जहां  कोविड-19 महामारी ने अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया  है, वहीं जीवन बीमा कंपनियों का मानना है कि इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से  बीमा उत्पादों के लिए मांग बढ़ गई है, चाहे वे प्रोटेक्शन सेगमेंट, हेल्थ  सेगमेंट, गारंटीड रिटर्न सेगमेंट से हों या अन्य सेगमेंट से। मौजूदा  महामारी से जुड़ी अनिश्चितताओं की वजह से बीमा क्षेत्र की मांग बढ़ गई है।
बिजनेस  स्टैंडर्ड द्वारा आयोजित, कंसल्टिंग संपादक तमल बंदोपाध्याय द्वारा  संचालित एक वेबिनार में जीवन बीमा उद्योग के दिग्गज इस तथ्य पर सहमति जाहिर  करते दिखे कि मौजूदा हालात ने ग्राहकों को बीमा के प्रति ज्यादा जागरूक  होने के लिए प्रेरित किया है, जिसकी वजह से बीमा उत्पादों, खासकर सुरक्षा  योजनाओं के लिए मांग बढ़ रही है। अन्य क्षेत्रों के विपरीत, बीमा उद्योग को  मांग या आपूर्ति संबंधित समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा है।
आईसीआईसीआई  प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी  एनएस कन्नन ने कहा, ‘कोविड जैसी कोई भी महामारी ग्राहकों के बीच जागरूकता  बढ़ाएगी। हम अच्छी दिलचस्पी देख रहे हैं। यह एक निर्णायक समय होगा।’
हालांकि  उद्योग ने वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में अपने नए बिजनेस प्रीमियम  में कमी दर्ज की, वहीं जुलाई से जीवन बीमा कंपनियों के व्यवसाय में तेजी  दिखी है और इसमें सरकार के स्वामित्व वाली दिग्गज कंपनी लाइफ इंश्योरेंस  कॉरपोरेशन (एलसीआई) का अहम योगदान रहा है।
एसबीआई  लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी महेश कुमार  शर्मा ने कहा, ‘महामारी शुरू होने के बाद से हमें काफी व्यवसाय गंवाना पड़ा  है। लेकिन जुलाई के लिए हमारे आंकड़े जुलाई 2019 जैसे रहे और अगस्त के लिए  यह पिछले साल के समान होगा। अप्रैल और मई के आधे महीने में हमने अच्छा  प्रदर्शन किया।’ बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य  कार्याधिकारी तरुण चुघ ने कहा, ‘कोविड के बाद, चीन और हॉन्गकॉन्ग पर विचार  करें तो पता चलता है कि बीमा उत्पादों के लिए मांग बढ़ी है। ऐसा वास्तव में  दिख रहा है। मांग को लेकर कोई समस्या नहीं है।’ पॉलिसीबाजार डॉटकॉम के  मुख्य कार्याधिकारी एवं सह-संस्थापक याशीष दहिया ने कहा, ‘स्वास्थ्य बीमा  के लिए आवेदनों की संख्या भारत में कार बीमा का 1.5-2 गुना है। इसके अलावा  हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस में सालाना आधार पर 60 प्रतिशत की वृद्घि हुई  है।’ अन्य लोगों की राय पर सहमति जताते हुए एलआईसी के प्रबंध निदेशक टीसी  सुशील कुमार ने कहा, ‘यह इस क्षेत्र के लिए निर्णायक समय है और बीमा  उत्पादों की मांग बढ़ी है।’ एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस की एमडी एवं सीईओ  विभा पैडलकर ने कहा, ‘हमारा मानना है कि मेडिक्लेम जैसे क्षतिपूर्ति  संबंधित उत्पाद उद्योग के तौर पर हमारी पेशकशों में नदारद थे।’
कोविड के बाद बीमा का महत्व जान गए भारतीय
कोविड-19  महामारी से भारतीय यह समझ गए हैं कि स्वास्थ्य बीमा लेना कितना जरूरी है।  यह काम बीमा उद्योग अपने सभी अभियानों के बावजूद नहीं कर पाया था।
बिज़नेस  स्टैंडर्ड वर्चुअल कॉनक्लेव अनलॉक बीएफएसआई 2.0 में दिग्गज सामान्य बीमा  कंपनियों की चर्चा में कहा गया कि इस संकट से सामान्य बीमा कंपनियों के  सामने एक नई चुनौती पैदा हुई है। वह चुनौती यह है कि हर 30 दिन में दावे  दोगुने हो रहे हैं। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों में तरल परिसंपत्तियां उनके  दावों की कम से कम 50 फीसदी हैं। लेकिन फिर भी यह बड़ा कारोबारी जोखिम है,  जो इस संकट पर रोकथाम तक सिरदर्द बना रहेगा।
इस  कॉनक्लेव के पैनल में सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के सीईओ शामिल  थे। इनमें आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के भार्गव दासगुप्ता, इफ्को टोक्यो की  अनामिका रॉय राष्ट्रवार, रिलायंस जनरल के राकेश जैन, टाटा एआईजी के नीलेश  गर्ग और रेलिगेयर हेल्थ के अनुज गुलाटी शामिल थे।
शुरुआत  में कोविड-19 प्लान अनिवार्य नहीं थे, लेकिन बीमा कंपनियों ने आगे बढ़कर  कदम बढ़ाया और सभी के लिए यह प्लान शुरू किया। कोरोना कवच और कोरोना शील्ड  जैसे कुछ एकल प्लान भी हैं, जिन्हें ग्राहक अपनी जरूरत के मुताबिक ले सकते  हैं। बीमा कंपनियों ने मौजूदा डेटा के आधार पर इन प्लान की कीमत तय की।  रिलायंस जनरल के जैन ने कहा, ‘कोरोना के लिए बीमे के दावे पिछले 30 दिन में  दोगुने हो गए हैं। हमारे पास 31 जुलाई के अंत तक 81,000 दावे आए थे, लेकिन  25 अगसस्त दावे बढ़कर 1.48 लाख हो गए हैं।’
इफ्को  टोक्यो की राष्ट्रवार ने कहा, ‘लेकिन स्वास्थ्य दावों में बढ़ोतरी की कुछ  हद तक भरपाई मोटर वाहनों के कम दावों से हुई है।’ उन्होंने कहा कि  देशव्यापी लॉकडाउन से सड़कों पर कम वाहन आए, इसलिए दुर्घटनाएं भी कम हुईं।
रेलिगेयर  के गुलाटी ने कहा, ‘कोरोनावायरस जैसी घटनाएं कारोबार के लिए जोखिम हैं,  जिन्हें हमें बहुवर्षीय आधार पर देखना होगा।’ टाटा एआईजी के गर्ग ने कहा कि  भारत में ऐसी अस्थिरता की घटनाएं बढ़ रही हैं। ये पश्चिम बंगाल में अम्फान  तूफान के लगभग साथ आई हैं। इससे बीमा कंपनियों की बैलेंस शीट में ‘अत्यधिक  उतार-चढ़ाव’ के आसार हैं। इन सब से लंबी अवधि में ग्राहकों के लिए  प्रीमियम बढऩे के आसार हैं।
बीमाकर्ताओं  ने अस्पतालों के शुल्कों के बारे में चर्चा की, जिनमें बहुत बड़ा अंतर है।  आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के दासगुप्ता ने कहा, ‘हमें अपने साझेदारों के  नेटवर्क के साथ काम करना होगा। लेकिन अगर आप लागत को नियंत्रित नहीं रख  सकते हैं तो लागत बढऩे के साथ प्रीमियम भी बढ़ता है। दरअसल बीमा प्रीमियम  की पूलिंग है।’