कोविड-19 संक्रमण में इस्तेमाल हो रही दवाओं के पोर्टफोलियो और 2020 में कम आधार के चलते ऐंटीबायोटिक और ऐंटीवायरल (संक्रमण निरोधक दवाओं) दर्द कम करने और सांस की तकलीफ से जुड़ी दवाओं से होने वाला इलाज कैलेंडर वर्ष 2021 में तेजी से बढ़ रहे इलाज में शामिल हो गया। एआईओसीडी-एडब्ल्यूएसीएस के आंकड़ों पर आधारित, इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च (इंड-रा) के डेटा यह दर्शाते हैं कि कैलेंडर वर्ष 2021 में संक्रमण रोकने वाली दवाओं में 25.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। इसी तरह दर्द से राहत देने वाली दवाओं (जिसमें पैरासिटामोल जैसी दवाएं भी शामिल हैं) में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि दर देखी गई।
सांस के इलाज वाले सेगमेंट में 2020 में अधिकांशत: कमी देखी गई लेकिन दिसंबर 2021 में इसमें पिछले 12 महीने के कारोबार में 20.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। मैनकाइंड फार्मास्यूटिकल्स के अध्यक्ष आर सी जुनेजा का कहना है, ‘सितंबर से ही ऐंटीबायोटिक की बिक्री में तेजी आई है। 2020 में ऐंटीबायोटिक दवाओं की मांग में कमी रही है जब ज्यादातर लोग घरों में बंद थे और कुछ लोगों को संक्रमण हुआ जैसे कि सीजनल फ्लू आदि। लेकिन 2021 में हमने फिर से सितंबर के बाद से मांग में फिर से तेजी देखी। इसके अलावा कई डॉक्टर कोविड मरीजों को एजिथ्रोमाइसिन जैसी ऐंटीबायोटिक दवाएं देने की सिफारिश कर रहे थे।’ मैनकाइंड फार्मा ने कैलेंडर वर्ष 2021 में (दिसंबर में पिछले 12 महीने के कारोबार के लिहाज से) 18.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की और कंपनी को सबसे ज्यादा संक्रमण रोकने वाली दवाओं की मांग मिली। ऐंटीवायरल दवाओं जैसे कि रेमडेसिविर और फैविपिराविर की वजह से घरेलू बाजार में इस सेगमेंट में वृद्धि देखी गई। विश्लेषकों के मुताबिक फैविपिराविर और रेमडेसिविर जैसे ऐंटीवायरल की बिक्री 2021 में करीब 2,700 करोड़ रुपये तक रही। इंड-रा के सहायक निदेशक निशीथ सांघवी कहते हैं कि एक श्रेणी के तौर पर ऐंटीवायरल ने 2021 में सालाना आधार पर 21 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।
मुंबई की एक बड़ी दवा कंपनी के वरिष्ठ उद्योग अधिकारी कहते हैं कि सांस से जुड़े इलाज वाले सेगमेंट को कोविड और 2020 के कम आधार से काफी मदद मिली। विश्लेषकों का कहना है कि कम आधार के प्रभाव से भी कुछ इलाज वाले क्षेत्रों में तेज वृद्धि दर देखी जा रही है। कैलेंडर वर्ष 2021 में देश के 1.67 लाख करोड़ रुपये के दवा बाजार में 14.9 फीसदी की वृद्धि देखी गई जबकि इससे पहले साल में यह वृद्धि महज 3 फीसदी थी। सांघवी कहते हैं, ‘वित्त वर्ष 2022 का साल सामान्यीकरण का साल है। 2021 की वृद्धि में 2020 के कम आधार और कोविड थेरेपी की बिक्री का फायदा मिला। हमारा मानना है कि देश का दवा बाजार फिर से 8-10 फीसदी वृद्धि के रुझान पर वापस आएगा।’
इसकी तुलना में पुरानी बीमारियों के इलाज जैसे कि हृदय की बीमारियों और मधुमेह निरोधी सेगमेंट ने 2021 में अपेक्षाकृत कम वृद्धि दर दर्ज की है। हृदय की बीमारी से जुड़ी दवाओं की घरेलू दवा बाजार में हिस्सेदारी 14 फीसदी है जबकि ऐंटी-इन्फेक्टिव दवाओं की हिस्सेदारी करीब 13 फीसदी है। उद्योग के सूत्रों और विश्लेषकों का मानना है कि इसकी वजह दवाओं के कुछ वर्ग में कीमतों का दबाव है। एक विश्लेषक ने कहा, ‘नोवार्टिस की मधुमेह की एक प्रमुख दवा वाइल्डाग्लिप्टन का पेटेंट खत्म हुआ जिसकी वजह से कीमतों में 70 फीसदी तक की कमी आई क्योंकि जेनेरिक कंपनियों ने इस दवा का ही समान स्वरूप लॉन्च करने में तेजी दिखानी शुरू कर दी।’
इसके अलावा विटामिन (15.8 प्रतिशत) और स्त्रीरोग संबंधी (16.1 फीसदी) इलाज ने 2021 में तेज वृद्धि दर्ज की। सन फार्मा, मैनकाइंड, एल्केम, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज और एम्क्योर ने मैक्लॉयड्स और एरिस्टो फार्मा के साथ-साथ कैलेंडर वर्ष 2021 में बेहतर प्रदर्शन किया।
