मुंबई  के निकट भिवंडी के पावरलूम केंद्र में कोविड-19 के मामलों में पिछले  सितंबर से गिरावट आ रही है और नए साल की शुरुआत से कोरोनावायरस के कारण कोई  मौत नहीं हुई है। लोगों ने मास्क पहनना बंद कर दिया है तथा शहर के बाजारों  और सड़कों पर भीड़-भाड़ की हलचल देखकर आपको लगेगा कि जिंदगी कोविड से पहले  वाले सामान्य दिनों में लौट चुकी है।
लेकिन  ऐसा नहीं है। हालांकि महामारी के डर और उग्रता में कमी आई है, लेकिन  भिवंडी का मुख्य पावरलूम उद्योग गहरे संकट में है। धागे की कीमतों में  उतार-चढ़ाव ने पावरलूम मालिकों के सामने भारी चुनौती पेश की है, जिन्होंने  पिछले साल अगस्त में ही पूरी तरह से काम शुरू किया था। एक ओर जहां शहर को  बिजली वितरित करने वाली टॉरंट पावर का कहना है कि अक्टूबर से खपत में कोई  गिरावट नहीं आई है, वहीं दूसरी ओर पावरलूम मालिकों का कहना है कि उन्होंने  उत्पादन धीमा कर दिया है। पावरलूम विकास एवं निर्यात संवर्धन परिषद के  पूर्व अध्यक्ष पुरुषोत्तम के वंगा का अनुमान है कि सीमित परिचालन के कारण  भिवंडी के दैनिक कपड़ा उत्पादन में 25 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा  कि दैनिक उत्पादन लगभग दो करोड़ मीटर से गिरकर डेढ़ करोड़ मीटर रह गया है।
भिवंडी  पावरलूम वीवर्स फेडरेशन के अध्यक्ष अब्दुल रशीद ताहिर मोमिन ने कहा कि  दिसंबर के मध्य से भिवंडी का तकरीबन 50 फीसदी पावरलूम हफ्ते में केवल  तीन-चार दिन ही काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कच्चे माल की लागत बढ़ गई  है और व्यापारी कपड़े के लिए ज्यादा दाम नहीं देना चाह रहे हैं।
भिवंडी  में पांच से छह लाख पावरलूम होने का अनुमान है। देश के 25 लाख पावरलूम में  लगभग 20 से 25 प्रतिशत का योगदान इनका होता है। करीब 70 प्रतिशत परिचालकों  के पास 12 से 24 करघे हैं और वे उन बड़ी इकाइयों के लिए काम करते हैं जो  व्यापारियों से धागा खरीदती हैं। करघों में इस धागे की सफेद कपड़े के रूप  में बुनाई होती है, जबकि कपड़े का प्रसंस्करण, रंगाई, डिजाइनिंग और छपाई  बाद में मिलों में की जाती है। मोमिन ने कहा कि हालांकि धागे के दामों में  10 से 15 फीसदी तक का इजाफा होना असाधारण बात नहीं है, लेकिन पिछले दो  महीने के दौरान 50 से 100 फीसदी का इजाफा हो चुका है। हर दो-तीन दिन में  दामों में उतार-चढ़ाव हो रहा था और इसने पावरलूम मालिकों के लिए कारोबार  करना मुश्किल कर दिया। पिछले हफ्ते कपास और कृत्रिम धागे दोनों के दामों  में तकरीबन 10 फीसदी तक की गिरावट आई, इसके बाद हफ्ते के आखिर तक दामों में  लगातार इजाफा हुआ। मोमिन ने धागे के दामों को नियंत्रित करने के लिए  महाराष्ट्र सरकार से मदद मांगी है।
सदर्न  इंडिया मिल्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ महीने में होजरी और  बुनाई वाले धागे दोनों की ही कीमतों में तेजी आई है। उदाहरण के लिए होजरी  वाले धागे के औसत दाम अगस्त 2020 में 179 से 225 रुपये प्रति किलोग्राम थे,  जो जनवरी 2021 में बढ़कर 218 से 264 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए। इसी तरह  बुनाई वाले धागे के औसत दाम जनवरी में बढ़कर 243 से 350 रुपये प्रति  किलोग्राम हो गए, जबकि अगस्त में दाम 170 से 271 रुपये प्रति किलोग्राम थे।
मार्च  2020 में जब देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, तब भिवंडी के पावरलूम  बंद हो गए थे। सरकार ने 22 मई से कंटेनमेंट क्षेत्र के बाहर वाली इकाइयों  को खोलने की अनुमति दे दी थी। लेकिन पिछले साल अगस्त तक करघे दोबारा शुरू  नहीं हो पाए थे। इसकी वजह यह है कि लॉकडाउन के दौरान शहर छोडऩे वाले  प्रवासी कामगार वापस आने लगे थे। भिवंडी के पावरलूम के लगभग 80 प्रतिशत  श्रमिक तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के प्रवासी कामगार हैं।  भिवंडी के एक पावरलूम के श्रमिक हाफिज उल अंसारी ने कहा कि इससे पहले मेरे  पास एक महीने में 25 दिन का काम होता था, लेकिन अब यह कम हो गया है। लेकिन  यहां रुकने के अलावा कोई और चारा भी तो नहीं है, क्योंकि बिहार में हमारी  मूल जगह पर रोजी-रोजगार का कोई स्रोत नहीं है।
पावरलूम  मालिक भी दिक्कत महसूस कर रहे हैं। एक पावरलूम के मालिक हनीफ नथानी ने कहा  कि पिछले दो महीने से मैं दो पालियों की जगह 12 घंटे की एक पाली चला रहा  हूं। धागे के मौजूदा दामों के साथ करघा चलाना टिकाऊ नहीं है। सरकार की तरफ  से भी कोई राहत नहीं मिली है। दिसंबर में वंगा ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे  को पत्र लिखा था जिसमें सरकार से हस्तक्षेप करने और लॉकडाउन अवधि के दौरान  इक_ा हुआ बिजली बिल और कर्ज पर ब्याज माफ करने का अनुरोध किया गया था। अन्य  मांगों में भिवंडी में पावरलूम श्रमिकों के लिए एक आवासीय कॉलोनी और एक  धागा बाजार की स्थापना शामिल है। वंगा कहते हैं कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने  अब तक उनके अनुरोध का जवाब नहीं दिया है।
केंद्र  सरकार के कपड़ा आयुक्त कार्यालय के अधिकारी ने कहा कि कपड़ा मंत्रालय  उन्नयन और उत्पादकता में सुधार के लिए पावरलूम क्षेत्र की मदद कर रहा है।  सरकार ने पावरटेक्स योजना को मार्च 2021 तक बढ़ा दिया है ताकि पावरलूम  मालिक उन्नयन के लिए अन्य लाभ और सब्सिडी प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि  हमें ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है कि भिवंडी में 50 प्रतिशत पावरलूम सप्ताह  में केवल तीन से चार दिन ही काम कर रहे हैं। इस क्षेत्र में दबाव तो है,  लेकिन मौजूदा रुख के अनुसार हमें धागे की कीमत स्थिर होने की उम्मीद है।
मिल  मालिक इस बात से सहमत हैं कि आने वाले सप्ताहों के दौरान दामों में नरमी  आएगी। उनका कहना है कि कपड़ा निर्यात की मांग में तेजी, कताई मिलों में  उत्पाद की चुनौतियां और कपास के दामों में इजाफा वे कारक हैं जिनसे धागे की  कीमतों में तेजी आ रही है। चीन के शिनच्यांग क्षेत्र से कपास आयात पर  अमेरिकी प्रतिबंध से अंतरराष्ट्रीय दामों में हालिया तेजी को बढ़ावा मिलने  की बात कही जा रही है।