मारुति सुजूकी के एक बड़े डीलर के पूर्वी दिल्ली स्थित शोरूम में अगस्त-सितंबर के दौरान लगभग सन्नाटा पसरा था और खरीदारों का टोटा था। मगर उसी शोरूम के सेल्स प्रबंधक को इस बार धनतेरस से दो दिन पहले से ही सांस लेने की फुरसत नहीं थी। उन्होंने बताया कि नवरात्र से बाजार पलटा और दीवाली ने लॉकडाउन की कसर पूरी कर दी। उस शोरूम से धनतेरस के दिन ही 150 से अधिक गाडिय़ों की डिलिवरी हुई और कर्मचारियों को देर रात तक काम करना पड़ा। जिन ग्राहकों को उस दिन डिलिवरी नहीं मिली, उन्होंने दीवाली की शाम तक गाडिय़ों की चाबी थामीं। सेल्स प्रबंधक ने बताया कि कई ग्राहक पसंदीदा मॉडल का आज तक इंतजार कर रहे हैं।
इस बात की तसदीक मारुति के कार्यकारी निदेशक (सेल्स, मार्केटिंग ऐंड सर्विस) शशांक श्रीवास्तव ने भी की। उन्होंने बताया कि 12 से 14 नवंबर यानी धनतेरस से दीवाली तक कंपनी ने 37,000 कारों की डिलिवरी की, जो पिछली दीवाली के तीन दिनों के मुकाबले ज्यादा थीं। कंपनी ने पिछले तीन साल में धनतेरस से दीवाली के बीच कभी इतनी कार नहीं बेची थीं। श्रीवास्तव ने कहा, ‘लॉकडाउन के कारण कार की खरीद टालने वाले और कोरोनावायरस के डर से बस, मेट्रो से परहेज करने वाले एकाएक उमड़ पड़े। इसलिए बिक्री जबरदस्त रही।’
टाटा मोटर्स के लिए भी त्योहार बहुत अच्छे गए। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘पिछले साल के त्योहारों के मुकाबले इस बार हमें 95 फीसदी ज्यादा बुकिंग हासिल हुईं और खुदरा बिक्री भी 90 फीसदी बढ़ गई।’ प्रवक्ता ने बताया कि कार और स्पोट्र्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) में एक जैसी मांग रही। गाजियाबाद में कंपनी के एक डीलर ने भी बताया कि टियागो से लेकर नेक्सॉन और हैरियर तक सभी मॉडलों की भरपूर मांग देखी गई। कोरोना के डर से कार खरीदने वाले किफायती गाडिय़ां लेने पहुंचे मगर महंगे मॉडलों की मांग भी कम नहीं पड़ी। नोएडा में हुंडई मोटर इंडिया के एक डीलर ने बताया कि शुरुआती स्तर की कार खरीदने वालों से ज्यादा प्रीमियम कार और एसयूवी खरीदने वाले आए। इसीलिए सैंट्रो और नियॉस के मुकाबले वेन्यू और क्रेटा की बिक्री ज्यादा तेज रही।
दिल्ली के उलट मुंबई और आसपास के इलाकों में कई डीलरों को यह मलाल रहा कि त्योहारों का पूरा फायदा उन्हें नहीं मिल पाया। क्योंकि गाडिय़ों की किल्लत रही। स्टॉक खत्म होने के कारण करीब 20 फीसदी ग्राहकों को गाडिय़ां दी ही नहीं जा सकीं। मुंबई और करीबी शहरों के बड़े कार डीलर बाफना फोर्टपॉइंट ऑटोमोटिव के चेयरमैन संदीप बाफना ने बताया कि त्योहारों में मांग तो उम्मीद से बढ़कर आई मगर उतनी गाडिय़ां ही नहीं आ सकीं। इस वजह से गाडिय़ों की डिलिवरी में करीब 30 फीसदी कसर रह गई। यहां रेनो, जीप और मर्सिडीज जैसी आलीशान कारों की बिक्री करने वाले लैंडमार्क ग्रुप के निदेशक आर्यमन ठक्कर ने भी बताया कि अक्टूबर में नवरात्र और दशहरे पर गाडिय़ों की बुकिंग और डिलिवरी पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी अधिक रही थी। इस कारण धनतेरस और दीवाली पर भी शानदार कारोबार की उम्मीद थी मगर पीछे से गाडिय़ां ही कम आ रही हैं, जिसकी वजह से ग्राहकों को रुकना या लौटना पड़ रहा है। लॉकडाउन के कारण कारखाने बंद रहे और बाद में क्षमता से कम उत्पादन हुआ, जिससे पिछले साल से ज्यादा मांग होने के बाद भी डीलर पिछले साल जितनी गाडिय़ां नहीं बेच पाए। ठाणे में हुंडई के डीलर राजन शर्मा ने भी बताया कि पिछले साल के मुकाबले 10-15 फीसदी कम डिलिवरी होगी। गोरेगांव में दोपहिया डीलर राजेंद्र सिंह ने बताया कि लोकल ट्रेन बंद होने के कारण जून के महीने में इतने ग्राहक आए कि लॉकडाउन से पहले का स्टॉक निपट गया। धनतेरस और दीवाली पर स्टॉक नहीं होने के कारण बिक्री कमजोर रही। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तो दीवाली से 15 दिन पहले ही कार खरीदने वालों को न कहने की नौबत आ गई थी। डीलरों ने बताया कि धनतेरस और दीवाली पर कार की डिलिवरी के लिए लोगों ने महीनों पहले बुकिंग करा ली थी, इसलिए नई डिलिवरी के लिए गुंजाइश ही नहीं बची। दीवाली के साथ ही सहालग (शादी-ब्याह की शुभ लग्न) भी पडऩे के कारण लोकप्रिय मॉडलों की किल्लत हो गई, इसलिए ज्यादा मांग वाले मॉडलों पर एक पाई की भी छूट नहीं दी जा रही है। हां, बाइक पर छूट और मुफ्त बीमा का फायदा अब भी मिल रहा है। लखनऊ में बजाज ऑटो के एक बड़े डीलर ने बताया कि त्योहारी बिक्री पिछले साल से ज्यादा नहीं थी मगर कम भी नहीं रही। उन्होंने बताया कि शहर में धनतेरस से दीवाली के बीच तमाम कंपनियों के 15,000 से ज्यादा दोपहिया की डिलिवरी हुई।
शहर में धनतेरस पर 1,500 से ज्यादा कारों की डिलिवरी की गई और धनतेरस से दीवाली के बीच 4-5 हजार कारें उठीं। इस वजह से गाडिय़ों की इतनी किल्लत हो गई है कि बाद में आए खरीदारों को डिलिवरी के लिए 15 दिन बाद तक की तारीख देनी पड़ी है। शहर के पुराने वाहन कारोबारी देवेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि लॉकडाउन में उत्पादन नहीं होने के कारण अब मांग पूरी करने के लिए गाडिय़ां ही नहीं हैं। एक अन्य डीलर रंजीत सिंह ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लखनऊ ही नहीं दूसरे जिलों के लोग भी कार खरीदने राजधानी में आ रहे हैं, इसलिए कई डीलरों को ‘नो व्हीकल’ के बोर्ड तक लगाने पड़े हैं।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी धनतेरस के लिए करीब 1,500 कारें बुक हुई थीं मगर स्टॉक की कमी के कारण डीलर 1,000-1,100 की डिलिवरी ही कर पाए। नवरात्र और दशहरे पर भी 1,500 से ज्यादा बुकिंग होने के बावजूद 1,200 गाडिय़ां ही खरीदारों को मिल पाई थीं। ग्वालियर ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरिकांत समाधिया ने बताया कि कंपनियां ही मांग पूरी नहीं कर पा रही हैं, इसलिए इस बार ग्राहकों को पसंदीदा गाडिय़ों के लिए 3-4 महीने इंतजार करना पड़ रहा है और कई के लिए डिलिवरी दीवाली बाद के लिए टालनी पड़ी है। उन्होंने बताया कि क्रेटा, एक्सयूवी 300 और सेल्टॉस जैसी एसयूवी की मांग बुंदेलखंड में ज्यादा रही और बिक्री में उनकी हिस्सेदारी 25-40 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी तक पहंच गई। मगर दोपहिया और ट्रैक्टर का बाजार सुस्त रहा। महिंद्रा ट्रैक्टर के डीलर श्री मोटर्स के निदेशक अंकुर गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन उठते ही ट्रैक्टर की मांग तेजी से बढ़ी, जो त्योहार से पहले ही थम गई। हीरो मोटोकॉर्प के डीलर कुलजिंदर सिंह ने बताया कि ग्वालियर, भिंड, मुरैना में दोपहिया की त्योहारी बिक्री पिछले साल से 20 फीसदी कम है मगर दतिया, शिवपुरी, गुना में फसल अच्छी होने से बिक्री पूरे शबाब पर है।
(नई दिल्ली से ऋषभ कृष्ण सक्सेना, मुंबई से सुशील मिश्र और शैली सेठ मोहिले, लखनऊ से सिद्घार्थ कलहंस और ग्वालियर से रामवीर सिंह गुर्जर)
