लॉकडाउन की मार झेल चुके कारोबारियों को दीवाली पर सहारा तो मिला मगर त्योहार पिछले साल की तुलना में सुस्त ही रहा। यहां के थोक बाजारों में दीवाली के मौके पर सजावटी सामान, लाइट, मूर्ति, मेे, गिफ्ट आइटम, बर्तनों, पटाखों, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि की खूब बिक्री होती है। मगर सरकारी प्रतिबंध, कोरोनावायरस के डर और प्रदूषण पर सख्ती के कारण इस बार बिक्री कम रही। बिक्री हुई भी तो कम कीमत के सामान पर खरीदारों का ज्यादा जोर रहा।
सबसे ज्यादा मार आतिशबाजी के बाजार पर पड़ी, जहां सरकारी सख्ती कारोबारियों को मार गई। सदर बाजार पटाखा कारोबार संघ के अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता ने बताया कि बिक्री कम रहने के खटके से कारोबारियों ने पहले ही बमुश्किल 20-30 फीसदी माल खरीदा था। उसके बाद सरकार ने लाइसेंस देने के बाद भी हरित पटाखों पर रोक लगा दी। नतीजा यह हुआ कि माल खरीदने पर खर्च की गई रकम भी डूबने की नौबत आ गई। हालांकि पूरे दिल्ली-एनसीआर में चोरी-छिपे आतिशबाजी की बिक्री हुई मगर कारोबारियों ने बताया कि रोक से दिल्ली के कारोबारियों को 10 करोड़ रुपये के करीब की चपत लगी।
पटाखों पर सरकारी सख्ती भारी पड़ी तो बाकी बाजार को कोरोनावायरस मार गया। सदर बाजार के गिफ्ट कारोबारी सुरेंद्र बजाज ने बताया कि दीवाली पर भगवान की मूतियों, क्रॉकरी की बतौर गिफ्ट खूब मांग रहती है। लेकिन इस साल कारोबार 40-50 फीसदी कम रहा। वर्क फ्रॉम होम के कारण कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों और क्लाइंटों के लिए तोहफे ही नहीं खरीदे। जिन्होंने खरीदे, उन्होंने भी बजट कम कर दिया। इसलिए अमूमन 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने वाला कारोबार 500 करोड़ रुपये के भीतर ही सिमट गया।
दिल्ली का डिप्टीगंज बाजार उत्तर भारत में बर्तन कारोबार का अहम ठिकाना है डिप्टीगंज स्टील यूटेंसिल्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और बर्तन कारोबारी सुधीर जैन ने बताया कि ऐसी मंदी किसी दीवाली पर नहीं रही। इस बार बर्तनों का कारोबार 50 फीसदी से ज्यादा गिर गया। जो लोग गिफ्ट के लिए 11 और 21 बर्तनों का सेट खरीदते थे, उन्होंने 5-7 बर्तनों के सेट ही खरीदे। 1,000 रुपये का बजट रखने वाले इस बार 500 रुपये से कम में ही काम चला रहे थे। कारोबारियों के मुताबिक दिल्ली में हर साल 1,200 से 1,500 करोड़ रुपये के बर्तन बिकते थे मगर इस बार 600 करोड़ रुपये की बिक्री भी नहीं हो सकी।
लाइटिंग कारोबारी भी दीवाली पर 1,500 से 1,800 करोड़ रुपये का कारोबार करते थे मगर इस बार 1,200 करोड़ रुपये के आसपास ही कारोबार रहा। दिल्ली इलेक्ट्रिकल्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और भगीरथ पैलेस के कारोबारी भरत आहूजा ने बताया कि लाइटिंग का कारोबार इस बार पिछली दीवाली से 30 फीसदी कम रहा मगर लॉकडाउन की मार झेल चुके कारोबारियों के लिए यह भी राहत भरा रहा।
अलबत्ता मेवा और कपड़ों का कारोबार काफी सुधरा दिखा। मेवा कारोबारी कमलजीत बजाज ने बताया कि मेवों की मांग अच्छी रही और पिछली दीवाली के बराबर ही कारोबार हुआ। चूंकि कोरोना संक्रमण के डर से मिठाइयों की मांग कम रही, इसलिए लोगों ने भरपाई मेवा से ही की। कपड़ों को शादी-ब्याह का सहारा मिला। चांदनी चौक सर्वव्यापार मंडल के महासचिव संजय भार्गव ने कोरोना के कारण गर्मियों में टली शादियां सर्दियों में होने के कारण साडिय़ों की बिक्री खूब हो रही है और कारोबार पिछले साल के बराबर या ज्यादा होने की उम्मीद है।
बाजारों पर कोरोना का असर ज्यादा ही दिखा। भीड़ से परहेज करने के फेर में लोगों ने ऑनलाइन खरीद ज्यादा की, जिसकी मार दुकान लगाए कारोबारियों पर पड़ी। मगर दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा को इससे भी शिकायत नहीं थी। उन्होंने कहा कि दीवाली पर बेशक पिछले साल के मुकाबले 70 फीसदी ही कारोबार हुआ मगर मार्च के बाद से परेशान व्यापारियों के लिए यह भी बहुत रहा।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के हिसाब से इस बार दीवाली पर देश भर के बाजारों में 60,000 करोड़ रुपये का ही कारोबार हुआ। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि ग्राहक चीनी सामान पसंद नहीं कर रहे हैं। हर साल त्योहार पर करीब 40,000 करोड़ रुपये का चीनी माल बिक जाता था, जिसे इस बार तगड़ी चपत लगने का अनुमान है।
