देश की 70 प्रतिशत युवा और मध्य आयु वर्ग वाली कामकाजी आबादी के टीकाकरण के लिए 30,000 करोड़ रुपये या इससे भी अधिक मूल्य के आर्थिक संसाधनों की जरूरत पड़ सकती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड की गणना में यह बात पता चली है। इस गणना में टीके की एक खुराक की कीमत 400 रुपये मानी जा रही है, जो बुधवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा घोषित किए गए दामों के अनुरूप है।
भारत बायोटेक के कोवैक्सीन और उन टीकों के दाम, जिन्हें वर्ष के दौरान बाद में मंजूरी मिलेगी, इससे भी ज्यादा हो सकते हैं। इनकी कीमतों से संबंधित उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार ऐसा ही लगता है। पूरी तरह से 18 से 44 वर्ष वाले आयु वर्ग के लिए सभी टीकों की संयुक्त टीकाकरण रणनीति के साथ 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आने वाली है।
उत्तर प्रदेश को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की आवश्यकता होगी, इसके बाद महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल का स्थान आता है, जिन्हें इस भारी-भरकम कार्य के लिए 2,500 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ सकती है। पुराने जनसांख्यिकी वाले राज्यों को कम राशि की जरूरत पड़ सकती है। उदाहरण के लिए केरल और पंजाब को 18 से 44 वर्ष वाले आयु वर्ग में 70 प्रतिशत टीकाकरण के लिए करीब 700 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
केंद्र सरकार ने 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले हर व्यक्ति के लिए कोविड-19 टीकाकरण के तीसरे चरण की घोषणा की है, जिसकी शुरुआत 1 मई से की जा रही है। पहला चरण स्वास्थ्य और प्रथम पंक्ति के कर्मचारियों के साथ शुरू हुआ था और दूसरे चरण में 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोग शामिल किए गए थे।
नवीनतम अधिसूचना में राज्य और निजी अस्पतालों के साथ-साथ कंपनियों के लिए भी अपने स्तर पर टीकों की खरीद करने का निर्देश दिया गया है। केंद्र की ओर से कुछ अतिरिक्त सहायता के साथ यह अपेक्षित व्यय संभवत: इन तीनों में विभाजित करा दिया जाएगा। लेकिन इस बोझ में राज्यों को बड़ा हिस्सा उठाने की जरूरत पड़ सकती है।
विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारें केंद्र के इस कदम की आलोचना कर रही हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित राज्य सरकारों ने केंद्र के हालिया फैसले की सराहना की है। केंद्र ने राज्य सरकारों और निजी कंपनियों को एक ही पलड़े में रखा है, जिनका देश में उत्पादित होने वाले 50 प्रतिशत टीकों पर नियंत्रण होगा तथा शेष आधा हिस्सा उसने अपने पास रखा।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र से एक करोड़ टीके मांग रही हैं। अब तक राज्य 93 लाख टीकाकरण कर चुका है। मंगलवार को उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें इस टीका आवंटन को दो भागों में बांटने के निर्णय को खोखला, आधारहीन और संकट के समय केंद्र सरकार की जिम्मेदारी के खेदजनक प्रदर्शन का जिक्र किया गया है।
अपने पत्र में उन्होंने कहा कि यह घोषणा विनिर्माताओं द्वारा टीकों की आवश्यक संख्या की स्थिर आपूर्ति, कारगरता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने जैसे प्रमुख मसलों और उन कीमतों की बात नहीं करती है, जिन पर राज्यों द्वारा टीकों की खरीद की जानी है। मौजूदा विधानसभा चुनाव में भाजपा से कड़ी चुनौती का सामना कर रहीं ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा की इस व्यापक टीकाकरण अभियान के लिए टीकों की खरीद के वास्ते 100 करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है।
केरल के वित्त मंत्री, थॉमस आइजक ने केंद्र की नई नीति का विरोध किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने व्यापक टीकाकरण सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी त्याग दी है। इस नई नीति से राज्य के वित्त पर गंभीर दबाव पैदा होगा, टीका खरीद में अराजकता होगी, कीमतें बढ़ेंगी और गरीब छूट जाएंगे। इसका शुद्ध परिणाम यह होगा कि विपदा लंबे समय तक बनी रहेगी।
असम, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ की सरकारों ने घोषणा की कि वे 18 से 45 आयु वर्ग में हर व्यक्ति के टीकाकरण का खर्च वहन करेंगे। असम के वित्त मंत्री ने अपनी सरकार द्वारा टीका विनिर्माता भारत बायोटेक को एक करोड़ टीकों के ऑर्डर के संबंध में ट्वीट किया है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड की इस गणना में उम्र के लिहाज से वर्ष 2011 की जनगणना के जनसंख्या को ध्यान में रखा गया है। इसमें आज वर्ष 2021 में 20 से 45 वर्ष की आयु वर्ग वाली जनसंख्या (जनगणना और अब तक 10 साल का अंतर) के रूप में वर्ष 2011 में 10 से 35 के बीच के आयु वर्ग के लोगों की आबादी का अनुमान लगाया गया है।
आज उस आयु वर्ग (20 से 45) में 55.5 करोड़ लोग हैं। विशेषज्ञों ने यह संख्या 60 करोड़ रखी है, जो बिज़नेस स्टैंडर्ड के अनुमान के करीब है। इनमें से 70 प्रतिशत लोगों के टीकाकरण के लिए करीब 75 करोड़ खुराकों की आवश्यकता होगी।
18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग की वास्तविक जनसंख्या इससे भी ज्यादा होगी, क्योंकि बिज़नेस स्टैंडर्ड के अनुमान में 18 और 19 वर्ष के लोगों को बाहर रखा गया है। इस तरह वास्तविक खर्च समाचार पत्र के अनुमान से अधिक हो सकता है। को-विन पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार फिलहाल चल रहे टीकाकरण के मामले में अब तक 12.9 करोड़ से अधिक खुराकें लगाई जा चुकी हैं। ऊपर वाली विधि के हिसाब से वर्ष 2011 में 35 से 60 वर्ष वाले आयु वर्ग की आबादी वर्ष 2021 में (आज) 45 से 70 वर्ष के आयु वर्ग वाली आबादी का अनुमान जताया गया है।