शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा जो अगर भारत के कोचिंग हब कहे जाने वाले राजस्थान के कोटा जाए और उसकी नजर एलन करियर इंस्टीट्यूट के बड़े बड़े साइनबोर्ड पर ना पड़े। वर्ष 1988 में 10 से भी कम छात्रों के साथ शुरुआत करने वाला यह संस्थान इंजीनियरिंग और चिकित्सा उद्योग का एक नामी संस्थान बन चुका है। आज संस्थान के 46 केंद्रों में 2,00,000 छात्र पंजीकृत हैं जिनमें से 15 संस्थान कोटा में ही हैं।
संस्थान की यात्रा मार्च 2020 में महामारी के आने से पहले काफी शानदार रही थी। अप्रैल और मई में छात्रों का नया बैच आने वाला था लेकिन प्रवेश परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं और रातोरात कोटा खाली हो गया। देश में परंपरागत परीक्षा तैयारी उद्योग का जो कक्षा मॉडल सालाना 30,000 करोड़ रुपये से 40,000 करोड़ रुपये का कारोबार करता है अचानक से हिल गया।
लेकिन शिक्षा प्रौद्योगिकी या एडटेक के तौर पर जाना जा रहा इसका दूसरा मॉडल दिनोदिन मजबूत होने लगा। मौके को लपकते हुए ईंट और पत्थर की चहारदीवारी वाले बंद कक्षाओं से मुक्त बैजूस और अनएकैडमी जैसी स्टार्टअप ने ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से छात्रों को आकर्षित करना शुरू कर दिया।
अब जब परंपरागत परीक्षा तैयारी उद्योग महामारी के झटके से बाहर निकल रहा है तो उनके लिए आगे का रास्ता बिल्कुल साफ है और वह है ऑनलाइन और कक्षा में बैठाकर पढ़ाई का संयोजन यानी कि शिक्षा के हाइब्रिड मॉडल को अपनाने का रास्ता। इसी तरह से एडेटक कंपनियां भी इस बात को स्वीकार कर रही हैं और अपना रही हैं कि केवल ऑनलाइन मॉडल ही उन्हें इस खेल में बहुत अधिक आगे नहीं ले जाएगा। इस बदलाव को प्रौद्योगिकी और पैसे के स्वस्थ निवेश से हवा मिल रही है।
जेम्स मर्डोक और उदय शंकर समर्थित बोधि ट्री ने 1 मई को एलन में 60 करोड़ डॉलर के निवेश की घोषणा की। यह सौदा करीब 1 अरब डॉलर में बैजूस द्वारा आकाश एजुकेशनल सर्विसेज का अधिग्रहण किए जाने और वेरांडा लर्निंग्स द्वारा 287 करोड़ रुपये में टाइम (एडवांस्ड एजुकेशनल एक्टिविटीज) को खरीदे जाने के बाद हुआ है। टाइम परीक्षा की तैयारी करने वाली एक संस्थान शृंखला है। हाइब्रिड मॉडल में विश्वास जताते हुए बैजूस अगले दो वर्ष में 20 करोड़ डॉलर निवेश करने की योजना बना रही है। कंपनी इस निवेश से अपने हाइब्रिड ट्यूशन कारोबार को खड़ा करेगी और उसको विस्तार देगी।
कक्षा का बढ़ता दायरा
महामारी के बाद की दुनिया में एलन और आकाश जैसी परंपरागत परीक्षा तैयारी वाली कंपनियां ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों दिशा में बढऩे पर विचार कर रही हैं। एलन की स्थापना चार माहेश्वरी भाइयों (राजेश, गोविंद, नवीन और ब्रजेश) ने की थी और कंपनी बहुत तेजी से 200 शहरों तक फैलने पर विचार कर रही है जबकि फिलहाल 46 शहरों में इसके 125 केंद्र हैं।
कंपनी मनोनीत चेयरमैन ब्रजेश माहेश्वरी के नेतृत्व में बोर्ड की अगुआई वाला मॉडल बनाकर पांच वर्ष में 5,00,000 छात्रों को अपने साथ जोडऩे की उम्मीद कर रही है जबकि फिलहाल इससे 2,00,000 छात्र जुड़े हैं।
माहेश्वरी ने कहा, ‘महामारी ने हमें सिखाया है कि परिस्थिति रातोरात अनिश्चित हो सकती है लिहाजा परीक्षा की तैयारी का हाइब्रिड मॉडल ही कामयाब होने वाला है।’ उन्होंने कहा, ‘निवेश न केवल हमें भौतिक विस्तार को तेज करने में मदद करेगा बल्कि आभासी तरीके से हम उन छात्रों तक भी पहुंच पाएंगे जो हमारे केंद्रों तक नहीं आ पाते हैं। हम जिस तकनीक को अपनाने जा रहे हैं वह हमें ऑनलाइन तरीके से भी छात्रों के साथ उसी तरीके से संवाद करने में मदद करेगा जिस तरह से हम अपने भौतिक केंद्रों में छात्रों से आमने सामने संवाद करते हैं।’
एलन खाड़ी क्षेत्रों पर भी ध्यान दे रही है। ब्रजेश माहेश्वरी के पुत्र केशव माहेश्वरी ने कहा, ‘बोधि ट्री के साथ हमारी साझेदारी से हमें तकनीक के जरिये भारत में अपने परिचालनों को ऊपर उठाने में मदद मिलेगी और पश्चिमी एशिया में इससे वृद्घि को गति भी मिलेगी।’
आकाश पहले सालाना 15-20 केंद्र बढ़ाया करती थी और बैजूस द्वारा 2021 में अधिग्रहीत किए जाने से एक वर्ष पहले उसके छात्रों की संख्या 2,00,000 हो गई थी। वहीं आज यह सालाना औसतन 75 नए केंद्र जोड़ रही है और करीब 3,00,000 छात्रों की संख्या तक पहुंचने जा रही है।
आकाश के प्रबंध निदेशक आकाश चौधरी ने कहा, ‘बैजूस की वित्तीय, विपणन और प्रौद्योगिकी सहयोग से हमारी ऑफलाइन यात्रा में बुनियादी तौर पर कोई बदलाव नहीं आया है बल्कि इसमें तेजी आई है जबकि हम छात्रों को ऑनलाइन तरीके से भी जोड़ते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘बैजूस के साथ सौदा होने से पहले हमने वित्त वर्ष 2021 में डिजिटल के पक्ष से 100 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था जिसमें पांच गुने की वृद्घि हुई वहीं ऑफलाइन में 35-40 फीसदी की वृद्घि हुई है।’
पीजीए लैब्स में वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडटेक विश्लेषक वैभव तमराकर का मानना है कि जिस धीमी रफ्तार से परंपरागत ऑफलाइन संस्थान अन्य शहरों तक अपना विस्तार कर रहे थे वह दौर समाप्त होने लगा है और छात्रों के लिए उन्हीं उत्पादों तक आसानी से पहुंचना मुमकिन बनाया जा रहा है।
ताम्रकर ने कहा, ‘ऐसे तमाम परंपरागत संस्थाओं जिन्होंने कोटा, भिलाई और हैदराबाद जैसे परीक्षा की तैयारी कराने वाले केंद्रों में ब्रांड तैयार किए हैं अब अन्य शहरों में फ्रैंचाइजी खोल रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप अब उन्हें और किसी शहर में पूर्ण रूप से कोई कोचिंग संस्था खोलने की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘परंपरागत कोचिंग केंद्रों ने पहले भी दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम चलाए हैं इसलिए ऐसा नहीं है कि वे तकनीक के खिलाफ हैं।’
तकनीकी समर्थन
परंपरागत ऑफलाइन कोचिंग में तकनीकी निवेश जारी रहने की संभावना है क्योंकि अनुमानित प्रतिफल ऊंचा है।
केपीएमजी इंडिया में शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में नैशनल लीडर नारायण रामस्वामी के अनुसार परंपरागत परीक्षा तैयारी उद्योग को शिक्षकों पर निर्भरता आदि जैसी सीमाओं के कारण और ऊपर नहीं उठाया जा सकता था। नए हाइब्रिड मॉडल के साथ कुछ बड़ी कंपनियों ने इसे ऊपर उठाने की आजादी हासिल की है। आकाश भी हाइब्रिड मॉडल के माध्यम से विभिन्न आय समूहों की जरूरतें पूरी करने में सक्षम है। चौधरी ने कहा, ‘अब छात्रों के पास अपनी वित्तीय क्षमता या केंद्र की नजदीकी के अनुसार विकल्प चुनने का अवसर है। वे ऑफलाइन और ऑनलाइन के बीच में से विकल्प चुन सकते हैं। ऑफलाइन माध्यम ऑनलाइन के मुकाबले थोड़ा महंगा पड़ता है।’
केपीएमजी के रामस्वामी ने कहा, ‘निवेशक कल तक निवेशक निवेश करने से कतरा रहे थे क्योंकि उन्हें ऐसा कोई मॉडल नजर नहीं आ रहा था जो विस्तार कर रहा हो लेकिन अब वे निवेश करते हैं। लेकिन यदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को इसकी पूर्णता में लागू किया जाता है तो हमें तमाम स्ट्रीम, डिसिप्लिन और कार्यक्रमों में भारी संख्या में प्रवेश और उससे बाहर निकलने का दौर नजर आएगा और चिकित्सा या इंजीनियरिंग कॉलेजों में थोड़े से सीटों के लिए नजर आने वाला अफरा तफरी का दृश्य शायद समाप्त नहीं होगा।’