facebookmetapixel
2025 में निवेशकों को लगे बड़े झटके, सोना चमका तो मिडकैप-स्मॉलकैप फिसले; 2026 में इससे बचना जरूरी!Year Ender 2025: SIP निवेश ने तोड़ा रिकॉर्ड, पहली बार ₹3 लाख करोड़ के पारMidcap Funds Outlook 2026: रिटर्न घटा, जोखिम बढ़ा; अब मिडकैप फंड्स में निवेश कितना सही?Share Market: लगातार 5वें दिन बाजार में गिरावट, सेंसेक्स-निफ्टी दबाव मेंYear Ender: 42 नए प्रोजेक्ट से रेलवे ने सबसे दुर्गम इलाकों को देश से जोड़ा, चलाई रिकॉर्ड 43,000 स्पेशल ट्रेनें2026 में भारत-पाकिस्तान में फिर होगी झड़प? अमेरिकी थिंक टैंक का दावा: आतंकी गतिविधि बनेगी वजहपर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिशों के बावजूद भारत में पर्यटन से होने वाली कमाई इतनी कम क्यों है?क्या IPOs में सचमुच तेजी थी? 2025 में हर 4 में से 1 इश्यू में म्युचुअल फंड्स ने लगाया पैसानया साल, नए नियम: 1 जनवरी से बदल जाएंगे ये कुछ जरूरी नियम, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा!पोर्टफोलियो में हरा रंग भरा ये Paint Stock! मोतीलाल ओसवाल ने कहा – डिमांड में रिकवरी से मिलेगा फायदा, खरीदें

ग्राहकों को लुभाने के लिए कंपनियों ने फेंका जाल

Last Updated- December 07, 2022 | 3:03 PM IST

मंदी के स्पीड ब्रेकर से निकल कर विकास की सड़क पर रफ्तार पकड़ने के लिए प्रमुख व्यावसायिक वाहन निर्माता कंपनियां खरीदारों को छूट और लुभानी वित्त योजनाएं मुहैया कराने की तैयारी कर रही हैं।


अब टाटा मोटर्स को ही ले लीजिए। हाल ही में कपंनी ने व्यावसायिक वाहन के खरीदारों को वाहन खरीदने के लिए कर्ज लेने पर तीन महीने की ईएमआई (बराबर मासिक किश्तों) से निजाद देने की एक योजना चलाई है।

कंपनी के अनुसार इस योजना पर कंपनी को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। इसी तरह देश की चौथी सबसे बड़ी व्यावसायिक वाहन निर्माता कंपनी आयशर मोटर्स के एक डीलर के अनुसार कंपनी भी वाहन पर 25 हजार से 35 हजार रुपये तक की छूट दे रही है। आमतौर पर कंपनी की ओर से दी जाने वाली 15 हजार से 20 हजार रुपये तक की छूट से यह छूट काफी ज्यादा है।

देश की दूसरी सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी अशोक लीलैंड, जिसके पास बाजार की 15 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सेदारी है, का भी मानना है कि डीलर स्तर पर बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कंपनी की ओर से विशेष छूट और वित्त योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी दौरान बैंक भी डिफॉल्टरों की संख्या में इजाफे को देखते हुए कर्ज देने के अपने नियम-कानूनों को और भी कड़ा करने में लगे हुए हैं। इसलिए बैंकों ने तो देश के कुछ हिस्सों में तो अपनी शाखाएं ही बंद कर दी हैं।

कर्ज देने वाले एक बैंक के अधिकारी का कहना है, ‘हमने कर्ज दने के नियम-कानूनों को कड़ा किया है, जिसके पीछे हाल ही में कर्ज के मामले में गड़बड़ियों की संख्या का तेजी से बढ़ना है।’ अशोक लीलैंड के मुख्य वित्त अधिकारी के श्रीधरन का कहना है, ‘हम एक मुश्किल दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां वित्त की उपलब्धता काफी अहम समस्या है।’ ऑटो ग्रेड इस्पात, रबड़, एल्युमिनियम, प्लास्टिक और मानव श्रम आदि की बढ़ती लागत की वजह से वाहन निर्माता कंपनियों को वाहन की कीमतें मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बढ़ाने पर मजबूर किया था।

वाहन निर्माताओं की योजना इस इजाफे के बोझ को उपभोक्ताओं पर डालने की है, ताकि वे कच्चे माल की लागत के बढ़ते बोझ से थोड़ा-बहुत बच सकें। एक हालिया प्रेस सम्मेलन में टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक रवि कांत ने कहा, ‘हमने पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में कीमतें बढ़ाई थीं, जिनकी बदौलत हम मार्जिन बचा पाए हैं। हमें कच्चे माल की बढ़ती लागत को बराबर करने के लिए और कीमतें बढ़ाने पर विचार करना पड़ सकता हैं।’

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर और नकद सुरक्षित अनुपात को बढ़ा कर नकदी के प्रवाह पर रोक लगा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दबाव घूमकर व्यावसायिक वाहनों की बिक्री पर भी पड़ेगा। जुलाई में ऑटो निर्माताओं ने व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में गिरावट देखी है। टाटा मोटर्स ने इस महीने में 8 प्रतिशत वृध्दि दर के साथ 22,381 वाहन बेचे हैं, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 20,705 थे।

First Published - August 5, 2008 | 12:29 AM IST

संबंधित पोस्ट