बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स ने गुरुवार को 50,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को छू लिया और पिछले साल मार्च के निचले स्तर से इसमें 90 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। साथ ही महज 32 कारोबारी सत्र में इसने करीब 5,000 अंक जोड़े हैं। इस तेजी में वैश्विक नकदी, मजबूत एफपीआई निवेश, आर्थिक गतिविधियों में उम्मीद से तेज सुधार और अच्छे बजट की संभावना का योगदान रहा है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने पांच प्रमुख कारक पर नजर डाली, जिसके बारे में बाजार के प्रतिभागियों का मानना है कि अल्पावधि में बाजार की चाल पर इसका असर रह सकता है।
अमेरिकी प्रोत्साहन
राष्ट्रपति जो बाइडन ने कुछ दिन पहले 1.8 लाख करोड़ डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज का खाका खींचा है, जिसका लक्ष्य अर्थव्यवस्था को गति देना और महामारी को नियंत्रण में लाने के लिए टीके के वितरण में तेजी लाना है। शेयरों में इस उम्मीद में तेजी आई है कि राहत के कदम दुनिया भर की परिसंपत्तियों (उभरते बाजारों की इक्विटी समेत) को सहारा देना जारी रख सकते हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मार्च व अप्रैल में 8.4 अरब डॉलर के शेयर बेचे। कैलेंडर वर्ष 2020 के बाकी आठ महीने में वे शुद्ध खरीदार रहे और उनकी कुल खरीद 2.2 लाख करोड़ रुपये की रही, जिसमें नवंबर में हुई 70,900 करोड़ रुपये की हुई रिकॉर्ड खरीदारी शामिल है। विश्लेषकों ने कहा कि इस साल उभरते बाजारों से भारत में 10-15 अरब डॉलर का निवेश आने की उम्मीद है।
बजट से मजबूती
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वादा किया है कि आम बजट ऐसा होगा जो पहले कभी नहीं हुआ, जिससे महामारी के त्रस्त अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। सरकार अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और बेरोजगारी कम करने के लिए बुनियादी ढांचे पर जोर दे सकती है। निजी भागीदारी में सुधार और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करने में मददगार नीतियों पर नजर रहेगी।
मूल्यांकन
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अंतर्निहित कॉरपोरेट व इकनॉमिक फंडामेंटल पिछले कुछ महीनों में एक्सचेंजों पर शेयरों मेंं हुई बढ़ोतरी के साथ कदमताल नहीं रख पाया। बीएसई सेंसेक्स अभी पिछले 12 महीने के करीब 33 गुना पीई गुणक पर कारोबार कर रहा है, जो पिछले 25 साल का सर्वोच्च स्तर है। अभी बाजार अर्थव्यवस्था में वी आकार के सुधार मानकर चल रहा है और आय की रफ्तार में तेजी का भी। चूंकि मूल्यांकन बेहतर बना हुआ है, ऐसे में इस पर काफी कुछ निर्भर करता है कि महामारी का परिदृश्य क्या आकार लेता है और केंद्रीय बैंक नकदी पर क्या रुख अख्तियार करते हैं। इन मोर्चों पर कोई नकारात्मक खबर गिरावट ला सकता है, यह कहना है विशेषज्ञों का।
आय की रफ्तार
वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही से आय ने रफ्तार पकड़ी है, जिसकी अगुआई त्योहारी व पेंट-अप डिमांड ने की। कर्मचारी पर कम खर्च और कच्चे माल की कम लागत ने भी पिछली दो तिमाहियों में मार्जिन को मजबूत बनाने में मदद की है, जिसके बारे में विश्लेषकों को उम्मीद नहीं थी कि यह जारी रहेगा जिसकी वजह जिंस की ऊंची कीमतें व विज्ञापन खर्च है। हालांकि जीडीपी में उम्मीद से तेज सुधार और राजकोषीय मोर्चे पर उम्मीद से कम नरमी का आय पर सकारात्मक असर हो सकता है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि यह अच्छी सुदृढ़ता दिखा रहा है। मोटे तौर पर बाजार के भागीदारों को वित्त वर्ष 2022 के लिए आय की रफ्तार 25 फीसदी और उसके बाद के वर्ष में 15-20 फीसदी रहने की उम्मीद है।
वित्तीय क्षेत्र के शेयर
बैंक समेत वित्तीय शेयरों का इंडेक्स में सबसे ज्यादा भारांक है। अगर सेंसेक्स को मौजूदा स्तर से और चढऩा है तो इस क्षेत्र का प्रदर्शन अहम रहेगा। अभी बाजार इस क्षेत्र को लेकर तेजी का नजरिया अपनाए हुए है क्योंकि सितंबर तिमाही के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे थे।