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नेटफ्लिक्स के लिए भारत क्यों है अहम

Last Updated- December 14, 2022 | 9:33 PM IST

नेटफ्लिक्स पर ‘मसाबा मसाबा’ अनूठा शो है। नीना गुप्ता और उनकी बेटी मसाबा के बीच मजाक भी बेहद स्वाभाविक और वास्तविक लगती है। हालांकि यह वृत्तचित्र, नाटक और थोड़े हल्के-फुल्के अंदाज वाले रोचक लेखन का मिला-जुला पैकेज है। निर्देशक सोनम नायर का कहना है कि यह पटकथा आधारित एक हकीकत है जिसे काल्पनिक कहानी में बदल दिया गया है। जब निर्माता अश्विनी यार्डी ने नेटफ्लिक्स को यह विचार दिया था तो उन्हें तुरंत ही इसका जवाब हां में मिल गया था। नायर ने कहा, ‘उन्होंने शो को मुख्यधारा में लाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं जो कहना चाहती हूं बस वही कहूं और इसे दर्शक अपने आप ही मिल जाएंगे।’
इस वाकये से आपको अंदाजा मिल सकता है कि आखिर स्ट्रीमिंग वीडियो उद्योग को जन्म देने वाली यह 20.2 अरब डॉलर की कंपनी का इस उद्योग पर इतना दबदबा क्यों है। नेटफ्लिक्स इंडिया की उपाध्यक्ष (सामग्री) मोनिका शेरगिल कहती हैं, ‘हमारा यह मूलमंत्र नहीं है कि एक साइज सब पर फिट बैठ जाए। रचनाकारों का नजरिया ही नेटफ्लिक्स का मूलमंत्र है। हम रचनाकारों के साथ साझेदारी करते हैं और उन्हें अपनी कहानियां बताने और अलग तरह से सोचने की आजादी देते हैं।’ कारोबार के लिहाज से भी यह सच है। जब ‘रात अकेली है’ या ‘कार्गो’ को नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया जाता है तो इसकी पहुंच 190 देशों के करीब 19.3 करोड़ सबस्क्राइबरों तक होती है और इसकी डबिंग और सब-टाइटल 32 भाषाओं में होती है। अगर ‘मसाबा मसाबा’ की अपील जापान, न्यूजीलैंड और पेरू के 50 लाख सबस्क्राइबरों के बीच होती है तो निश्चित तौर पर यह असरदार होगा। नेटफ्लिक्स की व्यापक उपलब्धता और ऑन-डिमांड सहूलियत की वजह से दुनिया वास्तव में इसका बाजार है।
 
भारत कैसे है मुफीद
इसका कोई सीधा जवाब नहीं है। कॉमस्कोर डेटा के मुताबिक कारोबार के लिहाज से भारत एक बड़ा बाजार है। यहां 66.2 करोड़ ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ता हैं जिनमें से 39.5 करोड़ वीडियो स्ट्रीमिंग कर रहे हैं। पिछले साल देश के ओटीटी बाजार में 8,000 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। हालांकि, लगभग 30 लाख सबस्क्राइबरों और 3.5 करोड़ अनूठे विजिटरों और 750 करोड़ रुपये के अनुमानित राजस्व के बावजूद नेटफ्लिक्स इंडिया कहीं और के मुकाबले खुद को यहां दमदार तरीके से स्थापित नहीं कर पाई है। गूगल के यूट्यूब के करीब 38.8 करोड़ यूनिक उपयोगकर्ता हैं और देश में इसका राजस्व अनुमानत: 3,000 करोड़ रुपये है जिसकी तुलना उचित नहीं हो सकती है। एमेजॉन प्राइम वीडियो की बात करें तो यह भी 2016 में ही बाजार में आई थी जब नेटफ्लिक्स का आगमन हुआ था। लेकिन इसका प्रदर्शन बेहतर रहा है और 1.4 करोड़ सबस्क्राइबरों के साथ-साथ इसका अनुमानित राजस्व 1,500 करोड़ रुपये रहा है। हालांकि, ये आंकड़े भारत के साथ नेटफ्लिक्स के बदलते रिश्तों को नहीं दर्शाते हैं। यह रिश्ता तीन आयामों पर संचालित होता है।

बेहतर तालमेल
कंपनी के कारोबार विकास के निदेशक अभिषेक नाग कहते हैं कि भारत उत्पाद और सामग्री को लेकर अभूतपूर्व मौका देता है। मिसाल के तौर पर उत्पाद के लिए वैश्विक उपाध्यक्ष टोड येलिन का कहना है कि केवल भारत के लिए मोबाइल सबस्क्राइबरों की विशेष योजना शुरू की गई है। भारत में बड़े पैमाने पर मोबाइल पर वीडियो स्ट्रीमिंग होती है और आमतौर पर किफायती मोबाइल पर भी। इसकी वजह से 2019 में 199 रुपये प्रतिमाह के मोबाइल प्लान और 499 रुपये और 799 रुपये के प्लान की पेशकश भी की गई है। इसी सफलता की वजह से नेटफ्लिक्स अब मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस जैसे बाजारों में इसका दायरा बढ़ा रहा है। इसके अलावा भी कई प्रयोग किए जा रहे हैं मसलन कि आप जो 30 सेकंड वाले ट्रेलर देखते हैं या फिर इंटरैक्टिव शो आदि। भारत इस तरह के प्रयोगों का अभिन्न अंग है।
दूसरी बात यह है कि यहां सामग्री का मांग ज्यादा है। भारतीय लोग न केवल स्थानीय शो जैसे कि ‘डेल्ही क्राइम’ या ‘घोल’ को पसंद करते हैं बल्कि वे इससे भी इतर काफी कुछ देखना चाहते हैं। अंग्रेजी और स्थानीय भाषा की सामग्री में स्पेनिश, कोरियाई और जापानी फि ल्में और शो देखने वालों की तादाद भी अच्छी खासी है। नेटफ्लिक्स को सबसे बड़ा बदलाव फि ल्मों से जुड़ी सामग्री पर करना है। इसकी वजह यह है कि भारत में सबसे ज्यादा करीब 80 फ ीसदी फि ल्में देखी जाती हैं जो देश में देखे जाने वाले सभी सामग्री में ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय मूल फि ल्म की निर्देशक सृष्टि आर्य बताती हैं कि भारत की जो भी फि ल्में शुरू की गईं या जिन्हें मंजूरी दी गई वे अलग तरह की कहानियां हैं चाहें वह ‘घोस्ट स्टोरी’, ‘बुलबुल’ या ‘राजमा चावल’ हो। आर्य कहती हैं, ‘हमारे पास आने वाली सामग्री में काफी विविधता है। 2020 के अंत तक हम 10 नए निर्देशकों को पेश कर देंगे।’ येलिन कहते हैं, ‘भारत में लोग फिल्मों से प्यार करते हैं और यह कुछ बेहतरीन कहानीकारों का एक बड़ा स्रोत है। सेक्रेड गेम्स देखने वाले दो-तिहाई दर्शक भारत से बाहर के थे।’
नेटफ्लिक्स की पहली भारतीय मूल की सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ (2018) का जिक्र दर्जनों बार कमाई को लेकर किया गया और यहां तक की कॉन्फ्रेंस में भी सीईओ रीड हेस्टिंग्स से लेकर सभी लोगों ने किया। इसके अलावा, ‘माइटी लिटल भीम’ को भी ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका सहित दुनिया भर में 2.7 करोड़ से अधिक परिवारों ने देखा। यह नेटफ्लिक्स के इंडिया कनेक्ट का तीसरा और सबसे अहम आयाम है।
2016 में अपने प्रवेश के बाद से ही नेटफ्लिक्स ने भारत से 60 से अधिक फि ल्में और शो की घोषणा कर दी। इनमें से 15 वेबसीरीज में ‘बार्ड ऑफ  ब्लड’ ,’जामताड़ा’ आदि शामिल थे जबकि 23 फि ल्में ‘चोक्ड’ ‘ये बैले’ आदि पहले से ही ऑनलाइन मौजूद हैं। 2020 के अंत तक यह प्रोग्रामिंग में 3,000 करोड़ रुपये का निवेश कर लेगी जिसकी वजह से भारत फि ल्में और शो तैयार करने के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक होगा। इसने कई अन्य ओटीटी की तरह ही कहानीकारों को उन बाधाओं से मुक्त कर दिया है जो टीवी या फि ल्मों की दुनिया में आती हैं। ‘सेक्रेड गेम्स’ का सह-निर्देशन करने वाले फि ल्मकार विक्रमादित्य मोटवाने कहते हैं कि यह लेखकों, अभिनेताओं, निर्देशकों के लिए बहुत अच्छा वक्त है। इसकी वजह से कहानी में इतनी विविधता आई है कि भारतीय दर्शक भी आश्चर्यचकित हैं। इस रचनात्मक स्वतंत्रता से काफी मदद मिल रही है। 2019 में भारतीय मूल के चार और इस साल तीन फि ल्में-शो को अंतरराष्ट्रीय एमी अवॉर्ड के लिए नामित किया गया है।

पर्दे के पीछे का गणित
पहले हेस्टिंग्स ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि किसी भी शो की शुरुआत करने का पहला कदम पटकथा होती है न कि डेटा। शेरगिल कहती हैं, ‘दर्शकों की अलग पसंद और उनका अलग मिजाज ही यह तय करता है कि वे आज क्या देखेंगे या फिर सप्ताहांत में क्या देखना पसंद करेंगे। सबसे पहले तो दर्शकों को समझना जरूरी है। इसके बाद बाकी चीजें आती हैं।’ एक ऐसे उद्योग में जहां रेटिंग, पेज व्यू और बॉक्स ऑफि स के आंकड़े का दबदबा होता है वहां रचनाकारों को आजादी देना भी अपने आप में जोखिम भरा होता है। लेकिन इसको लेकर भी नेटफ्लिक्स का अपना तर्क है।  नेटफ्लिक्स से जुड़ी एक किताब ‘नो रूल्स रूल्स’ हेस्टिंग्स और आईएनएसईएडी के प्रोफेसर एरिन मेयर ने लिखा है। नेटफ्लिक्स मुख्य रूप से तीन पैमाने पर चलती है, प्रतिभाओं का समूह तैयार किया जाए, उन्हें उनके बाजार मूल्य या उससे अधिक का भुगतान किया जाए, उन्हें पूरी स्वतंत्रता दी जाए और कोई प्रक्रिया न हो जैसे कि छुट्टी या खर्च की नीति होती है। इसी वजह से पिछले कुछ सालों में यह किसी भी मानकों के हिसाब से एक असामान्य और अविश्वसनीय प्रदर्शन करने वाली कंपनी बन गई। करीब 500 डॉलर में ही नेटफ्लिक्स डिज्नी से चार गुना अधिक पर कारोबार कर रही है जबकि डिज्नी राजस्व के लिहाज से नेटफ्लिक्स से तीन गुना बड़ी है। हालांकि विश्लेषक कहते हैं कि इससे काम के माहौल में काफी दबाव की स्थिति बनी है। येलिन कहते हैं, ‘नेटफ्लिक्स में बेहतर प्रदर्शन की संस्कृति है। आपको बेहतर कहानियां तैयार करने के लिए ज्यादा दबाव महसूस करना चाहिए।’ नेटफ्लिक्स के लिए यही शुरुआत और यही अंत है।

First Published - November 7, 2020 | 12:31 AM IST

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