मुंबई की निवासी अल्पा जानी ने मनाली में दो बार अपनी छुट्टियां बिताई थीं लेकिन हिमालय के प्रति अपने आकर्षण की वजह से वह नवंबर में तीसरी बार उस जगह फिर पहुंच गईं। हालांकि, इस बार उन्होंने शहर के होटल के बजाय तंबू में रहने का विकल्प चुना जहां से धौलाधार पर्वतमाला और मनाली घाटी के खूबसूरत नजारों से सीधे रूबरू हुआ जा सकता था।
अल्पा की तरह पर्यटकों की बढ़ती तादाद अब लीक से हटकर अलग जगहों और उससे जुड़े अनुभवों को लेना चाहती है जो शहर के किसी होटल में ठहरने पर मुमकिन नहीं है। ग्लैंपइको मनाली के सह-संस्थापक अक्षत जैन का कहना है, ‘गुंबद के आकार वाले हमारे सात टेंट जनवरी के आखिर तक के लिए बुक हैं।’
इंजीनियर रह चुके जैन शौकिया तौर पर पर्वतारोही हैं और उन्होंने नवंबर 2019 में ग्लैम्पिंग का अनुभव देने की पेशकश शुरू कर दी। वह कहते हैं, ‘हमारे मेहमानों में अधिकांश लोग मुंबई और बेंगलूरु से हैं जो एकांत जगहों और खूबसूरत दृश्यों की तलाश करते हैं। हमें दोबारा बुकिंग के अनुरोध भी मिलते हैं लेकिन सीमित जगह के कारण इसमें लंबा इंतजार करना पड़ जाता है।’
इन दिनों हॉलिडे सेवाओं की पेशकश करने वाले लोग यात्रा योजनाओं में नए बदलाव लाते हुए पर्यटकों को भीड़ से अलग कैंपिंग पैराग्लाइडिंग, जंगल में घूमने, बाइक से सैर करने जैसे विकल्प दे रहे हैं जो कोविड के वक्त के लिए जरूरी भी है। महामारी की वजह से राज्य सरकारें कई तरह की चेतावनियां जारी कर रही हैं, ऐसे में कम भीड़ वाली जगहों और आकर्षक जगहों के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है।
बेंगलूरु के एक लक्जरी ट्रैवल विशेषज्ञ पनाशे वल्र्ड के डायरेक्टर लवलीन अरुण कहते हैं, ‘गोवा या राजस्थान की नियमित यात्राओं के साथ-साथ हमने लीक से हटकर अनुभवों की मांग देखी है। हाल ही में हमने मालदीव में डाइविंग ट्रिप के लिए दो परिवारों की मदद की। लोग पूर्वोत्तर में नदी भ्रमण और कश्मीर के गुलमर्ग में स्कीइंग हॉलिडे जैसे अनुभवों की तलाश में हैं।’ वह कहती हैं, ‘हालांकि, ओमीक्रोन की वजह से नई बुकिंग पर असर पड़ रहा है और कुछ लोग अपनी यात्राओं को स्थगित कर रहे हैं।’
थॉमस कुक इंडिया के अध्यक्ष और कंट्री प्रमुख (हॉलिडेज) राजीव काले कहते हैं, ‘करीब 40 फीसदी पूछताछ थोड़ी असामान्य या लीक से अलग जगहों और उसके अनुभवों के लिए की जाती है।’ वह कहते हैं, ‘आश्चर्य की बात यह है कि इस तरह की मांग बिल्कुल युवा पीढ़ी या युवा पेशवरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि 45 से अधिक उम्र वर्ग के लोग भी इसमें शामिल हैं। हमारी बाइकिंग ट्रिप में भी बेहद रसूखदार लोग शामिल हो रहे हैं।’
एसओटीसी ट्रैवल के अध्यक्ष और कंट्री प्रमुख डेनियल डिसूजा कहते हैं, ‘देश के भीतर सबसे लोकप्रिय और लीक से अलग अनुभवों के लिए मेघालय में डॉकी झील में नौकायन और वहां पेड़ की जड़ों से बने पुलों को देखने, अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी नदी के एकदम स्वच्छ पानी में राफ्टिंग करने, सतपुड़ा पर्वत शृंखला पर चढ़ाई और औली तथा गुलमर्ग में स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग और आइस स्केटिंग जैसे विंटर स्पोट्र्स का लुत्फ उठाने के साथ किया जा रहा है।’
डिसूजा कहते हैं कि कंपनी ने 2020 की सर्दियों की तुलना में घरेलू पर्यटन की मांग में तीन गुना तेजी देखी गई है। यात्रा डॉट कॉम के अनुसार डेजर्ट री के साथ-साथ जयपुर और जैसलमेर के बाहर कुकास में भी कैंपिंग के लिए मांग बढ़ रही है। महामारी की वजह से कुछ अलग अनुभव करने की इच्छा लोगों को नए स्थानों का पता लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। विदेश यात्रा में अनिश्चितता की वजह से भी ऐसे रुझान दिख रहे हैं। कई देशों में कोविड-19 को लेकर सख्ती बरती जा रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय यात्रा महंगी होने के साथ ही कठिन भी होती जा रही है।
महाराष्ट्र के रायगड जिले के कर्जत निसर्ग एग्रो हीलिंग फार्म की मालिक मिशेल राघवन कहती हैं, ‘लोग छुट्टी में एक अलग तरह के अनुभवों की मांग कर रहे हैं।’ कॉफी और काली मिर्च बागानों वाले निसर्ग के फार्महाउस में रहने के लिए दो रातों (भोजन सहित) के लिए हर व्यक्ति को 5,500 रुपये चुकाने पड़ सकते हैं लेकिन राघवन का कहना है कि वह अक्सर इन जगहों के लिए थोड़ा समझौता कर लेती हैं।
राज्य सरकारें भी सामुदायिक भागीदारी और पर्यावरण के अनुकूल उपायों पर जोर देते हुए स्थानीय जगहों को पर्यटन क्षेत्र के रूप में बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को दोगुना कर रही हैं। ये पहल ऐसे समय में की जा रही हैं जब भारतीय यात्री स्थानीय समुदायों से जुडऩे में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। बुकिंग डॉट कॉम की 2022 की यात्रा भविष्यवाणी के अनुसार, 78 प्रतिशत भारतीय यात्रियों का मानना है कि यह महत्त्वपूर्ण है कि उनकी यात्रा वाली जगह के स्थानीय समुदायों को फायदा मिले।
हाल में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तीन महीने तक चलने वाले ‘इको रिट्रीट’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया जिसमें राज्य में सात स्थानों पर ग्लैम्पिंग के मौके भी मिले। यह पहल 2019 में पुरी में एक जगह चंद्रभागा के समुद्री तट पर हुई। इसके बाद इसकी तादाद बढ़कर पांच हो गई और अब इसमें समुद्र तट, हिल स्टेशन और महानदी के किनारे मिलकर सात जगहें शामिल हो गई हैं।
मध्य प्रदेश सरकार भी प्राचीन किला शहर मांडू में अपने लक्जरी टेंट में रहने, ऐतिहासिक धरोहरों की सैर करने, साइक्लिंग टूर, ग्रामीण क्षेत्रों के अनुभव लेने और हॉट एयर बैलून की सवारी जैसी गतिविधियों की भी पेशकश कर रही है। यह महोत्सव 30 दिसंबर से 3 जनवरी तक आयोजित किया जा रहा है जबकि टेंट में रहने का इंतजाम फरवरी के अंत तक रहेगा। पश्चिमी मध्यप्रदेश के धार जिले में मौजूद मांडू, झरने, झीलों और इसके स्मारकों के हैरान कर देने लायक दृश्यों के लिए जाना जाता है। इनमें ही रानी रूपमती की याद में बाज बहादुर द्वारा बनाया गया किला बेहद मशहूर है। इस क्षेत्र की कुछ धरोहरों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है।
छत्तीसगढ़ में इस बीच बस्तर जिले में ट्रैवल कंपनियां और सरकार, आदिवासी होमस्टे को बढ़ावा दे रही हैं। एक ट्रैवल स्टार्टअप अनएक्सप्लोर्ड बस्तर के संस्थापक जीत सिंह आर्य कहते हैं, ‘आदिवासी परंपराओं और स्थानीय धातु शिल्प के बारे में सीखने के अलावा मेहमान यहां के वन्यजीवों, झरने और गुफाओं को देखने के लिए कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान भी जाते हैं। हालांकि इन होमस्टे को पिछले कुछ वर्षों से संगठित किया गया है लेकिन अब यह अधिक संगठित हो गया है।’ वह कहते हैं कि स्थानीय जिला प्रशासन, होमस्टे परियोजनाओं के लिए फंड मुहैया कराकर सामुदायिक पर्यटन का समर्थन कर रहा है। आर्य कहते हैं, ‘इसने एक वेबसाइट भी लॉन्च की है जो इन पर्यटन स्थलों की जानकारी देती है और लोगों को यात्रा कार्यक्रम की बुकिंग करने देती है।’