीमत के साथ कभी भी आम लोगों तक नहीं पहुंचाया जा सकता है। लेकिन यदि हमें फेम 2 का प्रोत्साहन दिया जाता है तो हम महज 15,000 रुपये में इलेक्ट्रिक साइकिल की पेशकश करेंगे जिसकी कीमत करीब 25,000 रुपये है। इससे बाजार में उल्लेखनीय विस्तार होगा।’
मुंजाल ने कहा कि उपयोगकर्ता रोजगार के लिए लंबी दूरी की यात्रा कर सकेंगे, डिलिवरी बॉय अपनी डिलिवरी की संख्या बढ़ा सकेंगे और दोपहिया की तरह कीमत को लेकर कोई चिंता नहीं होगी। एक बार चार्ज होने पर बैटरी साइकिल को 50 से 70 किलोमीटर तक चला सकती है और उसके बाद आप हमेशा की तरह पैडल का उपयोग कर सकते हैं।
मुंजाल ने कहा कि उनके इस कदम का समर्थन नीति आयोग के साथ-साथ उद्योग मंत्रालय ने भी किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसे वाहन पीएलआई में शामिल कर लिया जाएगा। हीरो ने सालाना निर्यात के लिए उद्योग द्वारा जताई गई प्रतिबद्धता में से करीब एक तिहाई मूल्य के निर्यात के लिए खुद वादा किया है। उन्होंने अफसोस जताया कि फिलहाल भारत से किसी इलेक्ट्रिक साइकिल का निर्यात नहीं किया जाता है।
वाहन पीएलआई के मुद्दे पर चिंता जताते हुए स्टार्टअप कंपनियों का कहना है कि राजस्व और शुद्ध हैसियत के लिए कठोर शर्तों के कारण बिना विरासत वाली कंपनियों को प्रोत्साहन का फायदा नहीं मिल पाएगा। इलेक्ट्रिक दोपहिया बनाने वाली कंपनियों ने भी पीएलआई नियमों में सुधार करने के लिए सरकार से गुहार लगाई है।
मुंजाल ने कहा कि चीन अथवा वियतनाम के मुकाबले भारत में उत्पादन लागत का अंतर 8 से 25 फीसदी के दायरे में है जो उपकरणों की कीमत में मौजूदा अंतर पर आधारित है। लेकिन पीएलआई प्रोत्साहन योजना से देश में इलेक्ट्रिक साइकिल के उत्पादन में विस्तार होगा और एक परिवेश तैयार होगा जिससे कीमतों में गिरावट आएगी।
