इस दीवाली मेवों के कारोबार में सुस्ती रही। महंगाई के कारण तोहफे में कम बजट के मेवे खरीदे गए और कोरोना की वजह से तंगहाल ग्राहकों ने दूसरे सामान पर खर्च करना ज्यादा मुनासिब समझा। कारोबारियों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस बार मेवों की बिक्री 15-20 फीसदी कम रही। दाम भी पिछले साल से 10-15 फीसदी ज्यादा रहे। अब उन्हें शादियों के सीजन से उम्मीद है।
दिल्ली स्थित खारी बावली मंडी देश में मेवों का अहम बाजार है। इस बाजार में 350 से 450 कारोबारी मेवों के कारोबार से जुड़े हैं। कारोबारी अनुमान के मुताबिक दिल्ली में मेवों का सालाना कारोबार 1,200 से 1,500 करोड़ रुपये का है, जिसमें इस साल 200 से 300 करोड़ रुपये की कमी आ सकती है। खारी बावली मंडी में इन दिनों बादाम 650 से 900 रुपये, काजू 700 से 1,200 रुपये, पिस्ता 1,000 से 1,600 रुपये, अंजीर 850 से 1,100 रुपये और किशमिश 250 से 450 रुपये किलो है। ये भाव पिछली दीवाली से 10 से 15 फीसदी ज्यादा हैं। अलबत्ता अगस्त में पैदा हुए अफगान संकट के दौरान बढ़े भाव की तुलना में मौजूदा भाव 100 से 200 रुपये कम हैं।
दिल्ली किराना कमेटी के अध्यक्ष प्रेम कुमार अरोड़ा ने बताया कि दीवाली पर घरों में पकवान बनाने के अलावा कंपनियों की ओर से गिफ्ट के रूप में मेवों की मांग खूब रहती है। लेकिन कोरोना की दो बार मार झेल चुकी कंपनियां और उपभोक्ता मेवे कम खरीद रहे हैं। नौकरी छूटने और वेतन कटौती के बीच हर चीज के दाम बढऩे से नौकरीपेशा वर्ग की जेब तंग है। इसलिए वे खरीदारी कम कर रहे हैं। पिछले साल कोरोना के बावजूद मेवों की मांग इससे पहले वाली दीवाली के बराबर ही थी। लेकिन इस दीवाली पर पिछली दीवाली की तुलना में 20 फीसदी तक कम बिक्री रही।
खारी बावली के मेवा कारोबारी नवीन मंगला कहते हैं कि मेवों की मांग घटने की वजह इनके दाम बढऩा है। अफगान संकट से अगस्त में मेवों के दाम 200 से 400 रुपये किलो तक बढ़ गए थे। हालांकि अब इनमें गिरावट आ चुकी है मगर पिछली दीवाली के मुकाबले मेवों के दाम अब भी 100-150 रुपये किलो ज्यादा हैंं। मेवा कारोबारी दलजीत सिंह कहते हैं कि अगर अफगान संकट के कारण बढ़े दाम नहीं गिरते तो दीवाली पर बिक्री और कमजोर रहती। अब अफगानिस्तान से भी मेवे आ रहे हैं। जो कमी थी, वह अमेरिका, दुबई आदि से पूरी हो गई। अब आपूर्ति पर्याप्त है मगर मांग कमजोर है। मेवा कारोबारियों का कहना है कि गिफ्ट पैकेट में मेवों की मात्रा घटाई जा रही है। हमेशा तीन चार तरह के 250-250 ग्राम मेवे एक पैकेट में रखवाने वाली कंपनियों ने अब 100-150 ग्राम मात्रा ही रखवाई। जो 150-150 ग्राम मेवे रखवाती थीं, उन्होंने 50-50 ग्राम ही रखवाए। कुछ कंपनियों ने तीन-चार मेवों के बजाय दो मेवे ही रखवाए। महंगाई से परेशान आम आदमी गुणवत्ता से समझौता कर मध्यम गुणवत्ता के मेवे ही खरीद रहा है। साबुत काजू के बजाय टुकड़ा ज्यादा खरीदा जा रहा है।
मगर शादी के सीजन से उन्हें बहुत उम्मीद है। सिंह कहते हैं कि गर्मियों में सरकारी बंदिशों के कारण शादियों में सीमित लोग शामिल हुए थे। मगर सर्दियों में बंदिश नहीं है। टली हुई शादियां भी इस बार होंगी, जिसमें मेहमानों की संख्या ज्यादा होगी। ऐसे में मिठाई और पकवानों के लिए मेवों की मांग बढ़ेगी। अगर महंगाई काबू में रही तो कारोबार पूरी तरह पटरी पर लौट आएगा। मगर मुंबई और महाराष्ट्र के दूसरे शहरों में त्योहार पर मेवों का कारोबार बेहतर रहा। कारोबारियों के मुताबिक मेवों की मांग 20 फीसदी बढ़ी। मुंबई में मेवा कारोबारी संदीप भाई ने बेहतर कारोबार की वजह बताते हुए कहा कि मेवे जल्दी खराब नहीं होते और हाल में इनके दाम भी करीब 15 फीसदी गिर गए हैं। ज्यादातर लोग कूरियर से उपहार भेजते हैं, जिन्हें पहुंचने में चार-पांच दिन लग जाते हैं। इसलिए लोग मेवों को तरजीह देते हैं।