सरकार चुनिंदा सहयोग के माध्यम से निजी क्षेत्र को गतिशक्ति प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने की इजाजत देने पर विचार कर रही है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार देर रात बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी। ‘गतिशक्ति कनेक्ट’ कार्यक्रम के दौरान अनौपचारिक बातचीत में गोयल ने कहा कि निजी क्षेत्र को इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की अनुमति देते समय नियंत्रण और संतुलन बनाना चाहिए।
नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में गोयल ने कहा कि निजी क्षेत्र गतिशक्ति का उपयोग करने की जबरदस्त मांग कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘जानकारी संवेदनशील है। फिलहाल हम इसका सरकारी परियोजनाओं में उपयोग और परीक्षण कर रहे हैं। परीक्षण के नतीजे इतने शानदार हैं कि हमें संवेदनशील जानकारी को अलग करने के बारे में सोचना पड़ा ताकि निजी क्षेत्र बाकी जानकारी और आंकड़ों का लाभ उठा सके।’
गोयल ने कहा, ‘संवेदनशील जानकारी का इस्तेमाल करने के लिए निजी क्षेत्र के भागीदारों को अपनी योजना बतानी होगी। इसके बाद सरकार उन्हें सही तरीके से उपयोग में मदद कर सकती है, लेकिन हम इसे सार्वजनिक नहीं कर सकते या इसे लैपटॉप या पेन ड्राइव में नहीं दे सकते।’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘अगर कोई यह जानकारी लीक कर देता है और जानकारी किसी गलत आदमी के हाथों में चली जाती है तो उसका दुरुपयोग हो सकता है। यही वजह है कि हमने मजबूत सुरक्षा ढाल तैयार की है और साइबर ऑडिट की व्यवस्था की है। हर दिन हम यह सुनिश्चित करने के लिए इसकी जांच करते हैं कि जानकारी में सेंध तो नहीं लगी और उसे सही तरीके से अपडेट किया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी पता लगाया जाता है कि आंकड़ों के साथ कोई छेड़छाड़ तो नहीं हुई है और कोई साइबर हमला तो नहीं हुआ है। आपको इन सभी बातों का ध्यान रखना होगा।’
गोयल ने कहा कि गतिशक्ति ने समय और लागत कम करके बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को सबसे तेजी से क्रियान्वित करने में मदद की है। उन्होंने कहा, ‘बीते दो साल में हमने गतिशक्ति के माध्यम से 12 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं का खाका तैयार किया है। सातों पीएम मित्र पार्कों को भी मंजूरी से पहले गतिशक्ति की गहन जांच-परख से गुजरना पड़ा था। गुजरात इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ गया है। परियोजना गतिशक्ति में जाती है और मार्ग तय कर अंतिम रूप दिया जाता है उसके 24 घंटे के भीतर जमीन के मालिक का पता लगा लिया जाता है और भूमि अधिग्रहण का नोटिस भी जारी कर दिया जाता है।
यह पूछे जाने पर कि गति शक्ति से राज्यों के साथ सहयोगात्मक संघवाद को बढ़ावा देने में किस तरह मदद मिली है, गोयल ने कहा, ‘राजनीतिक विचारधाराओं से इतर इस योजना पर हस्ताक्षर करने वाले सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश पीएम गति शक्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ राज्यों की गति थोड़ी सुस्त है तो कुछ राज्य पूरे जोश से इसमें हिस्सा ले रहे हैं। कुछ राज्य इसलिए भी साथ हैं क्योंकि परियोजनाओं में देर होने से उन पर दबाव काफी बढ़ गया है।’
गोयल ने कहा कि गति शक्ति का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में 15 वर्ष पहले 2008 में आया था, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गोयल ने कहा, ‘सीमित संसाधनों वाले भारत जैसे देश में वित्तीय संसाधन का वाजिब एवं सटीक इस्तेमाल होना चाहिए। प्रधानमंत्री भारत को एक विकसित देश बनाना चाहते हैं और भ्रष्टाचार से निजात दिलाना चाहते हैं। पीएम गति शक्ति योजना इसी उद्देश्य के साथ शुरू की गई है।’
जब गोयल से पूछा गया कि परियोजना के सुगम क्रियान्वयन के साथ ही धन प्राप्त करने की व्यवस्था भी सरल बनाने पर गति शक्ति कितना ध्यान दे रही है तो उन्होंने कहा, ‘वित्त गति शक्ति नियोजन प्रक्रिया का उतना ही अभिन्न एवं महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जितना परियोजना का क्रियान्वयन। रेल या राजमार्ग परियोजना का खाका तैयार होता है तो खर्च का अनुमान लगाने में भी मदद मिलती है। लागत से जुड़े अनुमान अब इसलिए बेहतर होंगे क्योंकि हम जानते हैं कि परियोजना की राह में कोई अप्रत्याशित परिस्थितियां पैदा नहीं होंगी।’ गोयल ने कहा कि संसाधनों के बेहतर प्रबंधन से यह स्पष्ट हो जाता है कि कितनी परियोजनाओं पर काम होना है। उन्होंने कहा कि परियोजना के बीच में धन की कोई कमी नहीं आएगी।