facebookmetapixel
Vice President Election Result: 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए सीपी राधाकृष्णन, बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिलेनेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़का युवा आंदोलन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफापंजाब-हिमाचल बाढ़ त्रासदी: पीएम मोदी ने किया 3,100 करोड़ रुपये की मदद का ऐलाननेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के बीच भारत ने नागरिकों को यात्रा से रोका, काठमांडू की दर्जनों उड़ानें रद्दUjjivan SFB का शेयर 7.4% बढ़ा, वित्त वर्ष 2030 के लिए मजबूत रणनीतिStock Market today: गिफ्ट निफ्टी में तेजी के संकेत; ट्रंप बोले- भारत-अमेरिका में ट्रेड बातचीत जारीGST कटौती से ऑटो सेक्टर को बड़ा फायदा, बाजार पूंजीकरण 3 लाख करोड़ बढ़ाInfosys बायबैक के असर से IT शेयरों में बड़ी तेजी, निफ्टी IT 2.8% उछलाBreakout Stocks: ब्रेकआउट के बाद रॉकेट बनने को तैयार ये 3 स्टॉक्स, ₹2,500 तक पहुंचने के संकेतअगस्त में 12.9 करोड़ ईवे बिल बने, त्योहारी मांग और अमेरिकी शुल्क से बढ़ी गति

कोविड और महंगाई ने होली की रौनक खाई

Last Updated- December 12, 2022 | 7:11 AM IST

महाराष्ट्र और खास तौर पर मुंबई के बाजार पिछले साल होली पर भी कोरोनावायरस के साये में थे और इस बार भी तस्वीर वैसी ही नजर आ रही है। राज्य के कुछ जिलों में महामारी का संक्रमण दोबारा बढऩे के कारण लोगों में उत्साह नहीं है और बाजार बेरौनक है। होली से एक-दो महीने पहले ही सज जाने वाली दुकानें इस बार नहीं दिख रहीं। कपड़े, रंग, मिठाई, ठंडाई, पिचकारी कारोबारियों पर दोहरी मार है। ग्राहक गायब हैं और ईंधन की आसमान छूती कीमतों के कारण दाम 20 से 80 फीसदी तक बढ़ गए हैं। महंगाई की चुभन और कोविड के सख्त दिशानिर्देश लागू होने के कारण राज्य में इस बार होली का रंग फीका ही रहने वाला है।
महाराष्ट्र के बाजारों में वसंत पंचमी के आसपास होली का रंग दिखने लगता था। मुंबई के भूलेश्वर, कालबादेवी और क्रॉफर्ड मार्केट में रंग-बिरंगी पिचकारी, टोपी और कपड़ों की दुकानें होली आने का अहसास कराती थीं। मगर इस बार उत्साह ही नहीं है। भारत मर्चेंट चैंबर के ट्रस्टी राजीव सिंगल कहते हैं कि कपड़ा बाजार में तेजी है मगर होली का उत्साह नहीं है क्योंकि बड़े कार्यक्रमों और जमावड़े पर रोक है। मुंबई और दूसरे जिलों में कोविड संक्रमण बढऩे के कारण भी लोग डर से बाजार नहीं निकल रहे हैं।
बड़ी वजह महंगाई भी है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढऩे से माल ढुलाई बहुत महंगी हो गई है, जिसका असर सूती कपड़े से लेकर तैयार कपड़ों तक के दाम पर दिख रहा है। इनके दाम पिछले साल के मुकाबले करीब 30-40 फीसदी बढ़ गए हैं। होली पर रेडीमेड परिधान की मांग बहुत रहती है। कारोबारियों का कहना है कि सफेद कुर्ता सबसे ज्यादा बिकता है मगर इस बार मुबई और आसपास होली की मांग ही नहीं आई है। माल खरीदने मुंबई आने वाले कारोबारियों का कोविड परीक्षण भी अनिवार्य कर दिया गया है, जिसके कारण कारोबारी आ ही नहीं रहे हैं और कारोबार फीका पड़ गया है।
पिचकारियों का बाजार बिल्कुल बदला नजर आ रहा है। होली से करीब दो महीने ही पिचकारियों का बाजार सज जाता था और चीन से आने वाली पिचकारियों का बोलबाला रहता था। लेकिन इस बार बाजार में चीनी पिचकारी बहुत कम हैं। उनके बजाय देसी पिचकारी ज्यादा दिख रही हैं। दादर में पिचकारी और रंग की दुकान चलाने वाले लतीफ भाई ने बताया कि इस बार चीन से बमुश्किल 20 फीसदी पिचकारी आई हैं। लोग चीनी माल नहीं खरीद रहे हैं और चीन के निर्माता भी यह बात समझ रहे हैं, इसलिए पिचकारियों पर ‘मेड इन चाइना’ के बजाय ‘मेड इन पीआरसी’ लिखा आ रहा है। लतीफ के मुताबिक पिचकारियों की कीमत पिछले साल के बराबर ही हैं मगर कोरोना संकट के कारण बाजार में रौनक नहीं है।
व्यापारी बताते हैं कि संक्रमण बढऩे के कारण लोगों में डर बैठ गया है कि लॉकडाउन लागू हो सकता है और होली खेलने पर रोक लग सकती है। इसलिए लोग माल खरीदने से बच रहे हैं। छोटे दुकानदार भी इसी वजह से थोक बाजार से ज्यादा माल नहीं उठा रहे हैं।
महंगाई की मार खाद्य तेलों पर भी पड़ी है। इसकी वजह से मिठाई और नमकीन महंगे हो गए हैं। नतीजतन उनकी दुकानों पर बिक्री सुस्त दिख रही है। न तो गुझिया के खरीदार दिख रहे हैं और न ही तरह-तरह के नमकीन मांगे जा रहे हैं। गुझिया और मिठाई बनाने का कारखाना चलाने वाले नवीन भाई ने बताया कि लागत बढऩे के कारण इस बाार माल पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी महंगा रहेगा। मगर मिलने-जुलने और बड़े आयोजनों पर रह्वोक के कारण इस बार ज्यादा ऑर्डर नहीं आए हैं। इसीलिए मांग पिछले साल के मुकाबले कम ही रहेगी। इसके अलावा बढ़ती महंगाई में लोग भी घरों पर पकवान कम बना रहे हैं, जिसका असर कच्चे माल के कारोबार पर दिख रहा है, जो इस बार मंद पड़ा है।
मुंबई और करीबी इलाकों में मेवों की मांग खूब रहती है। मेवों के थोक कारोबारी संदीप दोषी ने बताया कि कोविड के संक्रमण से बचने के लिए लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता की फिक्र हो गई थी, जिसे बढ़ाने के लिए मेवों की खरीद काफी बढ़ गई थी। मगर पिछले एक-दो महीनों से कारोबार सामान्य स्तर पर आ गया है। होली और शिवरात्रि के लिए मेवों की अच्छह्वी मांग आती थी मगर राज्य सरकार ने बड़े आयोजनों पर रोक लगा दी है, जिस कारण कारोबारी त्योहार के हिसाब से खरीदारी नहीं कर रहे हैं।
शिवरात्रि से लेकर होली तक बाजार में ठंडाई और भांग की भी खूब मांग रहती थी मगर इस बार मुंबई में भांग मिलना मुश्किल है। भांग के एक कारोबारी ने बताया कि राज्य में भांग बेचने पर प्रतिबंध तो पहले से ही लगा है मगर शिवरात्रि और होली जैसे त्योहारों पर इनका चलन रहा है। इस वजह से प्रशासन भी कुछ ढील दे देता था मगर इस बार पूरी सख्ती है। फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों पर नशे के कारोबार के मामले में जिस तरह की सख्ती और कार्रवाई की गई है, उसे देखकर कोई भांग रखने का जोखिम भी नहीं लेना चाहता, इसलिए ठंडाई कारोबारियों का व्यापार भी चौपट है।
फिर भी कारेाबारी मान रहे हैं कि अगले हफ्ते से स्थानीय स्तर पर मांग निकलनी शुरू हो जाएगी और बाजार गुलजार होंगे। मगर आसपास के शहरों से कारोबारियों का नहीं आना थोक बाजार पर भारी पड़ रहा है।

First Published - March 11, 2021 | 11:17 PM IST

संबंधित पोस्ट