facebookmetapixel
केंद्र सरकार ने चीनी निर्यात पर लगाई मुहर, मोलासेस टैक्स खत्म होने से चीनी मिलों को मिलेगी राहतCDSCO का दवा कंपनियों पर लगाम: रिवाइज्ड शेड्यूल एम के तहत शुरू होंगी जांचें; अब नहीं चलेगी लापरवाहीपूर्वोत्तर की शिक्षा में ₹21 हजार करोड़ का निवेश, असम को मिली कनकलता बरुआ यूनिवर्सिटी की सौगातकेंद्र सरकार ने लागू किया डीप सी फिशिंग का नया नियम, विदेशी जहाजों पर बैन से मछुआरों की बढ़ेगी आयCorporate Action Next Week: अगले हफ्ते शेयर बाजार में स्प्लिट-बोनस-डिविडेंड की बारिश, निवेशकों की चांदीBFSI फंड्स में निवेश से हो सकता है 11% से ज्यादा रिटर्न! जानें कैसे SIP से फायदा उठाएं900% का तगड़ा डिविडेंड! फॉर्मिंग सेक्टर से जुड़ी कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्तेDividend Stocks: निवेशक हो जाएं तैयार! अगले हफ्ते 40 से अधिक कंपनियां बांटेंगी डिविडेंड, होगा तगड़ा मुनाफाStock Split: अगले हफ्ते दो कंपनियां करेंगी स्टॉक स्प्लिट, छोटे निवेशकों के लिए बनेगा बड़ा मौकादेश में बनेगा ‘स्पेस इंटेलिजेंस’ का नया अध्याय, ULOOK को ₹19 करोड़ की फंडिंग

’15 अगस्त की निर्धारित तिथि तक टीका पेश करना असंभव’

Last Updated- December 15, 2022 | 5:16 AM IST

देश के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान के प्रमुख ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षण के जांचकर्ताओं को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि टीका देश के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर पेश किया जाए, जिसके बाद भारत में कोविड-19 टीके की कहानी ने अजीब मोड़ ले लिया है।
क्लीनिकल परीक्षण केंद्रों की राय समयसीमा और क्लीनिकल परीक्षण में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को लेकर बंटी हुई है। कुछ का कहना है कि पहले और दूसरे चरण को एक साथ अंजाम दिया जाएगा और परीक्षण एक महीने में पूरा हो सकता है। कुछ अन्य का मानना है कि इतनी कम अवधि में परीक्षण पूरा करना नामुमकिन है। रोचक बात यह है कि स्वयंसेवियों की भर्ती अभी शुरू नहीं हुई है। यह 7 जुलाई से शुरू होगी। कुछ परीक्षण केंद्रों का दावा है कि उन्हें अभी टीका मिला नहीं है। पहले और दूसरे चरण के परीक्षण 1,125 लोगों पर होंगे, जिनमें से 375 स्वयंसेवी पहले चरण में होंगे। सूत्रों ने कहा कि दूसरे चरण के समाप्त होने के बाद दवा नियामक यह फैसला ले सकता है कि टीके को कम से कम स्वास्थ्यकर्मियों पर इस्तेमाल किया जाए या नहीं। देश में 12 परीक्षण केंद्रों में से एक नागपुर में गिल्लुरकर मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉ. चंद्रशेखर गिल्लुरकर ने इस बात की पुष्टि की कि उन्हें अभी टीका नहीं मिला है और उन्होंने स्वयंसेवियों की भर्ती भी शुरू नहीं की है। उन्होंने कहा, ‘हम मंगलवार से मरीजों की जांच (यह देखने के लिए कि क्या उन्हें कोविड-19 है) शुरू करेंगे। उनके नमूने दिल्ली प्रयोगशाला भेजे जाएंगे, जिनकी रिपोर्ट तीन दिन में आएगी। उसके बाद हम स्वस्थ स्वयंसेवियों की भर्ती करेंगे।’ गिल्लुरकर ने कहा कि टीका दिए जाने के बाद 14 दिन इंतजार किया जाएगा। दूसरी खुराक 14वें दिन से पहले दी जाएगी। दूसरी खुराक के 14 दिन बाद फिर इन स्वयंसेवियों की जांच होगी और यह देखा जाएगा कि उनमें एंटीबॉडी विकसित हुए या नहीं।
गिल्लुरकर ने साफ किया कि दोनों चरणों को एक साथ जोडऩे से परीक्षण जल्द किया जा सकता है। अगर पहले दिन खुराक देने के बाद कोई प्रतिकूल रिएक्शन आता है तो स्वयंसेवी को दूसरी खुराक नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए कम से कम एक महीना लगेगा। आम तौर पर किसी क्लीनिकल परीक्षण के पहले और दूसरे चरण में क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?
वरिष्ठ वायरस विज्ञानी डॉ. जैकब जॉन ने कहा, ‘टीकों के परीक्षण प्रयोगशाला के जीवों पर प्र्री-क्लीनिकल विषाक्तता अध्ययनों से शुरू होते हैं। मानवीय परीक्षण पहले चरण से शुरू होते हैं, जिसमें स्वयंसेवियों को उनकी सहमति केबाद टीका दिया जाता है। इसके बाद प्रतिकूल प्रभावों को देखा जाता है। इसमें दो तरह के प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। क्या इसका मानवीय शरीर के किसी उत्तक पर जहरीला प्रभाव होता है, जिसका पता लक्षणों या खून में जैव रसायन के मानकों के आधार पर लगाया जाता है। यह भी देखा जाता है कि क्या इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल असर होता है।’
जॉन ने कहा कि पहले सप्ताह में टीके के केवल प्रत्यक्ष जहरीलेपन को देखा जाता है। इसके बाद शोधार्थी यह जांचता है कि क्या रोध प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर 30 दिन में कुछ नहीं होता है तो व्यक्ति यह मान सकता है कि उसके बाद होने वाले असर की वजह टीका नहीं हो सकता।’ अगर कोई प्रतिकूल असर होता है तो टीके को रद्द कर दिया जाता है। जॉन का मानना है कि इस प्रक्रिया को छोटा करने का विचार अच्छा नहीं है। पहले चरण के नतीजे आने के बाद इसे निगरानी संस्था द्वारा देखा जाता है। यह निगरानी संस्था आम तौर पर डेटा ऐंड सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड होता है। वे दूसरे चरण को मंजूरी देते हैं। उसके बाद दूसरे चरण में खुराक की जांच की जाती है और स्वयंसेवियों को दो समूहों में बांटा जाता है। पहले समूह के लोगों को एक खुराक दी जाती है, जबकि दूसरे समूह के लोगों को दो खुराक दी जाती हैं। परीक्षण केंद्रों ने इस बात की पुष्टि की कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के लिए स्वयंसेवियों को दो समूहों में बांटा जाएगा।  जॉन ने कहा कि लोगों पर 28 दिन तक नजर रखी जाएगी। पश्चिमी भारत के एक परीक्षण केंद्र के जांचकर्ता ने भारत बायोटेक के पहले के परीक्षणों में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि 28 दिन की इस प्रक्रिया को छोटा नहीं किया जा सकता। डॉक्टर ने कहा, ‘हम इसे एक दिन भी कम नहीं कर सकते। हम नियमों (प्रोटोकोल) के एक भी चरण को नहीं छोड़ सकते हैं। अगर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) कह रही है कि यह संभव है तो इस सवाल का वे ही जवाब दे सकते हैं। जल्दी का मतलब हैै कि वे चाहते हैं कि परीक्षण केंद्र तैयार रहें और जल्द काम शुरू करें।’ उद्योग के सूत्रों का मानना है कि भारत बायोटेक ने आईसीएमआर से वायरस के स्ट्रेन के लिए संपर्क किया था और इस तरह दोनों के बीच गठजोड़ शुरू हुआ। एक परीक्षण केंद्र ने कहा कि उन पर और भारत बायोटेक पर इस समय बहुत दबाव है। उद्योग के सूत्रों का यह भी मानना है कि दूसरे चरण के बाद जनता के लिए टीका पेश कर दिया जाए और साथ ही तीसरे चरण का परीक्षण चलता रहे।

First Published - July 5, 2020 | 10:57 PM IST

संबंधित पोस्ट