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जल जीवन मिशन का लक्ष्य 2024 तक नहीं हो पाएगा पूरा

Last Updated- December 11, 2022 | 7:46 PM IST

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) की तुलना में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत पाइप के जरिये पानी का कनेक्शन देने की रफ्तार में काफी तेजी आई, हालांकि इस वित्त वर्ष में रफ्तार धीमी हो गई है। सरकार पिछले दो वर्षों में अपने लक्ष्यों को पार करने में सक्षम थी, लेकिन इस साल इसके अपने लक्ष्य में 60 प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है। सरकार ने परिकल्पना की थी कि वह इस वित्त वर्ष में 4.9 करोड़ परिवारों को पाइप वाले पानी का कनेक्शन देने में सक्षम होगी लेकिन 24 मार्च तक यह केवल 1.98 करोड़ घरों को कवर करने में सक्षम थी।
इस तरह के प्रदर्शन को मिलाकर देखा जाए तब सरकार ने 6.56 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 2020-21 तक 7.29 करोड़ परिवारों को कवर किया था और इस साल यह 1.04 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 9.2 करोड़ परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करने में सक्षम होगी। बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक विश्लेषण से पता चलता है कि अगर सरकार यही रफ्तार बरकरार रखती है तब देश के सभी घरों तक पाइप वाले पानी का कनेक्शन देने की 2024 की समय सीमा कम पडऩे की संभावना है। बीएस के आकलन के अनुसार, उस स्थिति में भारत में सभी घरों को नल कनेक्शन देने में पांच साल का वक्त और लग सकता है।
जेजेएम के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि बड़े राज्य ही सरकार के लक्ष्य को धीमा कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश 2021-22 के लिए अपने लक्ष्य का केवल 8.3 प्रतिशत कवर करने में सक्षम था और इसने 78 लाख के अपने लक्ष्य की तुलना में 650,384 कनेक्शन लगाए। राजस्थान ने 501,462 परिवारों को कवर किया (लक्ष्य 30 लाख का था)। केरल ने 29 लाख के अपने लक्ष्य के मुकाबले 622,942 घरों को कवर किया।
रोजाना लगाए जाने वाले पाइप कनेक्शन के मामले में, पंजाब बड़े राज्यों के बीच सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य साबित हुआ जहां प्रत्येक 10 लाख लोगों के घरों पर औसतन 694 कनेक्शन था। असम में प्रत्येक 10 लाख परिवारों पर औसतन 678 पानी का कनेक्शन था वहीं उत्तर प्रदेश में 2021-22 में प्रत्येक 10 लाख परिवारों पर पानी का 68 कनेक्शन जबकि इसी लिहाज से राजस्थान में 133 और झारखंड में 193 पानी का कनेक्शन भी शामिल है।
भारत ने 24 मार्च तक 48 प्रतिशत परिवारों को कवर किया है वहीं पांच राज्यों, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तर प्रदेश ने एक-चौथाई से भी कम कवर किया था। वहीं छह राज्य सभी परिवारों को नल का कनेक्शन देने में सफल रहे थे।
वर्ष 2022-23 के लक्ष्यों को हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। संसद की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट से पता चलता है कि भले ही पेयजल और स्वच्छता विभाग ने 91,258 करोड़ रुपये की मांग की थी लेकिन इसे वर्ष 2022-23 के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। जेजेएम 2021-22 में मुश्किल से आधे लक्ष्य को कवर कर सका। वहीं 50,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले, सरकार ने जनवरी 2022 तक 28,238 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

First Published - April 18, 2022 | 11:58 PM IST

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